सूक्ष्म जीव वैज्ञानिक ने किया शोध। कहा कुंभ मेले से ही फैला कोरोना का प्रकोप
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक रमेश चंद्र दुबे ने कई दिनों तक शोध करने के बाद यह दावा किया है कि, कुंभ मेला हरिद्वार कोरोना संक्रमण को फैलाने का सबसे बड़ा एक प्रमुख कारण रहा है। सूक्ष्म जीव वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि, कुंभ मेले में गंगा स्नान से कोरोना संक्रमण अत्यधिक तेजी के साथ फैला और कुंभ मेला हरिद्वार कोरोना संक्रमण को फैलाने का एक प्रमुख कारण रहा, जिसके कारण कोरोना संक्रमित होने की वजह से कुंभ में आए साधु अपनी जान गंवा बैठे। कई साधु और अन्य लोग कोरोना से बुरी तरह प्रभावित हुए, जिसका असर पूरे उत्तराखंड समेत कई राज्यों में देखने को मिला। वही साधु-संत इस शोध को गलत बता रहे हैं, तो उत्तरखंड सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री और वर्तमान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक इस सवाल से कन्नी काटते नजर आए।
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के सूक्ष्म जीव विज्ञान के वैज्ञानिक रमेश चंद्र दुबे का कहना है कि, हमारे द्वारा एक शोध किया गया है, कुंभ मेले में श्रद्धालु और साधु संत बड़ी संख्या में आए, इसके साथ ही कई राज्यों में चुनाव भी हुए उसमें भारी भीड़ जुटी इससे कोरोना महामारी बड़े पैमाने पर फैली। भारत सरकार द्वारा जो गाइडलाइन जारी की गई थी, उसका कहीं पर भी पालन नहीं हुुआ। हरिद्वार में गंगा स्नान करने पहुंचे श्रद्धालुओं की भारी भीड़ आई, जो श्रद्धालु हरिद्वार आ रहे थे, उन्होंने भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया। इसी कारण कई संतों ने अपनी जान गवाई। साथ ही कई साधु संत कोरोना संक्रमित हुए और हरिद्वार से दूसरे प्रदेश में जाकर कोरोना संक्रमण फैलाया होगा। इनका कहना है कि, कोरोना वायरस का थर्मल डैथ प्वाइंट और थर्मल एसटेब्लिटी प्वाइंट अलग-अलग है। जब वातावरण ड्राय होगा यानी खुश्क होगा तब यह संक्रमण कम जीवित रह सकता है। जैसे तापमान जायदा है और खुश्क है तो यह संक्रमण सिर्फ चार पांच दिन जीवित रह सकता है। इसके विपरित पानी नमी और कम तापमान में यह संक्रमण पच्चीस से अठाईस दिन तक जीवित रह सकता है।
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के सूक्ष्म जीव वैज्ञानिकों का मानना है कि, कुंभ मेला हरिद्वार में गंगा तट पर जुटे लाखों लोगों की मौजूदगी और गंगा स्नान कोरोना संक्रमण की मुख्य वजह रहा। क्योंकि वहां पर उसे जीवित मानव शरीर मिला और वह फैलता ही चला गया। उत्तराखंड और अन्य जगहों पर यह संक्रमण तेजी के साथ चला गया और लोगों की बीमारी व मौत का कारण बना, तो वही इस शोध को साधु संत गलत बता रहे हैं। निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्रपुरी का कहना है कि, कुंभ मेले में यज्ञ हवन अनुष्ठान किए जाते हैं। कुंभ मेले में आए सभी नागा सन्यासी और साधु संत अपना धुना लगाते हैं और हवन करने से वातावरण शुद्ध होता है। हवा में जितने भी कीटाणु होते हैं, वह नष्ट हो जाते हैं। इसपर शोध भी हुआ है। कोरोना महामारी कुंभ से नहीं फैली है, कुंभ मेले में कोरोना नहीं था जब कुंभ समाप्त हुआ तब एक बार फिर से कोरोना फैल रहा है।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा कुंभ मेले पर कई तरह की पाबंदियां लगाई गई थी, मगर नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत द्वारा सभी प्रकार की पाबंदियों को हटा दिया गया था। कुंभ मेले को आयोजित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हरिद्वार से विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री वर्तमान में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष कुंभ मेले को लेकर लगातार मुखर रहे हैं। मगर जब आज उनसे सूक्ष्म जीव वैज्ञानिक द्वारा शोध किए जाने के बाबत पूछा गया तो वह इस सवाल से कन्नी काट गए और बोले कि इसका जवाब संतो ने दे दिया है।
बता दें कि, सूक्ष्म जीव वैज्ञानिक के शोध में पाया गया है कि, जल में कोरोना संक्रमण लंबे समय तक जीवित रहता है और जब मनुष्य उस जल में स्नान करता है तो वह उसके शरीर में प्रवेश कर जाता है। फिर यह संक्रमण तेजी के साथ अन्य लोगों में भी फैलता है। कोरोना काल में हरिद्वार में कुंभ मेला आयोजित किया गया, जिस पर कोरोना संक्रमित साधु या अन्य श्रद्धालु जिन्होंने गंगा में स्नान किया उनकी वजह से यह संक्रमण ज्यादा फैल गया।