मैक्स अस्पताल में 56 वर्षीय महिला के कॉलोनिक ट्यूमर का हुआ सफल इलाज
– घातक बीमारी को शुरुआती अवस्था में ही बढ़ने से रोका गया
– हो सकती थी रोगी की स्थिति खराब
देहरादून। मैक्स हॉस्पिटल, देहरादून में 56 वर्षीय महिला के 12 सेमी के कॉलोनिक ट्यूमर का सफलता पूर्वक एंडोस्कोपिक रिसेक्शन किया गया और अगले ही दिन उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। कैंसर युक्त कोलोनिक ट्यूमर का आकार काफी बड़ा होने के कारण यह प्रक्रिया एंडोस्कोपिक म्यूकोसल रिसेक्शन (ईएमआर) और एंडोस्कोपिक सबम्यूकोसल डिसेक्शन (ईएसडी) के संयोजन से की गई। बता दें कि, पूरे भारत के मैक्स हॉस्पिटल में ऐसा पहली बार हुआ है कि, इतने बड़े आकार के ट्यूमर को एंडोस्कोपी की मदद से हटाया गया है।
जानकारी के लिए बता दें कि, इस महिला के मल में खून आया था। शहर के एक अस्पताल में जांच करने पर उसकी बड़ी आंत (कोलन) में एक बड़े ट्यूमर का पता चला और उसकी बायोप्सी में शुरुआती कैंसर के स्पष्ट संकेत मिले। वहां के डॉक्टरों ने बड़ी आंत के प्रभावित क्षेत्र को हटाने के लिए ओपन सर्जरी कराने की सलाह दी। जब उसने दूसरे ओपिनियन के लिए मैक्स हॉस्पिटल देहरादून से संपर्क किया, तो डॉक्टरों ने उसे एंडोस्कोपिक प्रक्रिया कराने के लिए सलाह दी। ताकि उक्त महिला को कोई बडी सर्जरी और उससे संबंधित जटिलताओं का सामना न करने पड़े।
मेडिकल डायरेक्टर और एचओडी डॉ रविकांत गुप्ता ने बताया कि, ʺमल में रक्त आना एक असामान्य घटना नहीं है। क्योंकि ऐसा पाइल्स या पॉलीप्स जैसी कई अन्य बीमारियों के कारण भी हो सकता है। हालाँकि, यह कैंसर जैसी गंभीर समस्या का संकेत भी दे सकता है। जो कि, इस मामले में था। हमने एंडोस्कोपिक रिसेक्शन करने का फैसला किया और ईएमआर और ईएसडी की एक संयुक्त तकनीक के साथ पूरे ट्यूमर को हटा दिया। अगले दिन ही उसे छुट्टी दे दी गई। इस तरह वह महिला एक बहुत बड़ी सर्जरी और इसकी जटिलताओं से बच गई।ʺ डॉ़ रविकांत गुप्ता ने ही गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के कंसल्टेंट डॉ मयंक गुप्ता के साथ यह सफल ऑपरेशन किया है।
डॉ मयंक गुप्ता के अनुसार ʺकोलोन कैंसर दुर्लभ नहीं है। और यह पश्चिमी दुनिया में अधिक आम है। लेकिन 12 सेमी आकार का ट्यूमर किसी भी मानक द्वारा एक विशाल ट्यूमर है। ओपन सर्जरी में पेट में बड़ा चीरा लगाया जाता है। जिससे संक्रमण से रक्तस्राव, बृहदान्त्र (कोलन) के बड़े हिस्से को नुकसान पहुंचने और लीक होने का खतरा बढ़ जाता है। जिसके कारण फिर से सर्जरी करनी पड़ सकती है। जिससे पोस्ट ऑपरेटिव दर्द और रुग्णता हो सकती है। यही नहीं, ओपन सर्जरी होने पर इस महिला को 7 से 10 दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ता और खर्च बहुत बढ़ जाता। सरल और तकनीकी रूप से पसंदीदा एंडोस्कोपिक रिसेक्शन के माध्यम से इन सभी परेशानियों से मुक्ति मिल गई।ʺ
बताना जरूरी होगा कि, बृहदान्त्र (कोलन) को बड़ी आंत के रूप में भी जाना जाता है। जो पाचन तंत्र का अंतिम हिस्सा है। कोलन कैंसर आमतौर पर अधिक उम्र के वयस्कों में देखा जाता है। प्रारंभिक चरण में पॉलीप के रूप में ऊतक के छोटे कैंसर रहित गांठ (बिनाइन स्टेज) होते हैं। जो बृहदान्त्र की अंदरूनी परत में बनते हैं। समय के साथ, वे बड़े कैंसरयुक्त गांठ/ट्यूमर (मेलिग्नेंट) में विकसित हो जाते हैं।
कोविड संक्रमण के जोखिम के डर से एंडोस्कोपिक सर्जरी को सभी आवश्यक सावधानियों के साथ संपन्न किया गया और महिला को कोविड- 19 होने के जोखिम को रोकने के लिए 2 दिनों के बाद ही अच्छी स्थिति में छुट्टी दे दी गई। महिला अब पूरी तरह से स्वस्थ है और अपनी दिनचर्या में वापस आ गई है।
उपाध्यक्ष और यूनिट हेड डॉ संदीप सिंह तंवर ने कहा कि, ʺमैक्स हॉस्पिटल, देहरादून इस महामारी के दौरान सभी आपात स्थितियों और चिकित्सा/क्लीनिकल मामलों के इलाज के लिए हमेशा आगे रहा है। हमारी टीम यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं कि, इस प्रकोप के कारण गैर कोविड उपचार में बाधा न आए। राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बीच, मैक्स हॉस्पिटल, देहरादून बिना किसी ब्रेक के हमेशा की तरह अपने समर्थन, सेवाओं और कार्यों का विस्तार/संचालन कर रहा है।ʺ