विरासत महोत्सव-2024: आज बेशुमार यादों के साथ हुआ समापन। “रिच संस्था” ने जताया सभी का आभार
- गीत का जादू बिखेरने में “उषा उत्थुप” का सांस्कृतिक प्रदर्शन “विरासत” में रहा बहुत खूब
- आयोजनकर्ता “रिच संस्था” ने विरासत महोत्सव के बहुत ही शानदार सफलता के लिए किया आकर्षक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देने वाले सभी मशहूर कलाकारों, ONGC प्रशासन, दून पुलिस, यातायात पुलिस, विद्युत विभाग, सुरक्षा व्यवस्था में लगे होमगार्ड जवानों, सभी नागरिकों, विरासत के मेहमान एवं गवाह बने लाखों लोगों व सभी स्टालों के संचालकगणों का धन्यवाद एवं धनतेरस की दीं हार्दिक शुभकामनाएं व बधाइयां
- 15 दिन तक निरंतर चलने वाले विरासत महोत्सव की कवरेज करने वाले प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया बंधुओं, संपादकों का भी मुख्य रूप से रिच संस्था ने किया धन्यवाद और जताया आभार
देहरादून। ONGC के डॉ.भीमराव अंबेडकर स्टेडियम में निरंतर 15 दिन तक चले विरासत महोत्सव-2024 का आज ढेर सारी अद्भुत, अनोखी, आकर्षक एवं खूबसूरत यादों के साथ समापन हो गया है।
इस आयोजन को पूरी तरह से सफल बनाने वाली ‘रिच संस्था’ ने विरासत के उन सभी लाखों मेहमानों का हृदय से धन्यवाद एवं आभार व्यक्त किया है, जिन्होंने इस आयोजन को सफल एवं आकर्षित बनाने में अपना सहयोग दिया।
रिच संस्था के महासचिव श्री आरके सिंह ने कहा कि विरासत महोत्सव-2024 प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी देवभूमि देहरादून में अपनी अमिट छाप बेहतरीन सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां के साथ छोड़ गया है।
उन्होंने कहा कि विरासत महोत्सव जन सहभागिता एवं सांस्कृतिक कलाकारों व उनके प्रेमियों, प्रशंसकों के बिना सफल नहीं हो सकता।
संस्था के महासचिव आर के सिंह ने कहा कि 15 दिन तक चले इस भव्य एवं आकर्षित करने वाले विरासत महोत्सव के सफल आयोजन के लिए ओएनजीसी प्रशासन, अग्निशमन विभाग, दून पुलिस, विद्युत विभाग, विभिन्न स्टालों के संचालकगणों, सुरक्षा व्यवस्था में लगे होमगार्ड जवानों, यातायात पुलिस के अलावा विरासत महफिल के लाखों गवाह व मेहमान बने लोगो का मैं रिच संस्था परिवार की ओर से हृदय से धन्यवाद करता हूं और दीपावली पर्व, धनतेरस की शुभकामनाएं भी देता हूं।
संस्था के महासचिव सिंह ने कहा कि मैं विरासत महोत्सव में प्रतिदिन नियमित रूप से समाचारों के सफल संकलन अथवा कवरेज के लिए प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अलावा सोशल मीडिया का भी हृदय से धन्यवाद करता हूं।
आरके सिंह ने मुख्य रूप से समाचार संकलन के लिए संपादकों द्वारा प्रदान किए गए सहयोग के लिए उनका भी हृदय से धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा कि विरासत महोत्सव पिछले तीन दशक से भी अधिक समय से निरंतर आयोजित किया जाता रहा है।
उन्होंने कहा कि विरासत की महफिल 15 दिन तक निरंतर शानदार महफिल के रूप में देश-विदेश में विख्यात नामी सांस्कृतिक कलाकारों को लेकर विरासत के मंच पर पहुंची और विरासत के मेहमानों को इन्हीं सांस्कृतिक हस्तियों से उनकी आकर्षक कलाओं के माध्यम से रूबरू कराया है।
अगले वर्ष भी रिच संस्था यह प्रयास विरासत के अपने लाखों मेहमानों, प्रशंसको के लिए करेगी कि अगली महफिल और भी खूबसूरत एवं आकर्षक बनाई जा सके।
विरासत महोत्सव को पूरी तरह से सफल एवं आकर्षण का केंद्र बनाने वाली रिच संस्था की टीम में महासचिव आरके सिंह के अलावा निदेशक कार्यक्रम लोकेश ओहरी, ट्रस्टी हरीश अवल, संयुक्त सचिव विजयश्री जोशी, निदेशक क्राफ्ट सुनील वर्मा, मीडिया प्रभारी प्रियंवदा अय्यर तथा कार्यालय प्रशासक प्रदीप मैथल शामिल हैं।
गीत का जादू बिखेरने में “उषा उत्थुप” का सांस्कृतिक प्रदर्शन “विरासत” में रहा बहुत खूब
संगीत के ‘सुरों’ को धरातल पर बिखेरने और ‘विरासत की महफिल’ में सुर-संगम का लयबद्ध वातावरण घोलने वाली मशहूर कलाकार उषा उत्थुप ने अपनी शानदार प्रस्तुति से आज की महफिल में चार-चांद लगा दिए और श्रोताओं का मन मोह लिया।
उषा उथुप ने विरासत के इस मंच पर अपनी जिस टीम के साथ बेहतरीन प्रदर्शन किया उसमें ऑक्टोपैड पर अमल रॉय, बास गिटार पर नेपाल शॉ, कीबोर्ड पर शुभोजीत धर, लीड गिटार पर संपद सामंत, साउंड इंजीनियर गौतम बसु, संगीत निर्देशक श्री समरीश कर्माकर शोभायमान रहे।
विरासत में आज की अंतिम सांस्कृतिक संध्या विरासत के लाखों मेहमानों के लिए हमेशा के लिए यादगार बन गई है। आज मंगलवार की संध्या में महान संगीतकार एवं विश्व भर में अपना नाम ऊंचा रखने वाली उषा उत्थुप ने आज की विरासत की संध्या में अपने सांस्कृतिक हुनर वाले बेहतरीन संगीत से सभी का मन मोह लिया, उनकी सांस्कृतिक संध्या की महफिल में हजारों लोग जुटे।
उषा उत्थुप ने 54 से अधिक वर्षों तक संगीत के माध्यम से सीमाओं को पार किया है और संगीत के माध्यम से प्रेम और एकता, शांति और सद्भाव, सहिष्णुता और अखंडता और खुशी का संदेश फैलाया है।
भारत और दुनिया भर में डिस्कोथेक से लेकर संगीत समारोहों तक उन्होंने युवाओं को संगीत के उन मूल्यों के बारे में बताया है जो हमें मानव बनाते हैं।
वह अपने विश्वास के अनुसार जीती हैं, पारंपरिक परिधानों में सजे सबसे समकालीन गीतों को भी प्रस्तुत करती हैं, जो इस तथ्य को दर्शाते हैं कि भारत अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान के साथ विश्व संस्कृतियों का एक सच्चा मिश्रण है।
वह एक पारंपरिक मध्यम वर्गीय दक्षिण भारतीय परिवार से आती हैं। उनका करियर 1969 में चेन्नई के नाइट क्लब नाइन जेम्स से शुरू हुआ और उन्होंने सौ से अधिक एल्बम रिकॉर्ड किए हैं।
वह सत्रह भारतीय भाषाओं और आठ विदेशी भाषाओं में गाती हैं। उषा की धुन एक सार्वभौमिक भाषा बोलती है और धर्म, नस्ल, राष्ट्रीयता और जाति से परे है। उन्होंने दूर-दराज की संस्कृतियों में लोगों को एक भारतीय महिला की एक अप्रत्याशित छवि दी है।
वे मजबूत, स्वतंत्र, विनोदी, बुद्धिमान और प्रतिभा से भरपूर मिजाज अपने भीतर रखती हैं। उन्होंने मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी के लिए काम किया है, जिसमें प्रेम दान, शिशु भवन, कालीघाट, कोलकाता में मरने वालों के लिए घर के लिए धन जुटाया है।
गीत के माध्यम से दुनिया के समुदायों को एक साथ लाने के लिए योगदान के लिए उन्हें केन्या की कुंजी से सम्मानित किया गया। उन्होंने स्पास्टिक्स एसोसिएशन, लेप्रोसैरियम के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है और देश भर में कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों के लिए घर का समर्थन किया है।
अनेक गैर सरकारी संगठनों और सरकार के साथ कैंसर, एड्स, महिला तस्करी, बाल शोषण के लिए अनुसंधान का समर्थन किया है। एड्स के लिए रिचर्ड गेरे फाउंडेशन के साथ काम किया है। महिलाओं के सशक्तिकरण से संबंधित गैर सरकारी संगठनों के साथ काम करने का सौभाग्य भी उनको मिला है।
उन्होंने सड़क पर रहने वाले बच्चों और रेड लाइट एरिया से आने वाले बच्चों के लिए काम किया है,यूरोप, अफ्रीका और एशिया में ICCR के माध्यम से भारत का प्रतिनिधित्व भी किया। उन्हें वर्ष 2011 में प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार मिला है। उन्हें 2011 में फिल्म फेयर पुरस्कार मिला।
वर्ष 2024 में प्रतिष्ठित पद्म भूषण पुरस्कार मिला। उन्होंने कुछ मलयालम, तमिल, कन्नड़ के साथ-साथ हिंदी और इंडी फिल्मों में गायक और अभिनेता के रूप में अभिनय करियर में भी एक दिलचस्प शुरुआत की। उनकी फिल्मोग्राफी और गाने यहाँ सूचीबद्ध करने के लिए अनगिनत हैं।