सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिया जवाब, सोशल मीडिया से लोकतांत्रिक राजनीति को खतरा
देहरादून। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि, इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर भड़काऊ बयान, फर्जी खबरें और गैरकानूनी व राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में भारी इजाफा हुआ है। इस मामले में मजबूत, प्रभावी व विस्तृत नियम बनाने की जरूरत है। जिसके लिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से और तीन महीने देने की गुहार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि, पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया के इस्तेमाल में भारी इजाफा हुआ है और इंटरनेट दरें कम होने से, स्मार्ट फोन की उपलब्धता व बहुलता के कारण अधिक से अधिक लोग इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। सोशल मीडिया साइट्स को और जवाबदेह बनाने की जरूरत है। इंटरनेट, लोकतांत्रिक राजनीति को अकल्पनीय व्यावधान का प्रभावशाली हथियार हो गया है।
लिहाजा इसे लेकर कड़े नियम बनाने की दरकार है। क्योंकि, इससे व्यक्तिगत अधिकार और देश की अखंडता, संप्रभूता और सुरक्षा पर खतरा बढ़ता जा रहा है। फेसबुक, व्हाट्सएप, यू ट्यूब आदि सोशल मीडिया प्लेटफार्म की जवाबदेही को लेकर प्रभावी नियम बनाने की जरूरत है। सोशल मीडिया साइट्स को कटेंट प्रसारित व प्रचारित करने के लिए और जवाबदेह बनाने की जरूरत है। इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा दायर इस हलफनामे में कहा गया कि, फेसबुक, व्हाट्सएप जैसे इंटरमीडयरिज को लेकर 2011 में बनाए गए नियमों को दुरूस्त करने की जरूरत है। नए नियमों को लेकर सलाह व सुझाव मांगे जा रहे हैं। मंत्रालय ने कहा कि, सोशल मीडिया कंपनियां सहित अन्य हितधारकों के साथ ही कई दौर की बैठक भी हो चुकी है।
मंत्रालय ने हलफनामे में कहा है कि, एक ओर जहां तकनीक से आर्थिक प्रगति और सामाजिक विकास होता है। वहीं दूसरी ओर इसकी वजह से भड़काऊ बयान, फेक न्यूज, राष्ट्रविरोधी गतिविधियां समेत अन्य गैरकानूनी गतिविधियों में भी खासा बढ़ोतरी हो रही है। यह एक जटिल मसला है क्योंकि, इसका प्रभाव नेटीजन्स, सरकारी विभागकों, वेबसाइट और मोबाइल एप्लीकेशन आदि पर प्रभाव पड़ेगा। लिहाजा मजबूत और प्रभावी नियम बनाने की दरकार है। लिहाजा सरकार ने कहा कि, उसे नए नियमों को अंतिम रूप देने के लिए तीन महीने का वक्त चाहिए। सरकार के इस हलफनामे पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को विचार करेगा।