प्राचीन सभ्यता: विलुप्त होते मिट्टी के बर्तन की ओर इन दिनों लोग हुए आकर्षित

प्राचीन सभ्यता: विलुप्त होते मिट्टी के बर्तन की ओर इन दिनों लोग हुए आकर्षित

– इको फ्रेंडली मिट्टी के बर्तनों में भोजन करने से मिलती है कई बीमारियों निजात

रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। पुराने जमाने में मिट्टी के बर्तन काफी खास हुआ करते थे, क्योंकि मिट्टी के बर्तन में बना भोजन स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है। मगर मिट्टी के बर्तन आज विलुप्त होते जा रहे हैं। क्योंकि चकाचौंध जिंदगी में लोग अपनी पुरानी सभ्यता को भूलते जा रहे हैं। मगर धर्मनगरी हरिद्वार में इन दिनों मिट्टी से बने बर्तन जैसे कुकर, प्लेट, चम्मच, कटोरी आदि स्थानीय लोगो के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए है और स्थानीय लोगो में इन मिट्टी से बने बर्तनों को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। मिट्टी से बने बर्तनों का उपयोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में करने से कई जानलेवा बीमारियों से भी बचा जा सकता है। हरिद्वार में यह मिट्टी के बर्तन हरिपुर कला क्षेत्र में आसानी से मिल रहे है और इन बर्तनों को गुजरात से हरिद्वार लाया जा रहा है। हालांकि इन मिट्टी के बर्तनों की कीमत थोड़ी ज्यादा है, मगर लोहे एल्युमिनियम स्टील के बर्तनों के विपरीत इन मिट्टी के बर्तनों के उपयोग से कई बीमारियों से बचा जा सकता है।

इको फ्रेंडली मिट्टी के बर्तनों को लोगों तक पहुंचाने वाली अंजलि अग्रवाल ने बताया कि मैं वृंदावन से हूँ और मुझे पुरानी चीज़ों से काफी लगाव है। जब मैंने यह बर्तन देखे तो मुझे लगा क्यो ना इन चीज़ों का इस्तेमाल अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में किया जाए। लोगो ने पुरानी चीज़ों का उपयोग करना बंद कर दिया है। पुराने समय मे लोग मिट्टी के बर्तनों में खाना आदि चीज़े खाते थे और बहुत कम बीमार पड़ते थे। आज के समय में मिट्टी के बर्तनों में कढ़ाई, प्लेट, हांडी, कटोरी, कुकर आदि सभी सामान मिल रहा है। यह सब समान देख कर मुझे काफी अच्छा लगा और मैंने विचार किया कि यह सब समान लोगो तक पहुंचाया जाए। इन मिट्टी के बर्तनों के इस्तेमाल से लोग बीमारियों से बच सकेंगे। इन बर्तनों को बनाने में काफी मेहनत करनी पड़ती है। इस वजह से बर्तनों की कीमत थोड़ी बढ़ जाती है। मिट्टी के बर्तनों को लेकर लोगो की अच्छी प्रतिक्रिया आ रही है। इन मिट्टी के बर्तनों को माइक्रो वेव में भी उपयोग किया जा सकता है। मिट्टी के बर्तनों का सभी सामान हमारे पास मिलता है।

मिट्टी के बर्तन खरीदने के लिए लोग भी काफी आकर्षित नजर आ रहे हैं। मिट्टी के बर्तन खरीदने पहुंचे मनोज शर्मा ने बताया कि, पुराने समय में मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता था, नए जमाने में नए अविष्कारों में मिट्टी के बर्तन कही लुप्त हो गए है। आज के समय में एक आम व्यक्ति जबसे अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक और संवदेनशील हुआ है, तब से वह अपनी प्राचीन सभ्यता में वापस लौटा है। पहले लोग मिट्टी के घडो से पानी पिया करते थे, कई बीमारियों के कारण अब लोग मिट्टी के बर्तनों का उपयोग अपनी दिनचर्या में करने लगे है। हमारे घरों में लोहे, स्टील, एल्युमीनियम आदि धातुओं से बने बर्तन है। जिसका हम उपयोग करते है। रोजाना इन धातुओं के इस्तेमाल से कई तरह की बीमारियां होती है। इसलिए हम मिट्टी से बने बर्तनों को लेने आए है, ताकि बीमारी से बचा जा सके और हम अपनी प्राचीन सभ्यता में वापस लौटे।

मिट्टी के बर्तन खरीदने पहुंचे मनीष ने बताया कि, वह पहली बार अपने जीवन में इस तरह के मिट्टी के बर्तन देख रहे है। इन मिट्टी के बर्तनों को देख कर उन्हें काफी अच्छा लग रहा है। उन्होंने बताया कि, आज तक हमने मिट्टी के बर्तनों में खाना नही खाया है, हमारा भी मन है कि, हम मिट्टी से बने बर्तनों में खाना खाएं। प्राचीन समय में इन मिट्टी के बर्तनों का काफी उपयोग होता था मगर आज के समय में स्टील और लोहे के बर्तनों का उपयोग किया जा रहा है। इन बर्तनों में मिट्टी के ग्लास, मिट्टी का प्रेशर कुकर, मिट्टी की बोतल आदि सभी सामान है। आज के समय में बीमारियों को देखते हुए हमें मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करना चाहिए।

प्रचीन समय के मुकाबले वर्तमान समय में लोग ज्यादा बीमार पड़ते है। जिसकी मुख्य वजह हमारा खानपान भी है। हमने नए-नए अविष्कारों के चक्कर में पड़ कर पुरानी चीज़ों का इस्तेमाल करना छोड़ दिया और इसका सीधा असर हमारी जिंदगियों पर व्यापक स्तर पर पडा है। जहां इन मिट्टी के बर्तनों के इस्तेमाल से हमारी पुरानी सभ्यता तो वापस आएगी, वही इन बर्तनों के इस्तेमाल से कई जानलेवा बीमारियों से भी बचा जा सकता है। हमे जरूरत है कि, हम अपनी प्राचीन सभ्यता को संजोय रखें।