Exclusive: उत्तराखंड के उद्यान विभाग में गड़बड़झाला, हाइब्रिड सब्जी बीजों का कड़ुवा सच

हाइब्रिड सब्जी बीजों का कड़ुवा सच

 

देहरादून। उद्यान विभाग द्वारा सब्जी उत्पादन को बढावा देने के उद्देश्य से 90 के दशक में बहुराष्ट्रीय बीज कंपनियों द्वारा उत्पादित सब्जी के हाब्रिड बीजों के निशुल्क प्रदर्शन जिला योजना के अंतर्गत, सघन वे मौसमी सब्जी उत्पादन योजना में निशुल्क बांटने का प्राविधान रखा गया था। इस योजना के अंतर्गत विभागीय कर्मचारियों की देख-रेख में हाइब्रिड सब्जी उत्पादन की तकनीक, सब्जी उत्पादकों को समझाने के उद्देश्य से योजना चलायी गयी, जिसके अन्तर्गत कास्तकारौ को निःशुल्क हाइव्रिड सब्जी बीज, कीट व व्याधि नाशक रसायन उपलब्ध कराने के साथ उत्पादन के आकडें लेने के भी निर्देश होते थे ।

 

वर्तमान में इस योजना के अन्तर्गत विभाग द्वारा केवल हाइव्रिड बीज क्रय कर कृषकौं को निःशुल्क वितरित किये जाते है। शुरू के वर्षों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा उच्च स्तर पर प्रलोभन दिए गए। जिसके चलते इस मद में धन का आवंटन अधिक होने लगा। धीरे-धीरे निचले स्तर के आहरण वितरण अधिकारियों (DDO) को भी कमिशन में शामिल किया गया।

 

आज हाइब्रिड बीज खरीद पर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को 30-40 प्रतिशत तक का कमिशन खरीददार/आहरण वितरण अधिकारियों ( DDO) को देते हैं। यही कारण है कि, उद्यान विभाग में सब्जी उत्पादन पर ज्यादा योजनाएं प्रस्तावित की जाती है। सब्जी उत्पादन की जितनी भी योजनाएं चल रही है (जिला योजना, राज्य सैक्टर की योजनाएं, केन्द्र सरकार की हार्टिकल्चर टैक्नोलॉजी मिशन, कृषि विकास योजना, पैरी अर्बन सब्जी उत्पादन योजना, DPAP आदि) यहां तक कि सूखा राहत में भी सब्जी हाइब्रिड बीज कृषकों को निशुल्क ( मुफ्त में) वितरित किये जाते रहे हैं।

विभाग सब्जी हाइब्रिड बीजों को 20 हजार से लेकर एक लाख रुपए प्रति किलो की दर से क्रय करता है। जिसे प्रगतिशील व सब्जी की व्यवसाइक खेती करने वाले कृषक नहीं बोते। हाइब्रिड सब्जी बीज से सब्जी उत्पादन करने वाले कृषक हाइब्रिड सब्जी बीज की व्यवस्था हिमांचल प्रदेश या सीधे बीज उत्पादक कम्पनियों से सवयं करते हैं।