राजनीति: गैर जिम्मेदार हरीश का गैर जिम्मेदाराना कदम। लालकुआं से लड़ रहे चुनाव

गैर जिम्मेदार हरीश का गैर जिम्मेदाराना कदम। लालकुआं से लड़ रहे चुनाव

– तो क्या हरीश को नाम वापस कर महिलाओं को देना चाहिए सम्मान
– पहले रखा मान, एकाएक किया महिला का अपमान

रिपोर्ट- गिरीश भट्ट
हल्द्वानी। पूर्व मुख्यमंत्री ने लालकुआं विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि, वह कितने गैर जिम्मेदार है। अपनी उम्र के अन्तिम पड़ाव में पहुंच चुके हरीश सत्ता की लालसा अब भी अपने अन्दर पाले हुए है। इस बार हरीश पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चन्द्र दुर्गापाल और हरेन्द्र बोरा के कन्धे पर राजनीति कर रहे है। इससे पूर्व के चुनावों में भी ऐसा ही करते रहे है।

दरअसल, पूर्व में कांग्रेस ने संध्या डालाकोटी को लालकुआं से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया था, जिसके बाद हरीश दुर्गापाल व हरेन्द्र बोरा को संध्या डालाकोटी को टिकट दिया जाना हजम नहीं हो पाया। जिसके बाद पैराशूट से उतरे हरीश रावत ने अपनी बुद्धि का प्रयोग किया और अपने गणमण के साथ कांग्रेस से टिकट ले आए।

अब प्रश्न यही उत्पन्न होता है कि, क्या इस तरह महिला का अपमान लालकुआं विधानसभा की जनता भूल पाएगी ? जिसके बाद से हरीश रावत लालकुआं विधानसभा क्षेत्र में सैर करते और खेलकूद में मस्ती करते नजर आ रहे है। हरीश रावत ने लालकुआ में अब अपना घर लेने का भी निर्णय ले लिया है।

एक तरह से कह सकते है कि, हरीश रावत ने भी अब पहाड़ से पलायन कर लिया है। वैसे तो हरीश रावत को जहां कांग्रेस के कुनबे को एकजुट करने की जरूरत थी वहां ऐसे में लालकुआं विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना आम जनमानस के समझ से परे है।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत एक तरह से राजनीति में कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेता है, जो इस बार के विधानसभा चुनाव में महज सत्ता की लालसा में चुनाव लड़ते दिख रहे है। जबकि उनका मक़सद कांग्रेस का वरिष्ठ नेता होने के नाते कांग्रेस को एकजुटता के साथ चुनाव लड़ाना होना चाहिए था, पर हरीश की सत्ता की लालसा ने कांग्रेस को पूरी तरह तोड़ मरोड़ कर रख दिया है।

एक बार पूर्व में हरीश रावत को उत्तराखंड राज्य की कमान मिल चुकी है, जिस दौरान उनके द्वारा ना शिक्षा के क्षेत्र में सुधार हुआ, ना ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में कोई सुधार देखने को मिला। इसके विपरीत राज्य की छवि धूमिल तो हुई ही साथ ही राज्य को बेवजह राष्ट्रपति शासन का सामना करना पड़ा। बेशक इनके शासनकाल में राज्य के धन का दुरूपयोग देखने को मिला।

आज यह देखना दिलचस्प रहेगा कि, क्या हरीश रावत अपना नाम वापस लेकर महिलाओं को सम्मान देगें या फिर मैं की भावना से चुनाव लड़ेगें। वैसे कुछ लोगों का मानना है कि, हरीश रावत को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए, बल्कि कांग्रेस सत्ता में कैसे काबिज हो इस पर विचार करना चाहिए और कांग्रेस को एकजुट कर चुनाव लड़ाने का प्रयत्न करना चाहिए।

फिलहाल हरीश रावत के लालकुआं विधानसभा से चुनाव लड़ने से कांग्रेस पूरी तरह से कमजोर होती नजर आ रही है। लालकुआं विधानसभा सीट पर महिला प्रत्याशी को टिकट देकर कांग्रेस ने महिला सशक्तिकरण का जो आयाम दिया था, कहीं ना कहीं हरीश के चुनावी मैदान में उतरने के बाद कांग्रेस ने महिलाओं का जो अपमान किया है, वह कहीं ना कहीं कांग्रेस को कमजोर करता नजर आ रहा है।