Exclusive: कोरोना के कहर से तो बच जाएंगे लेकिन मौत आयेगी कूड़ा निस्तारण केंद्र से

कोरोना के कहर से तो बच जाएंगे लेकिन मौत आयेगी कूड़ा निस्तारण केंद्र से

– खेतो में बह रहा है शीशमबाड़ा कूड़ा निस्तारण केंद्र का जहरीला पानी
– निस्तारण केंद्र में खड़ा हो गया कूड़े का पहाड़

रिपोर्ट- सतपाल धानिया
विकासनगर। शीशमबाड़ा कूड़ा निस्तारण को सरकार ने एक उपलब्धि के तौर पर पेश किया था लेकिन सरकार की यह उपलब्धि पछ्वादून वासियों के लिऐ अभिशाप बन गयी है, एक ओर जहां पूरी दुनिया कोरोना वायरस से खुद को बचाने के लिऐ जंग लड़ रही है, तो वही सेलाकुई और आसपास के दर्जनो गांव कोरोना वायरस के कहर के साथ-साथ कूड़ा निस्तारण केंद्र के कहर से भी जंग लड़ रहे है। लॉकडाउन की वजह से सभी ग्रामीण घरों में कैद है। लेकिन क्षेत्रवासियों का दम कूड़ा निस्तारण केंद्र से निकलने वाली दुर्गंध से घरों में भी घुट रहा है। कूड़ा निस्तारण केंद्र से निकलने वाली जानलेवा दुर्गंध से क्षेत्रवासी आजिज आ चुके है। लोगो को दुर्गंध की वजह से खिड़की दरवाजे बंद करके रखने पड़ रहे है। लोगो को कूड़ा निस्तारण केंद्र से निकलने वाली दुर्गंध की वजह से गंभीर बीमारियां होने लगी है।

         कूड़ा निस्तारण केंद्र के विरोध में चला था लंबा आन्दोलन

क्षेत्र में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी अपने पैर पसार चुकी है।लेकिन मानको को ताक पर रखकर बनाए गए कूड़ा निस्तारण केंद्र पर कोई कार्यवाही करने को तैयार नही है। नीलम थापा, आशा रावत, नीमा जोशी, बीना बमराडा, कुसुम भट्ट, रजनी चतुर्वेदी, सुधीर रावत, शशि कुमार, निरंजन चौहान, संदीप भंडारी, उमा पंवार, रीता शर्मा, प्रेम सिंह नेगी, सीएम जोशी, सहित सैकड़ों ग्रामीणो का कहना है कि, कोरोना वायरस के प्रकोप से तो क्षेत्र की जनता बच जायेगी लेकिन कूड़ा निस्तारण केंद्र की वजह से क्षेत्र में एक दिन लाशों के अंबार लगेंगे। सरकार को क्षेत्रवासियों के जीवन से कोई सरोकार नही है। सरकार सब कुछ जानते हुए भी लाखो लोगो के जीवन से खिलवाड़ कर रही है।

कूड़ा निस्तारण केंद्र का दूषित पानी मिल रहा है भूजल में

शीशमबाड़ा कूड़ा निस्तारण केंद्र का दूषित पानी अब प्लांट से बाहर खेतो में बहनें लगा है। जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। पूर्व में भी कूड़ा निस्तारण केंद्र का दूषित पानी पीने से मवेशियों की मौत हो चुकी है। साथ ही निस्तारण केंद्र का दूषित पानी भूगर्भ जल में भी मिल रहा है। जिससे क्षेत्र में जलजनित बीमारियों ने अपने पांव पसार लिऐ है।

ग्रामीण हर दर पर लगा चुके है गुहार नही है कोई रहनुमा

कूड़ा निस्तारण केंद्र के दुष्प्रभाव से त्रस्त ग्रामीणो ने राष्ट्रपति प्रधानमंत्री राज्यपाल मुख्यमंत्री एवं संबंधित सभी विभागो में अपनी गुहार लगाई लेकिन कोई भी सुध नहीं ले रहे है। कूड़ा निस्तारण केंद्र के विरोध में क्षेत्रवासी लंबे समय से धरना प्रदर्शन भूख हड़ताल कर रहे है। लेकिन लाखो लोगो के जीवन की किसी को भी परवाह नही है। कूड़ा निस्तारण केंद्र की वजह से लोग पलायन तक करने को मजबूर हो गए है कोई भी अब सेलाकुई में अपनी बेटी की शादी करने को तैयार नही है। क्षेत्र में सामूहिक भोज भी नही कर सकते क्योंकि कूड़ा निस्तारण केंद्र से निकलने वाली दूषित हवा से खाना खराब हो जाता है।

कूड़ा निस्तारण केंद्र के पास नही है पर्यावरण प्रदूषण विभाग की एनओसी

शीशमबाड़ा कूड़ा निस्तारण केंद्र को पर्यावरण प्रदूषण विभाग द्वारा मिलने वाली एनओसी अगस्त 2019 से नही है। लेकिन निस्तारण केंद्र को अवैध रूप से संचालित किया जा रहा है। लेकिन पर्यावरण प्रदूषण विभाग द्वारा कोई भी कार्यवाही या मुकदमा दर्ज नही किया जा रहा है। जिससे क्षेत्रवासियों का विश्वास शासन प्रशासन से उठता जा रहा है। साथ ही प्लांट में रैमकी कंपनी द्वारा कूड़े का जो पहाड़ लगा दिया है। उसकी अनुमति आज तक प्लांट प्रबंधन द्वारा नहीं ली गयी है। कूड़ा निस्तारण के नाम पर यहां सिर्फ कूड़े का पहाड़ खड़ा किया जा रहा है।