लॉकडाउन के दौरान सारे काम पर बंदिश के कारण उत्पन्न हुआ आर्थिक संकट: पूर्व सीएम

harish rawat sad

लॉकडाउन के दौरान सारे काम पर बंदिश के कारण उत्पन्न हुआ आर्थिक संकट

– प्रवासियों की घर वापसी के लिए सरकार को लानी होगी काम में गति

देहरादून। देश में कोरोना के संक्रमण की रोकथाम के लिए लगातार लॉकडाउन जारी होम से उत्पन्न हुई विभिन्न प्रकार की जटिलताओं पर आज उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रदेश के विभिन्न वर्गों के लोगों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद किया। मीटिंग का संचालन कांग्रेस उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट के द्वारा किया गया।

बता दें कि, इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में व्यापारी, होटल उद्योग से जुड़े लोग, बुद्धिजीवी वर्ग के लोग, एनजीओ के लोग, पूर्व सैनिक, शिक्षित बेरोजगार एवं सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने लगभग एक घंटे तक उत्तराखंड सरकार द्वारा कोरोना की रोकथाम के लिए किए जा रहे उपायों पर विचार किया। राज्य में लॉकडाउन के दौरान सारे काम पर बंदिश की वजह से उत्पन्न आर्थिक संकट पर, चार धाम यात्रा पर पूरी तरह पाबंदी से पर्यटन से आजीविका कमाने वाले राज्य के 10 लाख परिवारों की रोजी-रोटी, जिसमें होटल व्यवसाई छोटे छोटे व्यवसाई, ट्रांसपोर्ट सेक्टर के लोग एवं अन्य प्रभावित हुए हैं, उनकी परिस्थितियों पर भी चर्चा की गई।

इस दौरान पूर्व सीएम हरीश रावत ने राज्य के प्रवासी भाई जो विगत 2 महीने से भारी परेशानी भुगत रहे हैं, उनकी परेशानियों, उनकी घर वापसी और क्वारंटाइन में आ रही दिक्कतों के साथ-साथ भविष्य में उनके रोजगार के विषय में भी चर्चा की। सभी सहभागियों ने अपने अनुभव के आधार पर अब तक सरकार के कामकाज का आकलन भी किया व पूर्व मुख्यमंत्री से अपनी-अपनी जिज्ञासा के अनुसार सवाल भी किए। हरीश रावत ने सभी लोगों के सवालों व शंकाओं के जवाब देने के साथ-साथ विचार-विमर्श के निष्कर्ष के रूप में कहा कि, अभी तक कई राज्यों से प्रवासियों की घर वापसी का काम शुरू नहीं किया गया है।

पर्यटन उद्योग के माध्यम से रोजगार से जुड़े हुए होटल, व्यवसायियों, ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों एवं अन्य छोटे छोटे व्यापारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है। राज्य सरकार को चाहिए कि, वह पर्यटन व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों के बिजली पानी के बिल माफ करने के साथ उन पर लगने वाले अनेक प्रकार के टैक्स में छूट देते हुए जिन लोगों ने बैंकों से कर्ज लिया है उनके कर्ज का ब्याज माफ करके उनको राहत दे। जो लोग बेरोजगार हो गए हैं उनको सीधे बैंकों का रास्ता दिखाने के बजाय उनको यहां की स्थानीय प्रस्तुति के हिसाब से रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में प्रेरित करे। उनको आवश्यक प्रशिक्षण देने के साथ-साथ उन्हें मानसिक रूप से इस बात के लिए तैयार करें कि वह अपना काम करने के लिए तैयार हैं।

राज्य में कृषि क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएं हैं। पर्यटन के क्षेत्र में भी रोजगार की भारी संभावनाएं हैं। इसके अलावा लघु उद्योग और कुटीर उद्योग के क्षेत्र हैं जिनमें रोजगार के अवसर हैं। इन के अलावा बाहरी राज्यों के जो श्रमिक वापस अपने घर चले गए हैं उन लोगों के जाने के बाद जो गैप बना है, उन क्षेत्रों में भी लोग रोजगार के अवसर खोज सकते हैं। सरकार को चाहिए कि रोजगार के अवसरों की बेहतर तरीके से तलाश करने के बाद बेरोजगार नौजवान अपने लिए अच्छा रास्ता तलाश कर सकते हैं। 6 महीने तक पूरी तरह से चीजों को समझने के बाद ही बैंक की तरफ अपने कदम बढ़ाएंगे तो निश्चित रूप से वह बेहतर तरीके से रोजगार करने के साथ-साथ अच्छे व्यवसाई भी साबित होंगे।

जो लोग अभी घर वापसी नहीं कर पाए हैं, उन लोगों को समयबद्ध घर वापसी के लिए सरकार को अपने काम में गति लानी चाहिए और जब तक उनकी घर वापसी नहीं होती तब तक जिन राज्यों में वह अभी प्रवास कर रहे हैं वहां पर उनके रहने और खाने की व्यवस्था संबंधित राज्य सरकार के साथ हमारी राज्य की सरकार को बातचीत करनी चाहिए। इसके अलावा प्रवासी जब घर पहुंच रहे हैं तो उन्हें क्वारंटाइन में रखने की व्यवस्थाओं में अभी कई प्रकार की दिक्कतें हैं उन दिक्कतों में भी सुधार करने की आवश्यकता है।