SGRRU में बोली एवं भाषाओं के उत्थान पर विद्धवतजनों ने एक सुर में किया समर्थन
- शिक्षा में वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली की भूमिका तथा भारतीय भाषाओं में इसका अनुप्रयोग विषय पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन का सम्मापन
- विद्ववतजनों ने कहा बिना बोली भाषाओं के उत्थान के समाज व देश का उत्थान सम्भव नहीं
देहरादून। अपनी मां , अपनी माटी और अपनी भाषा को हमेशा याद रखना चाहिए। वर्तमान दशक ज्ञान का दशक है। इस दशक में भाषा ने ज्ञान को चुना है। मेरी भाषा मेरा अभिमान है। इस विचार को देश भर में एक क्रांति के रूप में फैलाने की आवश्यकता है।
वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, भारत सरकार, नई शब्दावली, इसके निर्माण, प्रयोग व प्रचार प्रसार को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर कार्य कर रहा है। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय में देश के विभिन्न राज्यों के विश्वविद्यालयों से आए कुलपतियों, भाषा विशेषज्ञों एवं विद्धवतजनों ने दो दिवसीय सम्मेलन में तकनीकी शब्दावली व भाषा से जुडे़ शोध एवं नवीन अनुसंधानों पर गहनता से मंथन किया।
सम्मेलन के दूसरे दिन समापन अवसर पर बोली एवम् भाआओं के उत्थान, सरंक्षण एवं संवद्धन से जुड़े बिन्दुओं का भी विद्धतजनों ने एकसुर में समर्थन किया। सेमिनार के दूसरे दिन शोधार्थियों ने शोधपत्र प्रस्तुत किए।
शनिवार को श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एवं कामर्स स्टडीज की ओर से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन हुआ। कार्यक्रम में डाॅ सुलेखा डंगवाल, कुलपति, दून विश्वविद्यालय ने बतौर मुख्य अतिथि भाग लिया।
उन्होंने कहा कि देश में बोली एवं भाषाओं को समृद्ध व पहुंच योग्य बनाने के लिए विद्धवतजनों को भी आगे आकर अपनी भूमिका निश्चित करनी होगी। अंग्रेजी भाषा को ज्ञान के साथ जोड़कर किसी व्यक्ति की रचनात्मकता की तुलना नहीं की जा सकती है।
अंग्रेजी भाषा बोलने के उपनिवेशवाद का वह दौर अब अस्त की ओर है जब केवल धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलने वाले को ही विद्वता का पैमाना माना जाता था। उन्होंने कहा कि भाषा को ज्ञान के साथ जोड़कर रचनात्मकता नहीं किया जा सकता है।
अपनी भाषा के बारे में सही समझ व ज्ञान रखकर अपने किसी भी पेशेवर पढ़ाई की महारथ हासिल कर सकते हैं। जर्मनी चीन जैसे देश इसका ज्वलंत उदाहरण हैं।
श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एंड कामर्स स्टडीज की डीन एवं सम्मेलन की समन्वयक डाॅ पूजा जैन ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में तकनीकी शब्दावली की उपयोगिता एवं विभिन्न आयामों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग के सहायक निदेशक जय सिंह रावत ने जानकारी दी कि आयोग का ध्येय है कि आयोग के द्वारा जो भी शब्दावली व नए प्रयोग किए जा रहे हैं वह आमजन तक पहुंचें व उनका व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार हो।
हिमालयन विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ के.एन.जीना ने मनोविज्ञान को भाषा के महत्व के साथ जोड़कर कई उदाहरण प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि कोई भी भाषा अपने साथ बहुत बड़ा इतिहास लेकर साथ चलती है
मुख्य वक्ता स्मिता झा, आईआईटी रुड़की ने कहा कि 21वीं सदी में देश विकासशील देश की श्रेणी में यह चिंताजनक विषय है।
उन्होंने प्रधानमंत्री की मुहिम समृद्धि से सिद्धि तक के वाक्य को दोहराते हुए मेक इन इंडिया को मजबूत बनाने की वकालत की।
कार्यक्रम में प्रोफेसर गिरीश नाथ झा, अध्यक्ष वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, भारत सरकार, ने वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग की ओर से देश भर में किए जा रहे कार्यों के बारे में विस्तारपूवर्क जानकारी दी। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के कुलसचिव डाॅ अजय कुमार खण्डूड़ी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।