पुलिस ग्रेड पे कटौती के खिलाफ दूसरे दिन भी जारी रहा यूकेडी का उपवास

पुलिस ग्रेड पे कटौती के खिलाफ दूसरे दिन भी जारी रहा यूकेडी का उपवास

देहरादून। पुलिस जवानों की ग्रेड पे कटौती के खिलाफ उत्तराखंड क्रांति दल के कार्यकर्ताओं का उपवास आज दूसरे दिन भी जारी रहा। सभी यूकेडी कार्यकर्ता काला मास्क पहने उपवास पर बैठे रहे। इस दौरान उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय मीडिया प्रभारी शिवप्रसाद सेमवाल ने कहा कि, यदि 28 मई को होने वाली कैबिनेट बैठक में पुलिस जवानों की ग्रेड पे का मामला हल नहीं होता है तो वह मुख्यमंत्री निवास पर भूख हड़ताल शुरू कर देंगे।

इसके अलावा यूकेडी नेता सेमवाल ने ग्रेड पे का मसला हल न होने तक काला मास्क धारण करने का संकल्प लिया है।
उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय मीडिया प्रभारी शिवप्रसाद सेमवाल ने पूछा है कि, क्यों कोरोना वाॅरियर्स के रूप में कार्य कर रही उत्तराखंड पुलिस कांस्टेबलों की भावनाओं को आहत किया जा रहा है?

उन्होंने कहा कि, आखिर क्यों उत्तराखंड पुलिस के इन होनहार कांस्टेबलों का ग्रेड पे 4600 से घटाकर 2800 कर दिया गया। यूकेडी नेता शिवप्रसाद सेमवाल ने बताया कि, उत्तराखंड पुलिस का हर एक सिपाही प्रोटोकॉल से बंधा होता है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि, पुलिस जवानों के ग्रेड पे को कम किया गया है। ऐसा किसी और विभाग में होता तो वे लोग काम रोक कर आंदोलन कर लेते।

यूकेडी नेता अनिल डोभाल ने कहा कि, एक बाबू वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी तक पहुंच जाता है। एक पटवारी तहसीलदार तक पहुंच जाता है। फोरेस्ट गार्ड रेंजर तक पहुंच जाता है। लेकिन एक सिपाही-सिपाही ही रह जाता है। जहां एक सिपाही को 20 वर्ष की विभागीय सेवा के पश्चात 4600 ग्रेड पे मिलना था, वहीं उसे अब 2800 ग्रेड पे मिलेगा। इससे वेतन में लगभग 20,000 से 25,000 का अंतर आने की आशंका है।

एक सिपाही समूह ग की योग्यता को पुरा करने के बाद भी उसे एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी श्रेणी से रिटायर होना पड़ेगा।

लगभग 35-40 साल सेवा करने का यह फल तो नहीं होना चाहिए।

यूकेडी नेता सीमा रावत ने कहा कि, उत्तराखंड के लगभग 90 प्रतिशत से ज्यादा जवान ग्रेजुएट हैं और विभिन्न योग्यताओं को रखते हैं, ऐसे में सरकार पर पुलिस विभाग की ही जरुरतों के हिसाब से इन्हीं जवानों को आवश्यकता अनुरूप प्रशिक्षण देकर तैनाती दी जाती है, तो इससे सरकार पर अन्यत्र नियुक्तियों का वित्तीय बोझ नहीं पड़ता।

बहरहाल पुलिस विभाग में भी इस फैसले को लेकर जहां एक तरफ कांस्टेबल इस फैसले से अचंभित हैं, वहीं उत्तराखंड पुलिस के डीजीपी द्वारा इस मसले पर कमेटी के माध्यम से इस समस्या के समाधान की बात कही गई है।

आगे क्या होगा भविष्य की गर्त पर है। लेकिन उम्मीद है जल्द इस फैसले को वापस लेकर फ्रंट लाइन वाॅरियर्स को उनका हक दिया जाएगा।

कोविड नियमों का पालन करते हुए दूसरे दिन उपवास पर  केंद्रीय मीडिया प्रभारी शिवप्रसाद सेमवाल, रायपुर ब्लाक अध्यक्ष अनिल डोभाल, वार्ड अध्यक्ष सुरेश आर्य, युवा मोर्चा जिला अध्यक्ष सीमा रावत, उपेंद्र कैंतुरा, मुकेश गैरोला आदि कार्यकर्ता बैठे रहे।