जंगली हाथियों के उत्पात से परेशान ग्रामीण। लाखों की फसल नष्ट
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी क्षेत्र सभी जगह जंगली हाथियों का आतंक जारी है। हरिद्वार का अधिकांश क्षेत्र जंगल से सटे होने के कारण हरिद्वार में लगातार जंगली हाथी इन इलाकों में अपनी दस्तक देते रहते है। इस वजह से जहां कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ाता है तो वहीं किसानों की फसल भी भारी मात्रा में इन जंगली हाथियों के द्वारा बर्बाद कर दी जाती है। किसानों में इसको लेकर वन प्रभाग के खिलाफ भी काफी आक्रोश है तो वही वन प्रभाग द्वारा जंगली हाथियों को रिहायशी इलाकों में आने से रोकने के लाख दावे किए जाते हैं। मगर उनके सारे दावे हवा-हवाई साबित होते हैं।
हरिद्वार के ग्रामीण क्षेत्र के किसान जंगली हाथियों के आतंक से परेशान है। जंगली हाथी किसानों की फसलों को बर्बाद कर रहे हैं। जिससे किसानों को काफी नुकसान हो रहा है। किसानों का कहना है कि, जंगली हाथी लगातार रिहायशी इलाकों में आ रहे हैं और हमारी फसलों को भी बर्बाद कर रहे हैं। जिससे हमें काफी नुकसान हो रहा है। वन प्रभाग के कर्मचारी क्षेत्र में आते हैं मगर हाथियों को रिहायशी इलाके में आने से रोक नहीं पाते। हाथियों के आने से गांव वालों में खौफ का माहौल है। रात को ग्रामीण घर से बाहर भी नहीं निकल पाते और दिन के वक्त भी काफी डर लगा रहता है। हाथी द्वारा हमारी फसल बर्बाद कर दी जाती है और वन विभाग के अधिकारी सिर्फ हमें मुआवजा देने की बात करते हैं। मगर हाथियों को रिहायशी इलाकों में आने से नहीं रोक पाते।
जंगली हाथी लगातार रिहायशी इलाकों में आकर किसानों की फसलें बर्बाद कर रहेे हैं और साथ ही स्थानीय ग्रामीणों के लिए आतंक का पर्याय बने हुए हैं। क्योंकि स्थानीय दिन हो या रात अपने घरों से भी निकलने से घबरा रहे हैं। इसको लेकर हरिद्वार वन प्रभाग के डीएफओ नीरज कुमार का कहना है कि, हाथियों के रिहायशी इलाकों में आने की लगातार समस्या बनी रहती है। सर्दियों के मौसम में गन्ने की फसल पककर तैयार होती है और हाथी जंगल से नदी पार करके गन्नेे की फसलों का नुकसान किया करते हैं। हाथियों को रोकने केेेे लिए हमारे द्वारा योजना बनाई गई है। कुछ क्षेत्रों में हमारे द्वारा यंत्र लगाए गए हैं जो विभिन्न प्रकार की आवाज और प्रकाश निकालते हैं।
इसको पूरे क्षेत्र में लगाने की योजना बना रहे हैं। साथ ही इस पूरे 17 किलोमीटर के क्षेत्र में सोलर फेंसिंग लगाने का कार्य शुरू करेगे और जो बहुत ही हाथी बहुमूल्य क्षेत्र है। बिसनपुर, मिश्रपुर, अजीतपुर, कटारपुर के 3 किलोमीटर में पथरो की दीवारें बनाएंगे। डीएफओ का कहना है कि, हम लगातार स्थानीय ग्रामीणों के संपर्क में हैं और हमारी टीम रात और दिन गस्त करती रहती है। हाथियों द्वारा किसानों की फसल बर्बाद होने पर किसानों को मुआवजा भी दिया जाता है।
जनपद हरिद्वार का ग्रामीण क्षेत्र या फिर शहरी क्षेत्र अधिकांश वन विभाग और राजा जी पार्क से सटे होने के कारण जंगली हाथी इन क्षेत्रों में अपनी दस्तक देते रहते हैं और इस टकराव की वजह से लोगों को जहां अपनी जान तक गंवानी पड़ती है तो वही इस समस्या से ग्रामीणों की भारी मात्रा में फसल बर्बाद हो जाती है और उनको आर्थिक रूप से परेशानी का सामना करना पड़ता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि वन प्रभाग की यह योजना धरातल पर कब तक उतरती है और जंगली हाथियों को क्षेत्र में आने से रोकने में कितनी कारगर साबित होती है।