चार अध्यक्षों के भरोसे चल रहा 13 जिलों में उपभोक्ता आयोग
काशीपुर। उत्तराखंड में उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा करने वाले जिला उपभोक्ता आयोग खुद बदहाल हालात से गुजर रहे हैं। राज्य के 13 जिला उपभोक्ता आयोगों में से 9 जिलों में अध्यक्षों के पद लंबे समय से रिक्त पड़े हैं।
आश्चर्यजनक रूप से इन 9 जिलों की जिम्मेदारी केवल 4 जिलों में तैनात अध्यक्षों के कंधों पर है, जो बिना किसी अतिरिक्त वेतन या भत्ते के पर्वतीय जिलों में जाकर मामलों की सुनवाई कर रहे हैं।
सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन द्वारा खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग से सूचना मांगे जाने पर खुलासा हुआ कि सरकार ने न तो रिक्त पदों पर और न ही आगामी छह महीनों में खाली होने वाले पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधमसिंह नगर के अध्यक्षों को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
देहरादून के अध्यक्ष को उत्तरकाशी व टिहरी गढ़वाल, हरिद्वार के अध्यक्ष को पौड़ी गढ़वाल, चमोली व रुद्रप्रयाग, नैनीताल के अध्यक्ष को अल्मोड़ा व बागेश्वर और उधमसिंह नगर के अध्यक्ष को चंपावत व पिथौरागढ़ जिला उपभोक्ता आयोगों का अतिरिक्त कार्य सौंपा गया है।
सरकार का 19 मई 2023 का शासनादेश साफ करता है कि इस अतिरिक्त कार्य के लिए किसी प्रकार का विशेष वेतन या भत्ता देय नहीं होगा।
बावजूद इसके, ये अध्यक्ष नियमित अंतराल पर दूरस्थ जिलों में जाकर उपभोक्ता मामलों की सुनवाई कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर हरिद्वार के अध्यक्ष ने नवंबर 2024 से मई 2025 तक कई बार पौड़ी, रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों में जाकर न्यायिक कार्य किया।
कामकाज पर असर
विशेषज्ञों का कहना है कि यह वैकल्पिक व्यवस्था उपभोक्ता आयोगों की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर रही है। जिन जिलों में अध्यक्ष तैनात हैं, वहां मामलों की सुनवाई निर्धारित तिथियों पर न हो पाने से मामलों की तारीखें बार-बार स्थगित करनी पड़ रही हैं।
वहीं, अतिरिक्त प्रभार वाले जिलों में भी न्यायिक कार्य नियमित नहीं हो पा रहा है जिससे उपभोक्ता मामलों में अनिश्चितता बनी रहती है।
शासन से मांग
टैक्स सीएचआर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और उपभोक्ता अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने सरकार से मांग की है कि उपभोक्ता संरक्षण नियम 2020 (संशोधित) के तहत नियम 4 (4) का पालन करते हुए रिक्त और आगामी छह माह में रिक्त होने वाले पदों पर शीघ्र नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाए।
साथ ही जब तक नियुक्ति नहीं हो जाती तब तक अतिरिक्त कार्य के लिए अध्यक्षों को पर्वतीय भत्तों सहित अन्य भत्तों का प्रावधान किया जाए और अतिरिक्त कार्य हेतु माह, सप्ताह या तिथियों को पूर्व निर्धारित कर पारदर्शी व्यवस्था लागू की जाए।