अग्नि अखाड़े में पनपा विवाद, बने तीन ब्रह्मचारी

अग्नि अखाड़े में पनपा विवाद, बने तीन ब्रह्मचारी

– अब कालीपीठ पर कौन होगा आसीन, इसका फैसला अभी नहीं

रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। अग्नि अखाड़े के काली मंदिर पीठाधीश्वर संत कैलाशानंद के अग्नि अखाड़ा छोड़कर निरंजनी अखाड़े के सन्यासी बन जाने के बाद अब काली मंदिर पीठ पर अपने शिष्य अंकुश को बैठाने की तैयारी कर ली है। कैलाशानंद के शिष्य अंकुश का आज शाम अग्नि अखाड़े में ब्रह्मचारी के रूप में अभिषेक किया गया। इसी के साथ ही दो अन्य ब्रह्मचारियों को भी अग्नि अखाड़े के संत के रूप में दीक्षा दी गई। कैलाशानंद भले ही निरंजनी अखाड़े में चले गए हो मगर अग्नि अखाड़े के स्वामित्व वाली काली मंदिर पीठ पर भी वह आजीवन पीठाधीश्वर बने रहेंगे। उनके बाद पीठ पर उनका शिष्य ही पीठाधीश्वर बनेगा। जिसे आज अग्नि अखाड़े के संत की दीक्षा देकर उसके काली पीठाधीश्वर बनने का रास्ता साफ हो गया है। मगर इसको लेकर अग्नि अखाड़े में विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई। इसी को लेकर आज जूना अखाड़ा आवाहन अखाड़ा और अग्नि अखाड़े के पदाधिकारियों ने बैठक की।

समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव के पारिवारिक आध्यात्मिक गुरु कैलाशानंद ब्रह्मचारी के अखाडा बदल लेने के बाद खाली हुई प्रसिद्ध काली मंदिर पीठ पर भी अखाड़े ने नए पीठाधीश्वर को बैठाने की तैयारी कर ली है। काली मंदिर पीठ अग्नि अखाड़े के स्वामित्व में है। जबकि अभी तक इस पीठ पर अग्नि अखाड़े के संत कैलाशानंद ब्रह्मचारी आसीन थे। उनके काली पीठ का पीठाधीश्वर रहते काली पीठ को ना केवल ख्याति मिली बल्कि पीठ का विकास भी हुआ। कैलाशानंद की प्रतिष्ठा और प्रसिद्धि को देखते हुए ही निरंजनी अखाड़े ने उन्हें निरंजनी अखाड़े के सर्वोच्च पद आचार्य महामंडलेश्वर बनाने का एलान कर दिया। जिसके बाद वह हाल ही में अग्नि अखाड़ा छोड़कर निरंजनी अखाड़े में शामिल हो गए थे।

निरंजनी अखाड़े में जाने के बाद भी कैलाशानंद अग्नि अखाड़े के स्वामित्व वाली काली मंदिर पीठ बने रहे। निरंजनी का सन्यासी बनने के बाद ही उन्होंने साफ कह दिया था कि, वह अपने जीवित रहते काली पीठ नही त्यागें और उनके बाद उनका ही कोई शिष्य अग्नि अखाड़े में दीक्षित होकर इस पीठ पर आसीन होगा। कैलाशानंद को निरंजनी अखाड़े में शामिल हुए अभी एक हफ्ता भी नही हुआ है कि, आज उन्होंने अचानक ही अपने नाबालिग पीए शिष्य अंकुश शुक्ला को अग्नि अखाड़े के ब्रह्मचारी दीक्षित करा दिया। कैलाशानंद ने साफ-साफ कह दिया कि, उनका शिष्य आज अग्नि अखाड़े में दीक्षित हुआ है और वही अब काली पीठ का संचालन करेगा और फिलहाल काली पीठ के पीठाधीश्वर वह स्वयं रहेंगे।

दरअसल काली पीठ पर आसीन कैलाशानंद ब्रह्मचारी अग्नि अखाड़े के महामंडलेश्वर भी थे। उन्हें निरंजनी अखाड़े ने अपने अखाड़े का आचार्य महामंडलेश्वर बनाने का फैसला किया इसी को देखते हुए कैलाशानंद ब्रह्मचारी को अग्नि अखाड़ा छोड़ निरंजनी का सन्यासी बनना पड़ा। परम्परानुसार अखाड़ा बदल लेने के बाद कैलाशानंद को अग्नि अखाड़े के स्वामित्व वाली सभी सम्पतियों पर अब उनका कोई अधिकार नही बनता है। वह उस पीठ को भी अपने शिष्य के जरिये अपने पास रखना चाहते है। आज कैलाशानंद ने अपने शिष्य अंकुश को दीक्षा दी जो अब अवन्तिकानंद ब्रह्मचारी होगा। मगर अग्नि आखाड़े के महन्तो ने साफ कर दिया कि, काली पीठ पर कैलाशानंद का शिष्य अंकुश जिसे आज दीक्षा देकर अवन्तिकानंद ब्रह्मचारी बना दिया गया है उसे नही बल्कि आज दीक्षित किये गए दूसरे शिष्य कृष्णानंद ब्रह्मचारी को बैठाया जयेगा। कैलाशानंद के शिष्य अंकुश को गुजरात के सौराष्ट्र में अग्नि अखाड़े की दूसरी पीठ में भेजने की घोषणा कर दी जिसके बाद कैलाशानंद और अग्नि अखाड़े में विवाद बढ़ना तय माना जा रहा है।

वही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री और जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष हरि गिरि का कहना है कि, हमारे तीनों अखाड़ों की आपातकाल में बैठक होती है और यह हमारी प्राचीन परंपरा है। जूना अखाड़े, अग्नि अखाड़े, आवाहन अखाड़े का कोई मामला हो उसको लेकर बैठक कर सभी निर्णय लेते हैं। आज तीनों अखाड़ों की संयुक्त रूप से यहां बैठक थी और अग्नि अखाड़े के मामले को लेकर बैठक में चर्चा की गई। क्योंकि अग्नि अखाड़ा 10 नामियो का अखाड़ा है और दक्षिण कालीपीठ अग्नि अखाड़े की एक शाखा ब्रांच है। इनका कहना है कि, तीनों अखाड़े नहीं चाहते की कैलाशानंद निरंजनी अखाड़े में चले जाए और ना ही इन्हें जाना चाहिए। क्योंकि कोई भी अपना घर कमजोर नहीं करता यह शिष्टाचार व्यवस्थाएं होती है। इस बैठक में हमारे द्वारा चिंतन किया गया कि, अग्नि अखाड़े का विकास कैसे किया जाए और किसी भी प्रकार के विवाद में अग्नि अखाड़ा ना फंसे। इसलिए कई विकल्पों पर हमारे द्वारा चर्चा की गई और यह कई दिनों से चर्चा चल रही थी, आज जूना आवाहन और अग्नि अखाड़े के पदाधिकारियों द्वारा बैठक की गई।

बता दें कि, अग्नि अखाड़े से निरंजनी अखाड़े में गए कैलाशानंद ब्रह्मचारी को लेकर आज तीनों ही अखाड़ों द्वारा बैठक कर तीन ब्रह्मचारी बनाए गए। जिनको आने वाले समय में कैलाशानंद जिन पीठों पर विराजमान थे। उन पीठों पर बिठाया जाएगा। इसी को लेकर तीनों अखाड़ों द्वारा बैठक में चर्चा की गई। मगर अभी तक कोई निर्णय नहीं निकला कि, उन पीठों पर किस ब्रह्मचारी को बिठाया जाएगा। क्योंकि कैलाशानंद अपने शिष्य को बिठाना चाहते हैं तो वहीं अग्नि अखाड़े के सभापति ने साफ कहा है कि, वह अग्नि अखाड़े के पदाधिकारी है और उनके द्वारा ही ब्रह्मचारी को पीठ पर बिठाने का कार्य किया जाएगा।