बिग ब्रेकिंग: पंचायत चुनाव में बड़ी चूक, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग पर लगाया 2 लाख का जुर्माना

पंचायत चुनाव में बड़ी चूक, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग पर लगाया 2 लाख का जुर्माना

देहरादून। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान राज्य निर्वाचन आयोग की चूक अब भारी पड़ गई है। सर्वोच्च न्यायालय ने आयोग की याचिका खारिज करते हुए न सिर्फ उसे कड़ी फटकार लगाई बल्कि दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि आयोग कानून के खिलाफ याचिका दाखिल कैसे कर सकता है।

यह मामला दोहरी मतदाता सूची से जुड़ा है। जांच में सामने आया कि 700 से अधिक प्रत्याशी ऐसे थे जिनके नाम अलग-अलग मतदाता सूचियों में दर्ज थे और उन्होंने चुनाव भी लड़ा। कई प्रत्याशी विजयी भी घोषित हुए। चुनाव के दौरान यह विवाद गहराया, लेकिन आयोग ने उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम 2016 की धारा 9(6) और 9(7) की व्याख्या करते हुए एक सर्कुलर जारी कर दिया और दोहरी मतदाता सूची वाले प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी।

इस फैसले को चुनौती देते हुए शक्ति सिंह हाई कोर्ट पहुंचे। 11 जुलाई 2025 को हाई कोर्ट ने दोहरी मतदाता सूची को अवैध करार दिया और आयोग के सर्कुलर पर रोक लगा दी। हालांकि चुनाव प्रक्रिया जारी रही और आयोग को आदेश दिया गया कि वह ऐसे प्रत्याशियों के भविष्य पर निर्णय ले।

लेकिन आदेश का पालन करने के बजाय आयोग ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने सुनवाई के बाद आयोग की दलील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि कानून की व्याख्या करना आयोग का काम नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का असर न केवल पंचायत चुनाव बल्कि निकाय चुनावों पर भी हो सकता है। मसूरी नगर पालिका और देहरादून नगर निगम चुनाव में भी मतदाता सूची में अनियमितताओं के आरोप लगते रहे हैं। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि राज्य निर्वाचन आयोग और सरकार सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर कितनी तत्परता से कार्रवाई करते हैं।