सरकार द्वारा जारी की गई एसओपी का विरोध और समर्थन
– संत व्यापारियों ने किया खुलकर विरोध
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। भारत सरकार द्वारा कुंभ मेले को लेकर एसओपी जारी की गई है। एसओपी में कुंभ मेले में भजन-कीर्तन भागवत कथा और बड़े आयोजनों को बैन किया गया है। एसओपी को लेकर साधु संत द्वारा इसका विरोध और समर्थन किया जा रहा है, तो वही हरिद्वार के व्यापारियों द्वारा एसओपी का खुलकर विरोध किया गया और केंद्र और राज्य सरकार से मांग की गई कि, एसओपी को चेंज किया जाए।
केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा जारी की गई एसओपी में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट लाना अनिवार्य किया गया है। सवाल यही उठता है कि, जब श्रद्धालु कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट लेकर आएंगे तो उसके बाद धार्मिक आयोजनों पर प्रतिबंध क्यों लगाया जा रहा है। इसको लेकर साधु संत भी बटे हुए नजर आए। महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी का कहना है कि, भारत सरकार धार्मिक आयोजन में काफी शक्ति कर रही है। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। क्योंकि देश में कई राज्यों में चुनाव और बड़ी-बड़ी जनसभाएं की जा रही है। किसानों का आंदोलन हो रहा है। मगर कुंभ मेले पर इतनी सख्ताई की जा रही है, इसे सनातन धर्म को मानने वाले लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंच रही है। साधु संत भजन कीर्तन और कथा करेंगे अगर उसको रोका गया तो हमारे द्वारा इसका विरोध किया जाएगा। इनका कहना है कि, राज्य सरकार द्वारा एक अप्रैल से गाइडलाइन जारी की जा रही है। उसके बाद अखाड़ा परिषद और साधु संत बैठक कर निर्णय लेंगे। क्योंकि कुंभ एक ऐसा आयोजन है, जिसमें सारी धार्मिक गतिविधियां होती है और उस पर प्रतिबंध लगाना बिल्कुल भी उचित नहीं है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि ने भारत सरकार द्वारा जारी की गई एसओपी का समर्थन किया है। हरि गिरि का कहना है कि, बाहर भजन कीर्तन करने की बजाय अपने घर में और संत अपने तंबू में भजन कीर्तन करे। इसकी कोई मनाही नहीं है। बस कहीं पर भी भीड़ इकट्ठी ना की जाए। इन्होंने बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं से भी अपील की है कि, अगर अपने परिवार का भला चाहतेे हो तो कुंभ मेल में आने से पहले कोरोना की जांच कराएं और गंगा किनारे स्नान कर सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन करें। हमारे द्वारा भी कोरोना की जांच कराई जा रही है और हम अपने अखाड़े के साधु-संतों से भी अपील कर रहे हैं कि, सब कोरोना की जांच कराएं और यह आदेश साधु-संतों और श्रद्धालुओं पर लागू रहेगा।
वहीं भारत सरकार द्वारा जारी की गई इस एसओपी का हरिद्वार के व्यापारियों द्वारा खुलकर विरोध किया गया है। व्यापारियों का कहना है कि, कुंभ लोगों की आस्था का विषय है। संविधान में भी लिखा है कि, आस्था पर ज्यादा सख्ताई नहीं की जा सकती। कुंभ के शाही स्नान पर सरकार को ध्यान देना चाहिए और बाकी दिनों में कुंभ के आयोजनों पर किसी भी प्रकार की कोई सख्ताई नहीं करनी चाहिए। भजन कीर्तन पर कोई पाबंदी नहीं लगनी चाहिए। क्योंकि भजन कीर्तन के बिना कुंभ निराधार हैै। व्यापारियों का कहना है कि, हम इस एसओपी से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है। हमारे द्वारा मुख्यमंत्री, देश के शिक्षा मंत्री, गृहमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से लिखित में अनुरोध किया गया हैै कि, हरिद्वार के हितों को देखकर एसओपी जारी की जाए।
बता दे कि, केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई इस एसओपी का जहां साधु संतों में विरोध और समर्थन देखने को मिल रहा है। वहां साधु संतों का कहना है कि, भजन कीर्तन और कथाओं पर रोक लगाई जाती है तो उनके द्वारा इसका विरोध किया जाएगा। तो वही व्यापारी इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं और उनके द्वारा मांग की गई है कि, धार्मिक आयोजन पर किसी भी प्रकार की पाबंदी ना लगाई जाए।