साहस: 18 वर्षीय सतबीर ने आग से खेल बचाई दो बहनों की जिंदगी

18 वर्षीय सतबीर ने आग से खेल बचाई बहनों की जिंदगी

– पांच बकरियां जली, मवासी घाम लगरी

रिपोर्ट- मनोज नौडियाल
कोटद्वार। मौत के साथ संघर्ष में जिंदगी की जीत हुई और 18 साल के सतबीर ने अपने साहस से न केवल खुद को, बल्कि अपनी दो बहनों को भी बचा लिया। घटना बीते रविवार शाम की है, पौड़ी गढ़वाल जिले के द्वारीखाल ब्लाक में ग्राम सिमल्या का रहने वाला सतबीर अपनी 35 बकरियों को लेकर जंगल में था, साथ में चचेरी बहन किरन (11) और रिश्ते की बहन सिमरन (13) भी थी, कोटद्वार बेस अस्पताल में उपचार करा रहे सतबीर ने बताया कि, जंगल में दूसरी ओर आग लगी हुई थी, लेकिन जिस तरफ वह थे, वहां सब कुछ ठीक ही लग रहा था। कुछ देर में उन्हें बकरियों को लेकर गांव लौटना था, इस बीच हवा चलने लगी, सतबीर के अनुसार वह बातों में इस कदर मशगूल थे कि, पता ही नहीं चला की कब वह लपटों से घिर चुके हैं।

एक बार तो विकराल आग को देख तीनों घबरा गये, दो किशोरियां रोने लगी, लेकिन सतबीर ने हिम्मत नहीं हारी। उसने तुरंत ही पेड़ों की हरी टहनियां तोड़ीं और आग बुझाना शुरू किया। इससे लपटों के बीच से निकलने का रास्ता बनाया, उसने तत्काल अपनी बहनों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया, जिसके बाद वह बकरियों को लेने पहुंचा, आग से पांच बकरियों की जान चली गई, लेकिन 30 को बचा लिया गया। हालांकि इस प्रयास में सतबीर काफी झुलस गया, उसके कपड़ों ने आग पकड़ ली थी, ऐसे में सतबीर तेजी से करीब तीन सौ मीटर दूर नदी की ओर भागा, उसने नदी में छलांग लगा दी, इस बीच घर पहुंची बहनों ने गांव में सूचना दी।

बेस चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. बागेश चंद्र काला ने बताया कि, सतबीर की स्थिति पहले से अच्छी है। आग के कारण उसके शरीर पर कुछ घाव हुए हैं, जिनका उपचार जारी है, कुछ दिन बाद सतवीर को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।

द्वारीखाल ब्लॉक के प्रमुख महेंद्र सिंह राणा ने बताया कि, मेरे द्वारा जिलाधिकारी और लैंसडौन डीएफओ को पत्र लिखा गया है, पत्र में जिलाधिकारी और डीएफओ लैंसडौन से घायल के परिवार को मदद व आग से जल कर मरी हुई बकरियों का मुआवजा देने की बात की गई है। सोमवार को पशुपालन विभाग के लोगों ने घटना स्थल पर पहुंचकर अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी है।