क्या विधायकों के वेतन-भत्तों में कटौती का साहस दिखा पाएगी त्रिवेंद्र सरकार
– जीएमवीएन कर्मियों के वेतन में 25 फ़ीसदी कटौती का जारी किया गया है फरमान
– सरकार के मुखिया राजस्व को सरकारी खजाने में डालने के बजाए डालते रहे अपनी जेब में
– कर्मचारियों के आर्थिक हितों पर डाका डाल रही सरकार
देहरादून। विकासनगर स्तिथ जनसंघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने आज एक ब्यान जारी करते हुए कहा कि, सरकार द्वारा जीएमवीएन कर्मियों के वेतन में 25 फ़ीसदी कटौती कर उनका आर्थिक उत्पीड़न शुरू कर दिया गया है। बड़ी हैरानी की बात है कि, पहले से ही वेतन के लिए कई-कई माह इंतजार करने के बाद उनको वेतन मिल पाता है, अब एक चोट और मारकर सरकार ने इनकी परेशानी में और इजाफा करने का काम किया है।
दुर्भाग्य की बात है कि, गरीब निगम कर्मचारी, जोकि पहले से ही अल्प वेतन में अपना गुजारा कर रहा है तथा अधिकांश कर्मचारी किराए के मकान व बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के बाद बामुश्किल दो वक्त की रोटी निकाल पाते हैं, उनका वेतन काट कर सरकार ने दिखा दिया है कि, उसका कर्मचारी के हितों से कोई लेना देना नहीं है। मुखिया की माफियाओं से जुगलबंदी ने भी प्रदेश को आर्थिक नुकसान पहुंचाया है।
एक ओर प्रदेश के विधायकों को 30,000 वेतन + 2,95,000 भत्ते प्रतिमाह यानी लगभग 3.25 लाख रुपए मुफ्त में दिए जा रहे हैं तथा जनता की आंखों में धूल झोंकने के उद्देश्य से उन विधायकों से मात्र 30 फ़ीसदी कटौती वेतन में से की गई यानी मात्र ₹9,000 प्रतिमाह। इसके साथ-साथ 3.75 करोड रुपए सालाना निधि ,जिसमें 25 से 35 फ़ीसदी तक कमीशन का खेल किसी से छुपा नहीं है। विधायकों पर हाथ डालने से सरकार डर रही है लेकिन इन गरीब कर्मचारियों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है। मोर्चा ने कर्मचारियों से आह्वान किया कि, प्रदेश के लिए नासूर बन चुकी इस भ्रष्ट सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए आगे आएं।