बिग ब्रेकिंग: देहरादून नगर निगम में करोड़ों का वेतन घोटाला, 99 फर्जी कर्मचारी उजागर

देहरादून नगर निगम में करोड़ों का वेतन घोटाला, 99 फर्जी कर्मचारी उजागर

  • 31 वार्डों में सालों तक चला खेल, पुलिस की जांच से मचा हड़कंप

रिपोर्ट – अमित भट्ट

देहरादून। नगर निगम देहरादून के बड़े स्वच्छता समिति वेतन घोटाले में पुलिस जांच ने बड़ा खुलासा किया है। शहर के 100 में से 31 वार्डों में कई साल तक फर्जीवाड़ा चलता रहा, जिसमें 99 फर्जी कर्मचारियों के नाम पर करोड़ों रुपये वेतन के रूप में हड़प लिए गए। अब इन वार्डों की पुष्टि होने के बाद निगम से लेकर राजनीति तक हड़कंप मच गया है।

पुलिस ने कस ली पूछताछ की कमर

करीब डेढ़ साल पहले उजागर हुए इस घोटाले की फाइल जब पुलिस तक पहुंची तो एक-एक कर परतें खुलने लगीं। पुलिस ने स्वच्छता समितियों के अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष से करीब एक महीने तक लगातार पूछताछ की। अब पुलिस की नजर उन हस्ताक्षरों पर है, जिनके आधार पर करोड़ों रुपये समिति खातों में भेजे गए।

शिकायत में साफ, 99 कर्मचारी थे ‘गायब’

तीन माह पूर्व नगर निगम के उप नगर आयुक्त (विधि) गौरव भसीन ने शहर कोतवाली में तहरीर दी थी। इसमें खुलासा हुआ कि भौतिक सत्यापन में 99 कर्मचारी मौके पर अनुपस्थित पाए गए, जबकि उनके नाम पर लगातार वेतन जारी होता रहा।

नियम तोड़े, डीबीटी से हटकर समिति को दिया वेतन

सरकारी प्रक्रिया के अनुसार कर्मचारियों का वेतन सीधे बैंक खाते में डीबीटी से जाना चाहिए था, लेकिन जून 2019 से नियम बदलकर पूरा भुगतान समितियों को कर दिया गया।

इसके बाद समिति ने कर्मचारियों की सूची थमाई और निगम ने एकमुश्त राशि उनके खाते में डाल दी। न तो क्रॉस-वेरिफिकेशन हुआ और न ही यह निगरानी कि सफाईकर्मियों तक पैसा पहुंचा भी या नहीं।

इन 31 वार्डों में हुआ फर्जीवाड़ा

मालसी, दून विहार, विजय कॉलोनी, श्रीदेव सुमन, वसंत विहार, पंडितवाड़ी, इंद्रा नगर, कांवली, राजीव नगर, लाडपुर, नेहरूग्राम, रायपुर, मोहकमपुर, चक तुनवाला-मियांवाला, लोहिया नगर, माजरा, भारूवाला ग्रांट, बंजारावाला, मोथरोवाला, पित्थूवाला, मेहूंवाला-1, मेहूंवाला-2, आरकेडिया-1, आरकेडिया-2, नत्थनपुर-1, नत्थनपुर-2, नवादा, हर्रावाला, बालावाला, नकरौंदा और नथुवावाला।

अब बढ़ी राजनीतिक हलचल

31 वार्डों में हुए इस वेतन घोटाले ने नगर निगम प्रशासन ही नहीं, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी भूचाल ला दिया है। इनमें से कई वार्डों पर भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज पार्षद काबिज रहे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में इस घोटाले का राजनीतिक असर और भी गहराने की संभावना है।