दो सूत्रीय मांगो को लेकर धरने पर बैठे आउट सोर्सिंग चिकित्सक, किया कार्य बहिष्कार

दो सूत्रीय मांगो को लेकर धरने पर बैठे आउट सोर्सिंग चिकित्सक, किया कार्य बहिष्कार

रिपोर्ट- दिलीप अरोरा
किच्छा। आज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में संविदा पर तैनात और आउट सोर्सिंग के स्वास्थ्य कर्मियों ने नारेबाजी करते हुए कार्य भहिष्कार किया और नाराजगी प्रकट की।

दरअसल, सभी कर्मी मंगलवार से अपनी दो सूत्रीय मांगो को लेकर हड़ताल पर चले गये है। आज डॉ दीपक पांडेय के नेतृत्व में सभी चिकित्सा कर्मी हड़ताल पर बैठे और जमकर नारेबाजी कर अपनी नाराजगी जाहिर की।

साथ ही उन्होंने शासन-प्रशासन से मांग की कि, उनकी मांगो को पूरा किया जाए। डॉ दीपक पाण्डेय ने खास बातचीत में बताया कि, हमारी हड़ताल जिन मांगो को लेकर है, उनमे हमारी मुख्य मांगे आउट सोर्सिंग से नियुक्ति बंद की जाए और ग्रेड पे लागू किया जाए, यह हमारी दो सूत्रीय मांगे है।

हम चाहते है कि, शासन-प्रशासन स्तर तक फिर से हमारी बात पहुंचे और सरकार हमारी मांगो को पूरा करे। हर बार सरकार से हमको सिर्फ आश्वासन मिलता रहा है। लेकिन कभी हमारी मांगो को पूरा करने का प्रयास नहीं किया गया। यदि इस बार हमारी मांगे पूरी नहीं हुई तो यह आंदोलन और उग्र होगा।

उन्होंने कहा कि, कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर मे हमारे चिकित्सकों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया था और अभी भी हम जनता की सेवा में तत्पर है। लेकिन हमारा ग्रेड पे लागू नहीं किया गया। हर बार आश्वासन ही मिलता रहा है। हमको सरकार द्वारा नजर अंदाज कर दिया जाता है।

आउट सोर्सिंग कर्मियों का सहयोग सराहनीय

सीएचसी में चल रही स्ट्राइक पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ त्रिपाठी ने बताया कि, हमारे यहां स्टॉफ की कुछ कमी है। ऐसे में आउट सोर्सिंग और संविदा पर तैनात डॉ की भूमिका बहुत ही अहम हो जाती है। इनका कार्य सरहानीय है और कोरोना काल मे भी हमारे विभाग को इनका सहयोग बराबर मिला है।

शासन को इनकी मांगो की तरफ अपने विवेकानुसार ध्यान देते हुए जो भी सम्भव हो वह करना चाहिए, ताकि स्वास्थ्य व्यवस्था पटरी से न उतरे। क्योंकि हमारे यहां ही बहुत मरीज आते है, स्टॉफ की कमी के बावजूद हम ऐसे मे इनके सहयोग से ही सभी मरीजों तक उपचार पहुंचा पाते है।

इनकी स्ट्राइक से मरीजों को भी कुछ हद तक समस्या का सामना करना पड़ रहा है। अभी कोरोना का खतरा भी पूरी तरह से नहीं टला है, तो भविष्य मे भी इनका सहयोग महत्वपूर्ण रहेगा और अगर सम्भव हो सके तो आउट सोर्सिंग के कर्मियों को एनएचएम मे मर्ज करने जैसा प्रयास किया जाना चाहिए।