आयुष चिकित्सकों की मांगे लटकी। एक माह बाद भी नहीं हुई कोई कार्यवाही

आयुष चिकित्सकों की मांगे लटकी। एक माह बाद भी नहीं हुई कोई कार्यवाही

देहरादून। आयुष चिकित्सकों की मांगों पर सरकार द्वारा ध्यान न दिए जाने से आयुष चिकित्सकों में आक्रोश है। संघ के प्रान्तीय अध्यक्ष डॉ के एस नपलच्याल द्वारा सरकार एवं शासन को पत्र लिखे हुए एक माह से ज्यादा का समय बीत चुका है। इसी प्रकार से प्रान्तीय महासचिव डॉ हरदेव रावत को भी पत्र लिखे हुए बीस दिन से ऊपर हो चुके हैं। लेकिन अभी तक सरकार द्वारा आयुष चिकित्सकों की मांगों पर कोई भी सकारात्मक कार्यवाही नहीं की गयी है।

राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ उत्तराखंड (पंजीकृत) के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ डी सी पसबोला द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया है कि, जहां एलोपैथिक चिकित्सकों एवं कर्मचारियों की मांगों​ पर मुख्यमंत्री​ त्रिवेंन्द्र सिंह रावत एवं सचिव वित्त, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित नेगी द्वारा उनकी सभी मांगों पर तत्काल सकारात्मक आश्वासन दिया गया है। वहीं आयुष चिकित्सकों एवं कर्मचारियों की इन्हीं मांगों को पूरा करने में सरकार ध्यान नहीं दें रही है। आयुष प्रदेश में आयुष चिकित्सकों एवं कर्मचारियों की घोर उपेक्षा की जा रही है और उनके साथ भेदभाव​पूर्ण एवं सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। यही वजह है कि, उनकी एक दिन की वेतन कटौती वापिस लेने, एक माह के वेतन के बराबर प्रोत्साहन भत्ता देने तथा डीएसीपी जैसी मांगों पर सकारात्मक कार्यवाही करने में हीलाहवाली की जा रही है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण बात है।

डॉ पसबोला द्वारा आगे बताया गया कि, यदि सरकार द्वारा आयुष चिकित्सकों की मांगों पर शीघ्र ही सकारात्मक आश्वासन नहीं दिया गया तो आयुष चिकित्सकों को कोरोना काल में भी कार्य बहिष्कार एवं आन्दोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ सकता​ है। जिसकी जिम्मेदारी स्वयं सरकार की होगी।

प्रान्तीय उपाध्यक्ष डॉ अजय चमोला द्वारा भी उत्तराखण्ड सरकार द्वारा आयुष चिकित्सकों के साथ हो रहे भेदभाव को अनुचित बताया गया है।