Exclusive: सोशल मीडिया पर छाया पुरानी पेंशन का मुद्दा

सोशल मीडिया पर छाया पुरानी पेंशन का मुद्दा

रिपोर्ट- मनोज नौडियाल
कोटद्वार। कोरोना के काल मे जब कर्मचारियों की सुनवाई कहीं नहीं हो रही है। कर्मचारियों में सोशल मीडिया को संघर्ष का नया हथियार बना दिया है। 7 जून को अाेपीएस के लिए एक दीपक आंदोलन के बाद संयुक्त मोर्चा ने 21 जून 2020 को उत्तराखण्ड राज्य में राजकीय कर्मचारियों एनअाेपीआरयूएफ राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा की पहल पर बीपी सिंह रावत के राष्ट्रीय नेतृत्व में एक राष्ट्रव्यापी जन जागरूकता अभियान चलाया। समस्त एनपीएस कर्मचारियों ने सोशल मीडिया पर पोस्टर के माध्यम से सीधे प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को सम्बोधित करते हुए पुरानी पेंशन बहाली की मांग की। राज्य के समस्त अधिकारी शिक्षक कर्मचारियों ने उक्त कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। उक्त कार्यक्रम में चार्ट व पोस्टर पर पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लिखते हुए राज्य के समस्त nps कर्मचारियों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए जनप्रतिनिधियों व अन्य कर्मचारियों को टैग भी किया।
जिले भर में हज़ारों कर्मचारियों ने सोशल मीडिया पर अपनी बात रखी।

उक्त मांग प्रदर्शन हेतु कला शिक्षक शिक्षिकाओं ने रचनात्मक पोस्ट बनवाए। कई कर्मचारियों ने अपने पाल्यों के माध्यम से भी मांग को प्रदर्शित किया। कुछ कर्मचारियों ने नए-नए ढंग से नारों और कविताओं के माध्यम से पुरानी पेंशन की मांग रखी। कर्मचारियों ने योग दिवस को ध्यान में योग आसनों के साथ इस मांग को प्रदर्शित किया। कर्मचारियों ने स्वास्थ्य के लिए जीवन मे योग अपनाने का सुझाव भी इस माध्यम से दिया। कर्मचारियों का कहना है कि, राज्य में राजकीय कर्मचारियों पर लादी गई नई पेंशन योजना में कर्मचारियों का अंशदान वेतन का 10 प्रतिशत है। जिसमे सरकार 14 प्रतिशत अपना अंशदान देती है।कुल धन को शेयर बाजार में लगा दिया जाता है। इस योजना में न किसी प्रकार का जीपीएफ है।

सेवानिवृत्त होने पर अंतिम वेतन का 50% भी नहीं मिलता है। मिलता है तो मात्र 1-2 हज़ार मासिक। जो कि भीख के समान है, और यह 30-40 सालों की सेवा के बाद प्राप्त होती है। कर्मचारियों का कहना है यदि यह पेंशन योजना इतनी कारगर है तो विधायकों और सांसदों को भी यही पेंशन योजना दे देनी चाहिए। जिंन्हे दो बार पद में रहने पर दो पेंशन मिलती हैं।जबकि कर्मचारियों को एक पेंशन भी देय नहीं है। कर्मचारियों का कहना है कि, आज देश की सामरिक व आर्थिक स्थिति यदि सही नही है तो कर्मचारियों के धन को देश हित मे उपयोग कर। उन्हें पुरानी पेंशन का लाभ दे सकती है।

संयुक्त मोर्चे के प्रदेश संयोजक मिलिन्द बिष्ट का कहना है कि, ops कर्मचारियों को बिना भरोसे में लिए एक थोपी गयी योजना है। आज देश की समस्त राजकीय संस्थाएं मोर्चे के साथ पुरानी पेंशन की बहाली की मांग में लामबंद हो रही हैं। सरकारों को यह समझना चाहिए कि, अधिक देर तक इस मांग को दबाया नही जा सकता। संयुक्त मोर्चा कार्यक्रमों को लगातार इस क्रम को बनाये रखेगा। ताकि इस मांग को कर्मचारियों की प्रमुख मांगो में लाया जा सके। पेंशन को एक व्यक्तिगत राजनीतिक मुद्दा होने से बचाना भी मोर्चे के परम कर्तव्यों में से एक है।

बतौर प्रदेश संयोजक में मीडिया कर्मियों, मोर्चे के हज़ारों राजकीय कर्मचारियों, अधिकारियों, शिक्षा , एनआेपीआरयूएफ, राजकीय शिक्षक संघ, सचिवालय संघ का आभार व्यक्त करता हूँ। जिन्होंने राजनीति से ऊपर उठकर इस कार्य्रकम में उत्साह पूर्वक प्रतिभाग किया।आेपीएस की मांग को बल दिया।