बड़ी खबर: स्कूलों द्वारा चलाई जा रही ऑनलाइन क्लासों को तत्काल प्रभाव से कराया जाए बन्द

स्कूलों द्वारा चलाई जा रही ऑनलाइन क्लासों को तत्काल प्रभाव से कराया जाए बन्द

– बाल अधिकारों का हनन नहीं बल्कि शिक्षा के अधिकार व अधिनियम का भी हो रहा उलंघन

देहरादून। निजी स्कूलों द्वारा फीस को लेकर लाभ के लोभ के कारण बच्चों के उत्पीड़न के विरुद्ध व MHRD एवं उत्तराखंड राज्य सरकार शासनादेश के विपरीत जाकर छोटे बच्चों को ऑनलाइन क्लास के नाम पर होमवर्क देकर मानसिक तौर पर प्रताड़ित किये जाने को लेकर NAPSR ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय/राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और बाल आयोग में की शिकायत की थी। दिनांक- 11/05/20 को नैशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स (NAPSR) ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय/राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राज्य बाल आयोग को निजी/प्राइवेट स्कूलों द्वारा ऑनलाइन के नाम पर बच्चों को मानसिक व शारिरिक प्रताड़ना के विरुद्ध लिखित शिकायती पत्र भेज कर तुरन्त प्रभाव से ऑनलाइन क्लॉस बन्द करने की अपील की है।

जानकारी देते हुए NAPSR के अध्यक्ष आरिफ खान ने बताया कि, COVID- 19 के कारण लॉकडाउन के चलते सभी निजी व सरकारी ऑफिस, कार्यालय और प्रतिष्ठान बंद है। हजारों लोगों की नौकरी जा चुकी है, लाखों लोगों के काम धंधे बन्द पड़े हैं और साथ ही सरकारी और गैर सरकारी स्कूल बंद चल रहे हैं, ऐसे मे राज्य द्वारा फीस को लेकर दिए गए शासनादेश को देखते हुए सभी निजी/प्राइवेट स्कूलों ने ऑनलाइन क्लॉस शुरू कर दी। जिसमे ऑनलाइन के नाम पर व्हाट्सएप पर काम भेजना और यू ट्यूब पर वीडियो भेज कर बच्चों को होमवर्क दिया जा रहा। इन ऑनलाइन क्लॉस के कारण प्ले ग्रुप और KG तक के छोटे-छोटे मासूम बच्चों को 05 से 06 घण्टे तक पहले मोबाइल के सामने बैठना पड़ता है और फिर ऑफलाइन जाकर घण्टो होमवर्क करना पड़ता है।

बच्चों को एक ही जगह घण्टो तक गर्दन और आँखे झुकाकर मोबाइल के सामने बैठने के कारण का बेहद उनकी सेहत पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है और भविष्य मे भी उनको बेहद विकट बीमारियों से गुजरना पड़ सकता है। जिसके प्रमाण स्वरूप हमने शहर और अन्य राज्यों के प्रतिष्ठित मनोवैज्ञानिक डॉ० कैलाश बरमोल/फिजियोथेरेपिस्ट डॉ० श्याम बाबू/पूर्व निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य उत्तराखंड डॉ०अजित गैरोला और फिजिशियन व एमडी डॉ० अवधेश यादव से भी परामर्श लिया गया है जिनके द्वारा दिये गए परामर्श व निर्देश इस पत्र के साथ संलग्न किये गए हैं। ऐसे मे एक तरफ जहां निजी/प्राइवेट स्कूल फीस के लालच मे बच्चों का मानसिक और शारिरिक शोषण कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर मानव संसाधन विकास मंत्रालय व उत्तराखंड शासन के उन आदेशों की भी धज्जियां उड़ा रहे हैं।

जिसमे स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया है कि, कक्षा 02 तक के बच्चों को किसी भी स्कूल द्वारा होमवर्क नही दिया जाएगा। किन्तु निजी/प्राइवेट स्कूलों द्वारा ऑनलाइन क्लॉस के नाम पर मासूम बच्चों को लगातार होमवर्क दिया जा रहा है। जिससे बच्चों की आंखों व मासपेशियों की शिकायत आने लगी हैं। आरिफ ने कहा कि, सभी निजी/प्राइवेट स्कूलों मे 25% वो बच्चे पढ़ते हैं जिनका दाखिला RTE के अंतर्गत होता है, महोदया/महोदय यहां विचार करने योग्य यह बात है कि, जो अभिभावक अपने बच्चों की फीस और ड्रेस नही खरीद पाने के कारण अपने बच्चों को RTE के अंतर्गत पढ़ाते हैं वो अभिभावक ऑनलाइन क्लॉस के लिए स्मार्टफोन, टेबलेट, लेपटॉप या डेस्कटॉप कहाँ से लाएंगे और ऊपर से नेट का खर्चा अलग से करना पड़ता है।

ऐसे मे उन बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है और वो बच्चे अन्य बच्चों की अपेक्षा पढ़ाई से वंचित रह जाएंगे और यह बच्चों के साथ दुर्व्यवहार की श्रेणी में आता है। जो कि न सिर्फ बाल अधिकारों का हनन है, बल्कि शिक्षा के अधिकार के अधिनियम का भी उलंघन है। अतः हम एसोसिएशन के माध्यम से अनुरोध करते हैं कि, निजी/प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस के लिए लाभ के लोभ में चलाई जा रही ऑनलाइन क्लासों को तत्काल प्रभाव से बन्द कराया जाए और ऑनलाइन क्लॉस के नाम पर मासूम बच्चों के होने वाले शरीरिक व मानसिक शोषण पर अंकुश लगाकर उन्हें वर्तमान व भविष्य में होने वाली असहनीय बीमारियों व उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों से बचाने की कृपा करें।