अंतिम शाही स्नान से पहले अखाड़ों ने अखाड़ों के खिलाफ खोला मोर्चा। सरकार से की यह मांग….

अंतिम शाही स्नान से पहले अखाड़ों ने अखाड़ों के खिलाफ खोला मोर्चा। सरकार से की यह मांग….

रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। महाकुंभ मेले में आखिरी शाही स्नान से पहले अखाड़ा परिषद में विरोध शुरू हो गया है। 27 अप्रैल के शाही स्नान को लेकर निर्मोही अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेन्द्र दास महाराज और वैष्णव संप्रदाय के संतो ने सरकार से सन्यासी अखाड़ों के शाही स्नान करने पर रोक लगाने की माँग की है। क्योंकि संन्यासी अखाड़ों द्वारा कुंभ मेले के समापन की घोषणा की गई थी और कहा गया था कि, अब उनके अखाड़े से सिर्फ प्रतीकात्मक रूप से ही कुंभ का शाही स्नान कुछ साधु ही करेंगे। इसको लेकर अब बैरागी और वैष्णव संप्रदाय के अखाड़े संन्यासी अखाड़ों से काफी आक्रोशित है, इसी को लेकर उनके द्वारा यह मांग की गई।

निर्मोही अखाड़े के अध्यक्ष राजेंद्र दास ने कहा कि, सन्यासी अखाड़ों ने कुम्भ मेले से पहले ही मेला विसर्जन कर दिया है। अब उन्हें शाही स्नान करने का कोई औचित्य नही रह जाता वो बार-बार मेले के समापन को लेकर बयान बदल रहे है। इसलिए उनकी सरकार और मेला प्रशासन से मांग है कि, सन्यासी अखाड़ों को शाही स्नान करने से रोका जाए। 27 अप्रैल के शाही स्नान में केवल बैरागी संतो के तीन अखाड़े, उदासीन अखाड़े, निर्मल अखाडा और सन्यासियों का महानिर्वाणी अखाड़े के साधु संत ही शाही स्नान करें। इन अखाड़ों के अलावा जिन अखाड़ों ने भी कुंभ मेले का विरोध किया। वह अखाड़े शाही स्नान करने के हकदार नहीं है, इसलिए कुंभ मेला प्रशासन उन्हें शाही स्नान करने से रोके।

वहीं उन्होंने यह भी कहा कि, आगामी शाही स्नान पर वो कोरोना गाइडलाइंस का पालन करेंगे। हरिद्वार में जितने भी साधु संत मौजूद हैं, वही शाही स्नान में भाग लेंगे। बाकी उनके अनुयायी कुंभ मेले में ना आए। वही अखिल भारतीय चतुर संप्रदाय के महामंडलेश्वर सांवरिया बाबा का कहना है कि, जिन सन्यासी अखाड़ों ने कुम्भ की समाप्ति की घोषणा की है। हम मेला प्रशासन, मुख्यमंत्री, गृहमंत्री सबसे निवेदन करते हैं कि, आप उनको शाही स्नान नहीं करने दिया जाए। अब शाही स्नान का अधिकार तीनों बैरागी अखाड़े और वैष्णव अखाड़ों का है। सन्यासी अखाड़ों के तीन शाही स्नान हो गए हैं और चौथे स्थान पर उनका कोई अधिकार नहीं है। हम चाहते थे कि, वह हमारे साथ शाही स्नान करें। मगर उन्होंने खुद ही मर्यादा तोड़ी है। उनको अब स्नान नहीं करना चाहिए।

बता दें कि, आखिरी शाही स्नान से पहले अखाड़ा परिषद में फूट देखी जा रही है। क्योंकि 13 अखाड़ो से मिलकर अखाड़ा परिषद का गठन हुआ है और अब बैरागी संतो से जुड़े तीन अखाड़ों के साथ वैष्णव संप्रदाय के दो अखाड़ों ने सन्यासी अखाड़ा के शाही स्नान पर रोक लगाने की मांग कर डाली है और इनके साथ सन्यासियों का महानिर्वाणी अखाड़ा भी साथ नजर आ रहा है। क्योंकि उनके द्वारा अभी तक कुंभ के समापन की घोषणा नहीं की गई है। अब देखना होगा कुंभ के आखिरी शाही स्नान से पहले अखाड़ा परिषद में कितना भूचाल आता है।