कुम्भ 2021: शाही स्नान को लेकर अखाड़ों में वाग्युद्ध शुरू

शाही स्नान को लेकर अखाड़ों में वाग्युद्ध शुरू

रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की इलाहाबाद में हुई बैठक में किन्नर अखाड़े को फर्जी बताए जाने के निर्णय से अखाड़ा परिषद में ही विवाद पैदा हो गया है। अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरिगिरि महाराज ने इस निर्णय पर अपनी नाराजगी दिखाई है और अखाड़ा परिषद के महामंत्री पद से इस्तीफा देने की बात तक कर डाली। साथ ही उन्होंने कहा कि किन्नर अखाड़ा जूना अखाड़ा के साथ ही कुंभ में स्नान करेगा।

अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरी गिरी का कहना है कि, किन्नर अखाड़ा हमारा था, हमारा है और हमारा रहेगा। भले ही इसके लिए मैं अखाड़ा परिषद से निकाल दिया जाऊं, मैं स्वयं महामंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा। भले ही अखाड़ा परिषद का अंग भी नही रहूंगा पर किन्नर अखाड़े को नही छोडूंगा। क्योकि मैंने वचन दिया है और 20 आदमियों और किन्नर अखाड़े में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट किया है। इसलिए मेरा कार्य वचन की रक्षा करना है और किन्नर अखाड़ा जूना के साथ स्नान करे या नही करें पर वचन से बड़ा स्नान नही है।

2010 में भी स्नान छोड़ दिया था और संकल्प लेता हूँ एक बार नही पूरी जिंदगी भी कुम्भ स्नान नही करना पड़े तो कोई दुख नही होगा। मैं पूरी तरह से किन्नर अखाड़े के साथ हूँ और स्नान किन्नर अखाड़े के साथ करूंगा, नही तो नही करूंगा। उन्होंने तो यहां तक कहा कि इस निर्णय के हिसाब से उन्होंने विश्वास खो दिया है और बहुमत का आदर करना चाहिए जो निर्णय लिया गया है, मैं उसका सम्मान करता हूँ। मैने बहुमत खो दिया है या मैं महामंत्री पद पर नही हूँ या मुझे पद से हटा दिया हो इसके लिए सबका धन्यवाद, अगर बर्खास्त किया गया होगा तो एजेंडा मिल जाएगा। इनका कहना है कि किन्नर अखाड़े ने प्रयागराज में जूना अखाड़े के साथ किया था स्नान।

किन्नर अखाड़े की आचार्या की अखाड़ा परिषद को चुनौती

प्रयागराज में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक में किन्नर अखाड़ा को कुंभ मेला 2021 हरिद्वार में प्रतिबंध लगाए जाने पर अखाड़ा परिषद में ही दो फाड़ होते नजर आ रहे हैं। क्योंकि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरी गिरि ने इस फैसले का विरोध किया है और महामंत्री पद से इस्तीफा देने तक की बात कही है। वही किन्नर अखाड़े कि आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने अखाड़ा परिषद को खुली चुनौती दे डाली है उनका कहना है कि, वह हरिद्वार कुंभ मेले में जूना अखाड़े के साथ मिलकर शाही स्नान करेंगे उन्हें किसी से सर्टिफिकेट लेने की आवश्यकता नहीं है।

उन्होंने यह भी कहा कि, 2021 के हरिद्वार कुंभ में किन्नर अखाड़ा जूना अखाड़े के साथ जरूर शाही स्नान करेगा। अखाड़ा परिषद की जो प्रयागराज में बैठक हुई और कुछ चुनिंदा लोगों ने किन्नर अखाड़े के लिए निर्णय लिया मैं इस निर्णय को नकारती हूं। क्योंकि इसका कोई वजूद नहीं है। किन्नरों का वजूद आज से नहीं अनंत आदि काल से है सत्य सनातन धर्म में किन्नर हमेशा रहे हैं और रहेंगे। हमें किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है और किसी के द्वारा दी गई मान्यता की भी जरूरत नहीं है।

2019 में जूना अखाड़े ने पुरुषार्थ दिखाते हुए किन्नर अखाड़े को अपना बनाया और शाही स्नान किया हम 2021 में भी जूना अखाड़े के साथ ही स्नान करेंगे। मैं जूना अखाड़े के संरक्षक हरि गिरि महाराज को नमन करती हूं उन्होंने बदलते समय में अपने सनातनी लोगों को सात रखा और अपने साथ लेकर चल रहे हैं। यही दूसरे अखाड़ों को भी उनसे सीख लेनी चाहिए कि अपने धर्म से कोई भी विमुख ना हो यह अखाड़ों को सोचना चाहिए ना कि किन्नर अखाड़े पर कोई आक्षेप लगाए और ना ही कोई कटाक्ष करें, हमें कटाक्ष के साथ जीना आता है।

प्रयागराज में 2017 के कुंभ मेले में जूना अखाड़े ने अपने साथ शाही स्नान करवाया था उस वक्त भी अखाड़ा परिषद द्वारा किन्नर अखाड़ा का विरोध किया गया था। मगर 2021 के हरिद्वार कुंभ में किन्नर अखाड़े पर प्रतिबंध लगाने के बाद अखाड़ा परिषद भी दो फाड़ में नजर आ रहा है। क्योंकि हरि गिरि ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री पद से इस्तीफा देने की बात की है तो वही किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने भी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद को खुली चुनौती दी है कि, वह 2021 के हरिद्वार कुंभ में जूना अखाड़े के साथ ही शाही स्नान करेगे। अब देखना होगा इस मामले में अखाड़ा परिषद क्या अपने महामंत्री हरी गिरी के आगे झुकता है या फिर इस बार के महाकुंभ में किन्नर अखाड़ा पर प्रतिबंध लगता है यह देखने वाली बात होगी।