वाह सरकार: इधर सरकारी स्कूलों में प्रवेशोत्सव की मुहिम, उधर 61 इंटर कॉलेजों से 57 प्रधानाचार्य गायब

इधर सरकारी स्कूलों में प्रवेशोत्सव की मुहिम, उधर 61 इंटर कॉलेजों से 57 प्रधानाचार्य गायब

बागेश्वर। सरकारी शिक्षा में सुधार के दावे तो बड़े-बड़े किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर हालात कुछ और ही नजर आते हैं। अधिकतर विद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं।

कई विद्यालयों में प्रधानाचार्य और प्रधानाध्यापकों की कमी से शिक्षण कार्य भी प्रभावित हो रहा है। जिले के मात्र चार इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्य नियुक्त हैं। कुल 57 स्कूलों की व्यवस्था प्रभारियों के भरोसे है।

चारों प्रधानाचार्य बागेश्वर विकासखंड में तैनात हैं। गरुड़ और कपकोट विकासखंड के किसी भी इंटर कॉलेज में पूर्णकालिक प्रधानाचार्य नहीं हैं।

बात करें तो बागेश्वर जिले में प्रधानाचार्यों के 61 पद स्वीकृत हैं, लेकिन लंबे समय से प्रधानाचार्यों की नियुक्ति नहीं हो रही है।

राइंका बागेश्वर, राबाइंका बागेश्वर, राइंका मंडलसेरा और राइंका रवाईखाल को छोड़कर किसी भी इंटर कॉलेज में पूर्णकालिक प्रधानाचार्य तैनात नहीं हैं।

प्रधानाचार्य का पद खाली होने से अधिकतर विद्यालयों के आहरण-वितरण का अधिकार अन्यत्र विद्यालयों के पास है। ऐसे में स्कूल के बिल पास करवाने, वेतन निकलवाने, विकास कार्य के लिए बजट के खर्च आदि कार्यों को लेकर प्रभारियों को आहरण-वितरण अधिकारी के पास जाना पड़ता है।

एक प्रधानाचार्य के पास कई स्कूलों के आहरण-वितरण का अधिकार होने से उनके पास भी कार्यभार बढ़ गया है। वहीं प्रभारी प्रधानाचार्य की जिम्मेदारी संभाल रहे शिक्षक अधिक जिम्मेदारियों के कारण अपने विषय की पढ़ाई भी नहीं करवा पाते हैं। ऐसे में छात्र-छात्राओं की शिक्षा प्रभावित हो रही है।

इंटर कॉलेजों की तरह जिले के हाईस्कूलों में भी प्रधानाचार्यों के अधिकतर पद खाली हैं। जिले के तीनों विकासखंडों में 32 हाईस्कूल हैं, जिनमें से केवल 10 हाईस्कूलों में ही प्रधानाध्यापक तैनात हैं।

22 हाईस्कूलों की जिम्मेदारी प्रभारी प्रधानाध्यापक संभाल रहे हैं। हाईस्कूलों में भी शिक्षक को प्रभार मिलने के कारण छात्र-छात्राओं की शिक्षा पर असर पड़ रहा है।

वही सीईओ गजेंद्र सौन ने बताया कि, प्रधानाचार्य पद के लिए सीधी भर्ती प्रक्रिया बंद हो गई है। प्रधानाचार्य पद पर नियुक्त होने से पूर्व पांच वर्ष तक प्रधानाध्यापक पद पर सेवा देना अनिवार्य है। जिले में हाईस्कूल कम और इंटर कॉलेज अधिक हैं।

ऐसे में प्रधानाचार्य के अधिकांश पदों के लिए योग्यता पूरी नहीं हो रही है। जहां तक आहरण-वितरण अधिकारी का पद है, वह प्रधानाचार्य की तरह प्रधानाध्यापक भी संभाल सकता है। गरुड़ और कपकोट विकासखंड में प्रधानाध्यापकों को इंटर कॉलेजों के आहरण-वितरण की जिम्मेदारी दी गई है।