सुप्रसिद्ध रंगकर्मी बलदेव राणा को मिला हिमालय गौरव सम्मान। जिला पंचायत अध्यक्ष ने दी बधाई

सुप्रसिद्ध रंगकर्मी बलदेव राणा को मिला हिमालय गौरव सम्मान। जिला पंचायत अध्यक्ष ने दी बधाई

रिपोर्ट- जगदम्बा कोठारी
ऋषिकेश। उत्तराखंड के सुपरहिट अभिनेता और सुप्रसिद्ध रंगकर्मी, निर्देशक बलदेव राणा को ‘हिमालय गौरव’ सम्मान से अलंकृत किया गया। यह सम्मान मिलने से उनके प्रशंसकों समेत रुद्रप्रयाग जनपद में खुशी का माहौल है। यह पुरस्कार उन्हें पर्वतीय लोक विकास समिति, उत्तराखंड द्वारा दिया गया है।

ऋषिकेश स्थित पशुलोक में एक कार्यक्रम आयोजित कर कृषि मंत्री गणेश जोशी द्वारा यह पुरस्कार दिया गया। बलदेव मूल रूप से रुद्रप्रयाग जनपद के जखोली विकासखंड के कंपणियां ग्राम निवासी हैं और फिलहाल ऋषिकेश रहते हैं। लगभग 4 दशक से बलदेव अभिनय एवं निर्देशन से जुड़े हुए हैं।

गढ़वाली फिल्म चक्रचाल, कोथीग, बेटी-ब्वारी, बंटवारू, मेरी गंगा होली मैं मु आली समेत दर्जन भर से अधिक फिल्मों में अभिनय कर चुके बलदेव राणा गढ़वाली फिल्मों और रंगमंच से जुड़े एक सफल अभिनेता और निर्देशक हैं। वर्ष 1997 में रिलीज गढवाली फिल्म चक्रचाल में उनका फौजी मंगतू का किरदार आज भी पहाड़ी लोगों के दिल में बसा हुआ है।

बलदेव पर्वतीय नाट्य मंच, मुंबई के संस्थापक भी हैं। रंगमंच के द्वारा इन्होंने देशभर में माधव सिंह भंडारी, तीलू रौंतेली सहित नंदा देवी राजजात पर 70 नृत्य नाटिकाओं की जीवंत प्रस्तुतियां दी हैं। अभिनय के क्षेत्र में इसी योगदान के चलते उन्हें पर्वतीय लोक विकास समिति द्वारा ‘हिमालय गौरव सम्मान’ पुरस्कार दिया गया।

पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में ऋषिकेश मेयर श्रीमती अनीता ममगांई, राज्यमंत्री कैलाश पंथ, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय सलाहकार डॉ सूर्य प्रकाश सेमवाल सहित आदि प्रतिष्ठित गणमान्य मौजूद थे।

1987 में किया था पहला रंगमंच

एक खास बातचीत में अभिनेता व निर्देशक बलदेव राणा ने बताया कि उनका जन्म जखोली विकासखंड में हुआ है। 35 साल पहले उन्होंने जखोली विकास खंड में पहली रंगमंच की प्रस्तुति दी थी। वर्ष 1987 में उन्होंने कुंदन सिंह नेगी के लेखन में जखोली ब्लॉक मुख्यालय में बम्डर, अपजसी नथुली और भग्यान ब्वारी नाटक की प्रस्तुति दी थी। तब वह मुंबई से कार्यक्रम के लिए जखोली आए थे। तब से लेकर आज तक बलदेव रंगमंच और निर्देशन के क्षेत्र में सक्रिय हैं।

उन्होंने वीरभड माधो सिंह भंडारी पर कई नृत्य नाटिकाओं का सरल मंचन और निर्देशन कर पहाड़ के इस महानायक की जीवनी और बलिदान को आमजन तक पहुंचाया है। बलदेव बताते हैं कि वह पहाड़ की वीरबाला तीलू रौंतेली के साहस की वीरगाथा सहित कुमाऊं की चर्चित राजुला-मालुसाही की प्रेम गाथा के मंचन की भी तैयारी कर रहे हैं।

साथ ही उन्होंने बताया है कि, वह सुपरहिट गढ़वाली फिल्म घरजवैं के लेखक देवी श्री प्रसाद सेमवाल जी द्वारा लिखित एक फिल्म पर भी काम करने की योजना बना रहे हैं। फिल्म की कहानी पहाड़ की एक बेटी के ऊपर बनी है, जो कि मूल नक्षत्र मैं पैदा होकर सामाजिक बुराइयों और रिवाजों से लड़कर किस प्रकार खुद को मजबूत बनाती है।