हाईकोर्ट: उच्च शिक्षा सचिव को अवमानना नोटिस जारी। तीन हफ़्तों में मांगा जवाब

उच्च शिक्षा सचिव को अवमानना नोटिस जारी। तीन हफ़्तों में मांगा जवाब

नैनिताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एमकेपी पी.जी.कॉलेज देहरादून में 45 लाख रुपए का गबन करने पर उच्च न्यायालय के आदेशों की अनदेखी करने और जाँच को लंबित रखने के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए सचिव उच्च शिक्षा राधा रतूड़ी को अवमानना का नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की एकलपीठ में होगी।

बीती तारीख को न्यायालय ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिए थे कि, वह सचिव उच्च शिक्षा को पक्षकार बनाएं, क्योंकि पूर्व के सचिव उच्च शिक्षा आनन्द वर्धन का तबादला हो चुका है। उनकी जगह वर्तमान में राधा रतूड़ी सचिव उच्च शिक्षा नियुक्त है और उनको पक्षकार बनाया जाए। आज न्यायालय ने उनके प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए सचिव उच्च शिक्षा राधा रतूड़ी को पक्षकार बनाकर उनको अवमानना का नोटिस जारी किया है।

मामले के अनुसार एम.के.पी. पी.जी.कॉलेज को विश्विद्यालय अनुदान आयोग द्वारा 45 लाख रुपए की धनराशि 2012 में दी थी, जिसके ऑडिट करने पर गबन का अंदेशा जताया गया था। इसके बाद देहरादून की समाजसेवी सोनिया बेनीवाल द्वारा उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई। उच्च न्यायालय में उच्च शिक्षा विभाग की ओर से दायर शपथ पत्र में कहा गया था कि, 45 लाख रुपए का गबन हुआ है।

उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने तत्कालीन सचिव जीतेन्द्र सिंह नेगी और तत्कालीन प्राचार्या डॉक्टर किरण सूद को सुनवाई का अवसर देने के बाद प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा आनंद बर्धन से चार माह के भीतर निर्णय लेने को कहा था, अगर गड़बड़ियों की पुष्टि होती है तो दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने को भी कहा था।

उच्च न्यायलय के इस आदेश से आहत होकर सचिव जीतेन्द्र सिंह नेगी ने सुप्रीम कोर्ट में एस.एल.पी.दायर की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारीज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नही मिलने पर नेगी ने हाइकोर्ट में पुनः पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे उच्च न्यायालय ने दुबारा खारीज कर दिया था।

न्यायालय के आदेशानुसार 18 दिसम्बर 2020 तक प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा आनंद वर्धन को इस प्रकरण में उचित निर्णय और कार्यवाही कर लेनी चाहिए थी, लेकिन उनके द्वारा अति विलंब किया गया और कोई निर्णय नही लिया गया। इस वजह से सोनिया बेनीवाल द्वारा उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दाखिल की गयी।