खुलासा: इस अस्पताल ने आयुष्मान कार्ड पर 243 मरीजों का इलाज दर्शाकर किया 50 लाख का क्लेम। नोटिस जारी

इस अस्पताल ने आयुष्मान कार्ड पर 243 मरीजों का इलाज दर्शाकर किया 50 लाख का क्लेम। नोटिस जारी

देहरादून। आयुष्मान योजना में कार्ड धारक मरीजों का नि:शुल्क इलाज करने के लिए कालिंदी हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट चकराता रोड विकासनगर सूचीबद्ध है।

अस्पताल ने आयुष्मान कार्ड पर 243 मरीजों का इलाज दर्शाकर 50 लाख का क्लेम किया। मरीजों के इलाज से संबंधित किसी भी मेडिकल दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

आयुष्मान कार्ड पर मरीजों के इलाज में एक निजी अस्पताल का फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है। अस्पताल ने मरीजों के इलाज में जिस डॉक्टर का नाम ओडी, क्लीनिकल और डिस्चार्ज समरी में दर्शाया है।

वे अस्पताल में सेवाएं ही नहीं देते हैं। अस्पताल प्रबंधन ने 243 मरीजों का इलाज करने पर 50 लाख रुपये का क्लेम किया है।

राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के ऑडिट में यह खुलासा हुआ है। प्राधिकरण ने अस्पताल को कारण बताओ नोटिस जारी कर पांच दिन में जवाब मांगा है।

आयुष्मान योजना में कार्ड धारक मरीजों का निशुल्क इलाज करने के लिए सूचीबद्ध कालिंदी हाॅस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट चकराता रोड विकासनगर है।

अस्पताल ने आयुष्मान कार्ड पर 243 मरीजों का इलाज दर्शाकर 50 लाख का क्लेम किया। इसमें 173 यूरोलॉजी, 48 जनरल मेडिसिन, 22 जनरल सर्जरी के मामले थे। मरीजों के इलाज में अस्पताल ने क्लेम बिल में डॉ. एचएस रावत दर्शाया।

मरीजों के ओटी, क्लीनिकल और डिस्चार्ज समरी में डॉ. रावत के हस्ताक्षर किए गए।राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की ऑडिट जांच में पाया गया कि डॉ. एचएच रावत ने मरीजों का इलाज ही नहीं किया। उनका सेलाकुई में मेडीकेयर हॉस्पिटल चल रहा है।

डॉ. रावत ने प्राधिकरण को लिखित में जवाब दिया कि कालिंदी हास्पिटल में किसी भी मरीज का इलाज नहीं किया गया और न ही वे अस्पताल में सेवाएं देते हैं।

अस्पताल को योजना से बाहर करने की कार्रवाई

मरीजों के इलाज से संबंधित किसी भी मेडिकल दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इस फर्जीवाड़े पर राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अपर निदेशक प्रशासन अतुल जोशी ने अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी कर पांच दिन में जवाब मांगा है। इसके बाद प्राधिकरण की ओर से अस्पताल को योजना से बाहर करने की कार्रवाई की जाएगी।

चार साल में 58 अस्पतालों पर हुई कार्रवाई

आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा करने वाले अस्पतालों पर सरकार और राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने कार्रवाई की है। चार साल में 58 निजी अस्पतालों पर कार्रवाई की गई। इसमें प्राधिकरण ने 110 करोड़ की वसूली की। साथ ही 4.5 करोड़ का जुर्माना लगाया गया।