इंतजार: भारत-पाक युद्ध में शहीद सैनिक को अब तक नहीं मिला सम्मान। परिजनों ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

भारत-पाक युद्ध में शहीद सैनिक को अब तक नहीं मिला सम्मान। परिजनों ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

रिपोर्ट- गिरीश चंदोला
थराली। एक ओर जहां देवभूमि में सैन्य धाम बनाने की बात की जा रही है। वही शहीदों के आंगन से मिट्टी देहरादून सैन्य धाम के लिए उत्तराखंड सरकार ले गई है। लेकिन आज भी एक शहीद ऐसा है जिस की शहादत को सम्मान दिलाने के लिए भाई एवं ग्रामीणों ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है।

उनके शहीद भाई को भी सम्मान मिले, शहीदों के नाम पर स्कूल, सड़क का नाम रखा जा रहा है। मेमोरियल बनवाकर शहीदों को याद कर किया जा रहा है। वहीं चमोली जिले के थराली विकासखण्ड के सुनाऊ निवासी एक पूर्व सैनिक महावीर सिंह भी हैं, जो अपने भाई की शहादत को सम्मान दिलवाने के लिए प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक पत्राचार कर चुके हैं।

लेकिन आज दिन तक भी न तो इन पत्रों का कोई जवाब आया और न ही उनके शहीद भाई की शहादत को उचित सम्मान मिल सका।

यह है पूरा मामला

आपको बता दें कि, वर्ष 13 दिसम्बर 1963 में सुनाऊ के रहने वाले केशर सिंह भंडारी भारतीय सेना में भर्ती हुए और भर्ती होने के महज दो साल बाद ही 15 सितंबर 1965 को भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान लड़ाई में शहीद हो गए। वीर सैनिक की शहादत पर श्रद्धांजलि देते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने भी वीर सैनिक के परिजनों को पत्र भेजते हुए अपनी संवेदना व्यक्त की।

शहीद केशर सिंह भंडारी अविवाहित थे और महज दो वर्ष की सेवा के बाद ही भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गए। लेकिन इस शहादत को अब तक भी सम्मान नहीं मिल पाया है।

न तो शहीद के सम्मान में अब तक कोई मेमोरियल बन पाया है और न ही शहीद के नाम पर कोई स्कूल, कोई सड़क अब तक बन पाई है। शहीद केशर सिंह भंडारी के भाई बताते हैं कि, वे 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख चुके हैं और पुनः दोबारा उन्होंने अब उपजिलाधिकारी थराली के माध्यम से प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्रालय से उनके गांव में शहीद सैनिक की स्मृति में मेमोरियल बनवाने और सुनाऊ स्थित राजकीय इंटर कालेज का नाम शहीद केशर सिंह भंडारी के नाम पर रखने की गुहार लगाई है।

जबकि शहीद केशर सिंह भंडारी के भाई महावीर भंडारी मेमोरियल के लिए जमीन तक दान देने के लिए तैयार हैं, ताकि उनके शहीद भाई की शहादत को सम्मान मिले और उन्हें याद किया जा सके। अब देखना ये होगा कि, भारत पाक युद्ध में शहीद हुए केशर सिंह की शहादत को सम्मान के लिए इंतजार कब खत्म होता है।