त्रिवेन्द्र सरकार ने किया स्केप चैनल के अध्यादेश को निरस्त, गंगा प्रेमियों के खिले चेहरे। किया दूध अभिषेक और आतिशबाजी

सरकार द्वारा स्केप चैनल के अध्यादेश को निरस्त करने पर गंगा प्रेमियों के खिले चेहरे, किया दूध अभिषेक और आतिशबाजी

– गंगा सभा के पदाधिकारियों ने मां गंगा की पूजा अर्चना कर किया दूध अभिषेक और आतिशबाजी

रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। आज उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने गंगा प्रेमियों को खुशी मनाने का मौका दिया है। क्योंकि पूर्व की हरीश रावत सरकार द्वारा 2016 में हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड पर बहने वाली गंगा पर स्केप चैनल का शासनादेश जारी किया था और तभी से गंगा प्रेमी व साधु संत इस शासनादेश को निरस्त करने की मांग कर रहे थे, आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गंगा सभा के अध्यक्ष और महामंत्री समेत सभी अखाड़ों के साधु संतों के सामने इस अध्यादेश को रद्द करने का ऐलान किया और जल्द ही इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया जाएगा। इसको लेकर आज हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड पर तीर्थ पुरोहितों की प्रमुख संस्था गंगा सभा के पदाधिकारियों द्वारा मां गंगा की पूजा अर्चना कर दूध अभिषेक किया गया और साथ ही आतिशबाजी भी की गई।

गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ का कहना है कि, यह तीर्थ पुरोहित और गंगा सभा नहीं बल्कि सभी गंगा प्रेमियों के लिए ऐतिहासिक पल है। क्योंकि दिसंबर 2016 में यह काला अध्याय लिखा गया था और हर की पैड़ी बहने वाली गंगा की धारा को दस्तावेजों में स्केप चैनल के रूप में वर्णित किया गया था, सभी गंगा प्रेमियों के मन में एक क्षण के लिए भी कोई भाव नहीं आया कि, यह मां गंगा नहीं है। मगर दस्तावेजों में यह काला पृष्ठ अंकित हो गया। इसके लिए सभी गंगा प्रेमियों ने संघर्ष किया। गंगा सभा द्वारा समय-समय पर मांग की गई और हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई, सरकार बदलने के बाद वर्तमान सरकार से भी इस अध्यादेश को रद्द करने की मांग की गई। पिछले साल सरकार द्वारा हमें आश्वस्त किया गया था कि, इस अध्यादेश को रद्द करने वाले हैं और दो-तीन महीने पूर्व शहरी विकास मंत्री और मुख्यमंत्री द्वारा पूर्ण रूप से हमें आश्वस्त किया था कि, आप जल्द इस अध्यादेश को निरस्त कर रहे हैं और इसको लेकर विधानसभा से शहरी विकास मंत्री द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की गई थी।

हमारी पिछले कई दिनों से सरकार से वार्ता चल रही थी और आज मुख्यमंत्री के आवास पर गंगा सभा के पदाधिकारी और अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों के सामने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसकी घोषणा की। इस अध्यादेश को निरस्त कर दिया गया है और यह काला अध्याय समाप्त हो गया है। दस्तावेजों में भी मां गंगा अब उसी रूप में अंकित हो गई है, जिस रूप में हमारे मन में मां गंगा विराजमान है। आज सभी गंगा भक्तों और तीर्थ पुरोहित समाज के लिए ऐतिहासिक क्षण है और इस मामले में मीडिया ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई इस अध्यादेश को निरस्त कराने के लिए।

आज उत्तराखंड की भाजपा सरकार द्वारा विधिवत मां गंगा को मां का दर्जा दिया गया है। जिस की मांग लंबे समय से तीर्थ पुरोहित समाज संत समाज और गंगा प्रेमी कर रहे थे, इसी को लेकर आज इन लोगों में काफी खुशी की लहर है और हर कोई इस अध्यादेश को निरस्त किए जाने की खुशी मना रहा है।