एक्सक्लूसिव: कोविड अस्पताल में 19 दिन बाद हुआ 65 मरीजों की मौत खुलासा

कोविड अस्पताल में 19 दिन बाद हुआ 65 मरीजों की मौत खुलासा

– जिलाधिकारी ने मानी लापरवाही, किया मौत का आकंड़ा छिपाने की मंशा से इंकार

रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार के एक कोविड हॉस्पिटल में 65 कोरोना मरीजो की मौत का मामला सामने आने से हड़कंप मचा हुआ है। आरोप है कि, अस्पताल ने इन मौतों की सूचना को प्रशासन से छिपाया। 25 अप्रैल से 12 मई के बीच हुए इन मौतों की कोविड कंट्रोल रूम को जानकारी नही दी गई। राज्य सरकार के कोविड कंट्रोल के नोडल अधिकारी ने हॉस्पिटल और सीएमओ हरिद्वार को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया है। बाबा बर्फानी हॉस्पिटल को एक निजी धार्मिक संस्था संचालित करती है और कुम्भ मेले के दौरान प्रशासन ने इसे 500 बैड के कोविड केयर हॉस्पिटल में तब्दील कर दिया था।

कोरोना से हो रही मौतों के आंकड़ों को कम दर्शाने के लिए छिपाने की कोशिश की जा रही है। हरिद्वार के एक डेडीकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर में 25 अप्रैल से 12 मई के बीच कोरोना से 65 मौत हुई। मगर इसकी जानकारी स्टेट कोविड कंट्रोल रूम को नहीं दी गई। स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की जांच के बाद मामला सामने आया जबकि उत्तराखंड सरकार के आदेश है कि, राज्य में जिस अस्पताल में भी कोरोना मरीजो की इलाज के दौरान मौत हो जाती है तो उसकी जानकारी 24 घंटे के भीतर राज्य कोविड कंट्रोल रूम को देनी अनिवार्य है, मगर 18 दिन में हर रोज मौत होती रही। मगर अस्पताल प्रशासन ने समय से सूचना देना जरूरी नही समझा। इस मामले को अब अधिकारी भी दबाने की कोशिश कर रहे है, हरिद्वार के जिलाधिकारी का इस बारे में कहना कि, अस्पताल द्वारा दिये गए डाटा को डॉक्टरों के छुट्टी पर होने की वजह से समय से एंट्री नही किया जा सका। इसलिए यह सारा भ्रम पैदा हुआ।

कुम्भ मेले में बने हरिद्वार के कोविड बाबा बर्फानी अस्पताल ने कोरोना मरीजों की मौत की वास्तविक संख्या छिपाए रखी थी और इस अस्पताल में 19 दिनों के बाद 65 मरीजों की मौत का खुलासा हुआ है। उत्तराखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इस अस्पताल के खिलाफ नोटिस भी जारी किया है। इस मामले में हरिद्वार और देहरादून के जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को भी चेतावनी नोटिस दिया, हरिद्वार जिलाधिकरी सी रवि शंकर भी लापरवाही की बात तो मान रहे है मगर मौत का आकंड़ा छिपाने की मंशा से वह भी इंकार कर रहे है। मगर सवाल उठता है कि, क्या 18 दिन तक डॉक्टर छुट्टी पर थे और 18 दिन तक डेटा एंट्री इसी वजह से नही की गई? हालांकि जिलाधिकारी इस पूरे मामले को गंभीरता से लेने की बात भी कह रहे है, यानी कोविड को लेकर सरकारी सिस्टम में सब कुछ ठीक नही चल रहा है।

हरिद्वार के कोविड अस्पताल से कोरोना मरीजो की मौत को छुपाने का यह पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी इस कोविड अस्पताल द्वारा मौत की बात को छुपाया गया है। हो सकता है राज्य के ओर भी कुछ अस्पताल मौत के सही आंकड़े नही दे रहे हो। कोविड अस्पतालों में वैसे भी अव्यवस्थाओं की खबरे सामने आती रही है।