पंजाब कांग्रेस की कलह में नया ट्विस्ट। कैप्टन और सिद्धू के चक्कर में फंसे हरदा
पंजाब में कांग्रेस का विवाद अब नए दौर में पहुंच गया है। नवजोत सिद्धू ने आरोप लगाया है कि, उन्हें फैसले लेने में आजादी नहीं मिल रही है। वहीं राणा गुरमीत सोढ़ी की डिनर पार्टी में 2022 में कैप्टन ही कांग्रेस प्रस्ताव को लेकर भी पार्टी का अंदरूनी विवाद गरमाया हुआ है।
‘मैं कैप्टन अमरिंदर सिंह जी से मिलकर अभी-अभी दिल्ली लौटा हूं। उन्होंने दोहराया है कि अध्यक्ष पद को लेकर जो भी निर्णय करेंगे वो उन्हें स्वीकार होगा।’ पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने 17 जुलाई को ये ट्वीट किया। इसके ठीक अगले दिन यानी 18 जुलाई को नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमिटी के नए अध्यक्ष बन गए। लगा सब कुछ चंगा है, लेकिन पंजाब कांग्रेस का पंगा तब भी खत्म नहीं हुआ। तब से तकरीबन डेढ़ महीना होने को है और हरीश रावत के तमाम दौरों के बीच पंजाब कांग्रेस का तूफान थम नहीं रहा है।
कैप्टन-सिद्धू की तनातनी और रावत ऐक्टिव
पार्टी में चल रही खींचतान के बीच हरीश रावत चंडीगढ़ से लेकर दिल्ली के चक्कर लगा रहे हैं। पंजाब कांग्रेस की कलह में रोज नया ट्विस्ट आ रहा है। अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले इस विवाद से पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
नवजोत सिंह सिद्धू खेमे और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच तनातनी में बीच का रास्ता निकालने के लिए हरीश रावत लगातार सक्रिय हैं। वह दो महीने के दौरान कई बार राज्य का दौरा कर चुके हैं। तमाम मीटिंग भी हुईं लेकिन हालात सुधरने की बजाए बिगड़ते जा रहे हैं।
17 जुलाई को सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह से मुलाकात के बाद हरीश रावत ने ट्वीट किया, ‘मैं कैप्टन अमरिंदर सिंह जी से मिलकर अभी-अभी दिल्ली लौटा हूं। मुझे प्रसन्नता है कि, बहुत सारी बातें जो बाहर चर्चा में हैं, वो बिल्कुल निर्मूल साबित हुई हैं और कैप्टन साहब ने फिर से अपने उस महत्वपूर्ण बयान को दोहराया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि, माननीय कांग्रेस अध्यक्ष पंजाब के विषय में अध्यक्ष के पद को लेकर के जो भी निर्णय करेंगी वो निर्णय मुझे स्वीकार्य होगा, मैं उसका आदर करूंगा। आपके बयान के लिए शुक्रिया कैप्टन।
पिछले पांच महीने में पंजाब का विवाद सुलझाने के लिए हरीश रावत दर्जनों बार मीटिंग कर चुके हैं। कभी सिद्धू खेमे के विधायकों और मंत्रियों के साथ तो कभी कैप्टन से। इन सबके बीच वह दिल्ली में पार्टी हाईकमान को हालात की रिपोर्ट लगातार देते रहे हैं।
नवजोत सिद्धू को पिछले महीने अध्यक्ष बनाने के बाद लगा कि, सब ठीक हो गया है। लेकिन डेढ़ महीने बाद हालात में बदलाव नहीं दिख रहा है। हरीश रावत एक बार फिर दो दिन के चंडीगढ़ दौरे पर पंजाब पहुंच रहे हैं। यहां वह पहले कैप्टन से मुलाकात करेंगे और फिर सिद्धू के साथ मीटिंग करेंगे।
25 अगस्त को हरीश रावत ने बयान दिया कि, 2022 के विधानसभा चुनाव में अमरिंदर सिंह ही कांग्रेस के कैप्टन होंगे और उन्हीं के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा। रावत बार-बार कहते रहे हैं कि, कांग्रेस की पॉलिसी है कि जहां पार्टी की सरकार है, वहां सीएम को ही आगे करके चुनाव लड़ा जाता है। लेकिन इस बयान ने आग में घी का काम किया और सिद्धू खेमे के परगट सिंह ने बगावत के सुर बुलंद कर दिए। परगट ने कहा कि, रावत कौन होते हैं?
जालंधर कैंट से विधायक और प्रदेश कांग्रेस कमिटी के महासचिव परगट ने कहा, ‘फैसला यह किया गया था कि, पंजाब में अगला चुनाव सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। हरीश रावत को बताना चाहिए कि, कैप्टन अमरिंदर के नेतृत्व का फैसला कब हुआ?’
परगट की आपत्ति के बाद रावत बैकफुट पर आए और उन्होंने कहा, ‘हमारी पार्टी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित राष्ट्रीय स्तर के कई चेहरे हैं। पंजाब में स्थानीय स्तर पर भी कैप्टन अमरिंदर सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू और खुद परगट सिंह जैसे चेहरे भी हैं। किसी को भी धैर्य नहीं खोना चाहिए। मुझे पता है कि, कब और क्या कहना है।’
मालविंदर पर गाज के बाद कैप्टन खेमे को राहत
27 अगस्त को कैप्टन खेमे के लिए राहत की खबर आई थी। पंजाब सीएम और जम्मू-कश्मीर को लेकर विवादित बयान देने वाले सिद्धू के सलाहकार मालविंदर माली के इस्तीफे से लगा कि, कैप्टन फिर भारी पड़ रहे हैं। पार्टी में जारी घमासान के बीच कांग्रेस हाईकमान ने सिद्धू के सलाहकार मालविंदर माली को हटाने का आदेश दिया था।
माली ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि, कश्मीर एक अलग देश था। भारत और पाकिस्तान दोनों ने उस पर अवैध कब्जा किया था। माली ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में संविधान के आर्टिकल 370 को रद्द करने के मुद्दे पर बात की थी। उन्होंने कहा था कि, अगर कश्मीर भारत का हिस्सा था तो आर्टिकल 370 और 35ए हटाने की क्या जरूरत थी।