असमंजस में भाजपा। कहीं मुन्ना पर प्रयोग करना पड़ न जाये भारी
रिपोर्ट- सतपाल धानिया
विकासनगर। उत्तराखंड राज्य की सीमावर्ती विधानसभाएं हमेशा से ही प्रदेश की राजनीति में अहम रहती है। क्योंकि सीमावर्ती विधानसभाओं की हार जीत का असर हिमाचल-हरियाणा और उत्तरप्रदेश के चुनाव में भी देखा जाता है।
उत्तराखंड-हिमाचल और उत्तरप्रदेश के चुनाव एक साल के अंतराल में होने हैं, ऐसे में देश की दोनों बड़ी राजनैतिक पार्टियां कॉंग्रेस और भाजपा हर कदम फूंक-फूंककर रख रही हैं।
उत्तराखंड की विकासनगर, चकराता व सहसपुर विधानसभाओ की हार-जीत पड़ोसी राज्य हरियाणा-हिमाचल और उत्तरप्रदेश की सीमावर्ती विधानसभाओं पर भी गहरा असर डालती है।
इसलिए दोनों पार्टियां इस बार उत्तराखंड की सीमावर्ती सीटो पर अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिऐ अभी से तैयारियों में जुट गई है, और दोनों पार्टियो ने शह मात की बिसात सीमावर्ती विधानसभाओं पर बिछानी शुरु कर दी है। उसके लिऐ बाकायदा दोनों पार्टियो के पर्यवेक्षक अभी से सीमावर्ती विधानसभाओं में डेरा डाल चुके हैं।
जीत के फॉर्मूले पर कार्य शुरु कर दिया है, हर उस प्रत्याशी की कुंडली खंगाल रहें हैं, जो सीमावर्ती विधानसभाओं में जीत दर्ज कर सके। पछ्वादून की राजनीति तीन प्रमुख नेताओ के इर्द-गिर्द घूमती हैं। उसमें कॉंग्रेस के दिग्गज नेता प्रीतम सिंह व नवप्रभात हैं, तो वही भाजपा के दिग्गज, सबसे अनुभवी व संविधान के ज्ञाता तेज तर्रार नेता मुन्ना सिंह चौहान हैं।
प्रीतम सिंह वर्तमान में प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष हैं व पूर्व में कॉंग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं, तो वही 2017 में भाजपा प्रत्याशी मुन्ना सिंह चौहान से शिकस्त पा चुके नव प्रभात हैं। ऐसे में पछ्वादून की इन तीनो विधानसभाओं में मजबूत जनाधार रखने वाले व आस-पास की अन्य विधानसभाओं को प्रभावित करने वाले तेज तर्रार राजनीतिज्ञ मुन्ना सिंह चौहान हैं।
भाजपा और संघ के पर्यवेक्षकों की धूरी इस बार मुन्ना सिंह चौहान बने हुए हैं। भाजपा इस बार मुन्ना सिंह चौहान पर प्रयोग करने के मूड में दिखाई दे रही है। भाजपा के लिए चकराता विधानसभा जीतना लोहे के चने चबाने जैसा रहा है। राज्य के गठन के बाद से भाजपा कभी भी चकराता विधानसभा सीट नही जीत पाई है।
भाजपा ने चकराता विधानसभा जीतने के लिए कई प्रयोग किए भी है। जिसमे कई भाजपा प्रत्याशी प्रीतम सिंह के सामने टिक भी नही पाऐ। मुन्ना सिंह चौहान व उनकी पत्नी मधु चौहान ही मात्र ऐसे प्रत्याशी हैं, जिनसे कही ना कही प्रीतम सिंह भी खौफ खाते हैं, क्योंकि इन दोनों क़ा जनाधार चकराता विधानसभा में बड़े पैमाने पर है।
ऐसे में चुनाव पर्यवेक्षक असमंजस में है कि, चकराता विधानसभा से भाजपा का प्रत्याशी कौन हो? अबकी बार कयास लगाये जा रहें हैं कि, मुन्ना सिंह चौहान को चकराता से चुनाव लड़ाया जाये। अगर ऐसा होता है तो विकासनगर विधानसभा को कॉंग्रेस आसानी से जीत सकती है। क्योंकि विकासनगर विधानसभा में भाजपा के पास मुन्ना सिंह चौहान जैसा दमदार चेहरा और कोई नही है।
मात्र मुन्ना सिंह चौहान ही एक ऐसा नेता है, जो विकासनगर विधानसभा में कॉंग्रेस की जीत क़ो रोकने में सक्षम है। हालाकि पूर्व विधायक व वर्तमान में प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार भी एक चेहरा भाजपा के पास है। लेकिन मुन्ना सिंह चौहान के राजनैतिक कद के सामने उनका कद इतना प्रभावी नहीं है। ऐसे में भाजपा भी असमंजस में है कि, मुन्ना सिंह चौहान पर प्रयोग करना कहीं भारी ना पड़ जाये।
क्योंकि वर्तमान में मुन्ना सिंह चौहान की सक्रियता व चुनाव की तैयारियां विकासनगर विधानसभा में ज्यादा है और मुन्ना सिंह चौहान लगभग अपनी चुनावी तैयारियां पूरी भी कर चुके हैं और रूठों क़ो मनाने में काफी हद तक कामयाब भी हुए हैं। ऐसे में एन समय पर मुन्ना सिंह चौहान क़ो अगर चकराता विधानसभा से भाजपा हाईकमान चुनाव में झोंक देती है तो उन्हें विकासनगर और चकराता दोनों विधानसभाओं में हार का डर सता रहा है।
क्योंकि विकासनगर विधानसभा सहसपुर व चकराता क़ो भी प्रभावित करती है। ऐसे में भाजपा का मुन्ना सिंह चौहान पर प्रयोग विकासनगर चकराता व सहसपुर विधानसभाओं की हार का कारण भी बन सकता है ! अगर इन तीनो विधानसभाओं में भाजपा हारती है, तो भाजपा की हार क़ा असर उत्तरप्रदेश-हिमाचल और हरियाणा में पड़ना भी लाजिमी है।
आंकड़े बता रहें हैं कि, इस बार विकासनगर विधानसभा में मुन्ना सिंह चौहान व नवप्रभात की सीधी टक्कर है। अगर मुन्ना के अलावा भाजपा किसी अन्य प्रत्याशी पर दांव खेलती है, तो यह दांव उल्टा भी पड़ सकता है। तो वही चकराता विधानसभा में प्रीतम सिंह कॉंग्रेस का एक मजबूत चेहरा है। उन्हें हराना भाजपा के लिऐ लोहे के चने चबाने जैसा है।
हालाकि मुन्ना और प्रीतम दोनों चकराता विधानसभा सीट पर मजबूत चेहरे है, लेकिन अगर तैयारियों की