मानकों को ताक पर रख संचालित हो रहा हॉटमिक्स प्लांट। बेखबर प्रशासन
रिपोर्ट- गिरीश चंदोला
थराली पिण्डर क्षेत्र में तमाम नियम कानूनों को धत्ता बताते हुए पिछले लंबे समय से रात के अंधेरे में पिंडर घाटी के ग्वालदम-कर्णप्रयाग राष्ट्रीय राजमार्ग पर मींग गधेरे के समीप एक हॉटमिक्स प्लांट का खुलेआम संचालन हों रहा हैं।
जिम्मेदार महकमों के अधिकारी कानों में उंगली डाल आंखें मूंदें हुए हैं। जिससे हाॅटमिक्स संचालकों के हौंसले बुलंद बनें हुए हैं।
दरअसल 5-6 सालों पहले ग्वालदम-कर्णप्रयाग राष्ट्रीय राजमार्ग जोकि सीमा सड़क संगठन के अधीन है के चौड़ीकरण के बाद उस पर हाॅटमिक्स के लिए सरकार ने इस सड़क के मध्य में मींगगदेरें के पास सड़क किनारे तमाम पाबंदियों के साथ हाॅटमिक्स प्लांट स्थापित करने की स्वीकृति दी थी।
किंतु पिछले एक वर्ष से अधिक समय से बीआरओ के द्वारा अपनी सड़क पर ना तों हाॅटमिक्स का काम किया जा रहा है और ना ही किसी सड़क पर पेंटिंग का काम किया जा रहा हैं। बावजूद इसके मींगगदेरे के हाॅटमिक्स प्लांट पर धड़ल्ले से मानकों, नियम, कानून को ताक पर रखकर रात के अंधेरे में मिक्सीग कर प्रति रात 20 से 30 ट्रक तैयार माल बहारी क्षेत्रों में भेजा जा रहा हैं।
बताया जा रहा हैं कि, अंधेरा घिरते ही इस प्लांट पर मिक्सीग का कार्य शुरू हो जाता हैं और उजाला होते ही प्लांट पर तमाम गतिविधियां पूरी तरह बंद कर दी जाती हैं।
जब बीआरओ के द्वारा पेंटिंग व हाॅटमिक्स का काम पूरी तरह बंद हैं तों ऐसे में सवाल ये उठ रहें है कि, रात के अंधेरे का फायदा उठाकर इस हॉटमिक्स प्लांट से सामग्री आखिर भेजी कहाँ जा रही है। प्लांट के समीप रात होते ही डंपरों की कतार तो कुछ इसी ओर इशारा कर रही है कि, प्लांट रात को अवैध तरीके से चलाया जा रहा हैं और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए जिम्मेदार विभाग गहरी नींद सो रहे हैं।
बड़ी बात यह भी हैं कि, राष्ट्रीय राजमार्ग के जिस स्थान पर प्लांट स्थापित किया गया हैं, उसके वहां पर सड़क के दोनों ओर रोड़ी, रेत के ढेर लगाएं गए हैं। जिसका सीधा प्रभाव सामान्य यातायात पर भी पड़ रहा हैं। आज तक भी पुलिस, प्रशासन एवं बीआरओ के द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवैध रूप से रखें गए उपखनिज के भंडारण को हटाने एवं इसके संबंध में जानने तक का प्रयास नही किया जा रहा हैं। जिससे पुलिस, प्रशासन एवं बीआरओ की भूमिका पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहें हैं।
इस संबंध में थराली के उपजिलाधिकारी सुधीर कुमार के मुताबिक उन्हें हॉटमिक्स प्लांट के रात्रि में संचालित होने की कोई जानकारी तक नहीं है। मामले में जांच की जाएगी। बड़ी बात यह है कि, इस हॉटमिक्स प्लांट की दूरी नारायणबगड़ तहसील मुख्यालय से करीब 3 किमी एवं थराली तहसील से करीब 10 किमी की दूरी पर स्थित है।
प्रति दिन यहां से अधिकारीयों के आना-जाना लगा रहता है। ऐसे में प्रशासन के आला अधिकारियों के बयानों से तो यही लगता है कि या तो अंधेरे की आड़ में हॉटमिक्स प्लांट का संचालन प्रशासन की मिलीभगत से हो रहा है।
अथवा इस का संबंध किसी हाईप्रोफाइल लोगों की संलिप्तता के कारण प्लांट पर कार्रवाई करने से भी प्रशासन अधिकारी घबरा रहे है जो भी हैं। इसका नुकसान सरकार एवं आम जनता को ही भुगतना पड़ रहा हैं।
पिछले 5-6 वर्षों से हाॅटमिक्स प्लांट का जिस स्थान पर संचालन किया जा रहा हैं। उसके आस-पास के पेड़ पौधों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा हैं। यहां पर अभी तक छोटे-बड़े दर्जनों पेड़-पौधे सूख चुके हैं और पश्चिमी वन रेंज नारायणबगड़ इस ओर ध्यान देने तक को तैयार नही हैं।
प्लांट स्थापना में तमाम पर्यावरणीय नियमों को ताक पर रखा गया हैं। प्लांट के चारों ओर उड़ने वाले धूल को रोकने के लिए इसे कवर करने के लिए टिन तक खड़े नही की गई हैं।
यहां पर जलने वाली बिजली भी बनी रहस्य।
दरअसल जिस स्थान पर प्लांट स्थापित हैं। वहां बिजली की कोई भी ओपन लाइन नही हैं। बावजूद इसके इस स्थान पर रात-दिन जले रहने वाली बिजली रहस्य बनी हुई हैं कि, आखिर बिजली की लाइन यहां कहां से आई हुई हैं।