बिखराव की स्थिति में “आप”, पार्टी कार्यकर्ता असमंजस में। साहब आप तो आप पर देगा कौन साथ!

बिखराव की स्थिति में “आप”, पार्टी कार्यकर्ता असमंजस में। साहब आप तो आप पर देगा कौन साथ!

देहरादून। प्रदेश में पूर्ण बहुमत का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार को पहाड़ में बहुमत पाना पहाड़ जैसा ही लगता है! प्रदेश में पार्टी की स्थिति कुछ ऐसी है जैसे एक अनार सौ बीमार। अर्थात आपसी मतभेद एवं महत्वाकांक्षा की जंग! दिल्ली मॉडल का सपना लेकर पहाड़ में रोजगार एवं मूलभूत आवश्यकताओं की बात करने वाली आम आदमी पार्टी में अंदरूनी बगावत के सुर दिखाई देना शुरू हो गया है। ताजा प्रकरण उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच मतभेद की स्थिति होने से पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच असमंजस का माहौल पैदा हो गया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के फोन पर यदि कोई कार्यकर्ता कॉल करें तो अध्यक्ष जी का फोन नहीं लगता।

हास्यास्पद है कि उस पर इनकमिंग कॉल की सुविधा ही ठप पड़ी है। ऐसे में यदि पार्टी अध्यक्ष एवं कार्यकर्ताओं के बीच संवाद नहीं होगा तो प्रश्न उठना लाजमी है कि, आखिर कार्यकर्ता अपनी समस्या किसे बताएं एवं पार्टी कार्यकर्ताओं की समस्याओं का समाधान किस प्रकार होगा। साथ ही दूसरा प्रकरण पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के बीच आपसी मतभेद का है। जहां एक ही विषय को लेकर पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी एक से अधिक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हैं! जिससे यह स्पष्ट होता है कि, पार्टी में पूर्णरूपेण आपसी तालमेल एवं एकता का अभाव है। व पार्टी पदाधिकारियों की महत्वाकांक्षा की इस जंग में आम कार्यकर्ता पिस रहा है।

पार्टी का कार्यकर्ता पूर्णरूपेण असमंजस की स्थिति में है कि, वह आखिर सुने तो सुने किसकी। यदि पार्टी में यही असमंजस की स्थिति रही तो आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी को सियासी अकाउंट खोलना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। कुल मिलाकर सिणयासी ऊंट किस करवट बदलेगा इस विषय पर भविष्यवाणी करना कठिन होगा। उत्तराखंड आम आदमी पार्टी के वर्तमान परिस्तिथि देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि, “आप तो आप पर देगा कौन साथ”।