बड़ी खबर: अर्धकुंभ 2027 से पहले साधु-संतों में खींचतान, जूना अखाड़े से दो महामंडलेश्वर निष्कासित

अर्धकुंभ 2027 से पहले साधु-संतों में खींचतान, जूना अखाड़े से दो महामंडलेश्वर निष्कासित

हरिद्वार। अर्धकुंभ 2027 से पहले हरिद्वार में साधु-संतों के दो धड़ों में बंटने के संकेत स्पष्ट हो गए हैं। जूना अखाड़े ने महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि और महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि को अखाड़े से बाहर कर दिया है।

दोनों साधु रविवार को भारत सेवा आश्रम में स्थानधारी संतों की बैठक में शामिल हुए थे, जिसके बाद देर शाम अखाड़े ने कार्रवाई करते हुए दोनों को निष्कासित कर दिया।

अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष मोहन भारती महाराज ने आरोप लगाया कि दोनों साधुओं ने बैठक में सरकार और प्रशासन के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया तथा आने वाले कुंभ मेले की तैयारियों को बाधित करने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि स्वामी प्रबोधानंद गिरि के खिलाफ पहले भी गंभीर शिकायतें लंबित थीं।

संतों के दो गुट आमने-सामने

कुंभ मेले से पहले साधु-संतों के बीच वर्षों पुरानी खींचतान एक बार फिर उभरकर सामने आई है। रविवार को स्थानधारी संतों ने गुरुमंडल आश्रम में बैठक कर घोषणा की कि अब वे अखाड़ा परिषद की तर्ज पर अखिल भारतीय आश्रम परिषद का गठन करेंगे।

इन संतों का कहना है कि सरकार केवल अखाड़ों को तवज्जो दे रही है, जबकि आश्रमों के संत भी कुंभ मेले की व्यवस्थाओं में अहम भूमिका निभाते हैं।

महामंडलेश्वर यतींद्रानंद गिरि, जो 2009 में हरिद्वार से भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं, ने कहा कि कुंभ केवल अखाड़ों का आयोजन नहीं है, बल्कि सभी साधु-संतों का पर्व है। इसलिए सरकार को सभी पक्षों को समान रूप से शामिल करना चाहिए।

2027 अर्धकुंभ को लेकर विवाद बढ़ा

अर्धकुंभ 14 जनवरी 2027 से शुरू होकर अप्रैल तक चलेगा। इस बार इसे ‘महाकुंभ’ की तर्ज पर भव्य बनाने की तैयारी है, लेकिन कुछ संतों ने इसे परंपराओं से छेड़छाड़ बताते हुए विरोध जताया है।

अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता बाबा हठयोगी ने कहा कि पहले कुंभ की तैयारियों में आश्रमों के साधु-संतों को भी बुलाया जाता था, लेकिन इस बार उनकी अनदेखी की जा रही है, जिससे असंतोष बढ़ रहा है।