DIBNS और HESCO के बीच समझौता। शिक्षा और सतत विकास के लिए साझा पहल
देहरादून। डॉल्फिन (PG) इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल एंड नेचुरल साइंसेज़ (DIBNS) और हिमालयन एनवायरनमेंटल स्ट्डीज़ एंड कंज़र्वेशन ऑर्गेनाइज़ेशन (HESCO) के बीच आज एक बहुप्रतीक्षित समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।
यह साझेदारी एक समन्वित रूपरेखा प्रदान करती है, जिसका उद्देश्य शिक्षा, अनुसंधान, नवाचार और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करना है।
इस अवसर पर DIBNS की प्राचार्या प्रो. (डॉ.) शैलेजा पंत और HESCO के संस्थापक एवं निदेशक, पद्म भूषण से सम्मानित प्रो. अनिल जोशी ने आपसी सहमति से समझौते पर हस्ताक्षर किए। कार्यक्रम में संस्थान के अनेक वरिष्ठ संकाय सदस्म, शोधार्थी, एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे, जिन्होंने इस साझेदारी का स्वागत किया।
MOU के अंतर्गत, दोनों संस्थान उत्तराखंड एवं अन्य हिमालयी क्षेत्रों में समुदाय-आधारित परियोजनाओं पर मिलकर कार्य करेंगे। इस पहल में स्थानीय पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का संगम कर नई नवाचारपरक रणनीतियों को विकसित किया जाएगा।
समझौते की प्रमुख गतिविधियों में पाठ्यक्रम विकास, स्किल डेवेलपमेंट ट्रेनिंग, ग्रामीण क्षेत्रों में पायलट परियोजनाओं का क्रियान्वयन, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, जैव विविधता अध्ययन, और जलवायु अनुकूल कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना शामिल है।
यह सहयोग ग्रामीण आजीविका संवर्द्धन, पारिस्थितिकी संरक्षण, और युवा नेतृत्व के विकास की दिशा में भी प्रभावी योगदान देगा। छात्र अब फील्ड आधारित परियोजनाओं के माध्यम से व्यवहारिक अनुभव प्राप्त कर सकेंगे, जिससे उनकी समझ और सामाजिक जिम्मेदारी दोनों में वृद्धि होगी।
HESCO की ओर से प्रो. अनिल जोशी ने कहा कि “इस समझौते के माध्यम से हम स्थानीय संसाधनों पर आधारित प्रौद्योगिकी, शिक्षा और व्यवहारिक विज्ञान को समाज के लिए प्रासंगिक बनाएंगे। DIBNS जैसे संस्थान के साथ जुड़ाव हमारे अभियानों को और अधिक सशक्त बनाएगा।”
यह पांच वर्षों की साझेदारी एक लचीले और सशक्त तंत्र का निर्माण करेगी, जिसके माध्यम से अकादमिक, अनुसंधान, और सामाजिक नवाचार को एक साथ लाया जाएगा।
दोनों संस्थान नियमित रूप से संयुक्त कार्यशालाएं, संगोष्ठियां, और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेंगे, जिससे छात्रों और ग्रामीण समुदायों के बीच ज्ञान का सेतु बनेगा।
प्रो. (डॉ.) वर्शा पर्चा, डीन (अनुसंधान), DIBNS ने इस सहयोग की नींव रखने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह MoU केवल एक शैक्षणिक समझौता नहीं, बल्कि एक विचारशील आंदोलन है, जो छात्रों, शोधकर्ताओं और ग्रामीण समुदायों को एक साझा मंच पर लाकर नवाचार आधारित समाधान विकसित करने में सक्षम बनाएगा।”
यह समझौता उत्तराखंड राज्य में पर्यावरणीय शिक्षा, ग्रामीण विकास, और सतत आजीविका जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव लाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।