कुम्भ को भव्य रूप देने को लेकर “किंतु-परंतु” नहीं, मुख्यमंत्री को निर्देश दें प्रधानमंत्री: अखाड़ा परिषद

कुम्भ को भव्य रूप देने को लेकर “किंतु-परंतु” नहीं, मुख्यमंत्री को निर्देश दें प्रधानमंत्री

रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। आगामी कुंभ मेले को शुरू होने में अब कुछ समय शेष बचा है। मगर अभी भी कुंभ के स्वरूप को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। क्योंकि कोरोना महामारी का प्रकोप पूरे देश में चल रहा है। मगर इससे अलग उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में माघ मेले को भव्य रूप से उत्तर प्रदेश सरकार बना रही है और इसके लिए बड़े स्तर पर पंडालों की व्यवस्था भी की जा रही है। मगर हरिद्वार कुंभ में शासन और मेला प्रशासन द्वारा संतो द्वारा लगाए जाने वाले पंडालों को अभी लगाने की अनुमति नहीं दी गई है। इसको लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री ने सरकार से मांग की है कि, जिस तरह से 2010 का कुंभ हरिद्वार में मनाया गया था और उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में माघ मेला मनाया जा रहा है। उसी की तर्ज पर हरिद्वार कुंभ मेले को भी भव्य स्वरूप दिया जाए। इसी को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की 25 तारीख को नया उदासीन में अहम बैठक आयोजित की गई है।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और उत्तराखंड सरकार की वार्ता हुई थी कि, कोरोना महामारी को देखते हुए निर्णय लिया जाएगा कि, कुंभ का स्वरूप क्या हो? अब कोरोना महामारी कम हो रही है और उत्तर प्रदेश सरकार माघ मेले को भव्य रुप से मनाने जा रही है। माघ मेले में टेंट की व्यवस्था की जा रही है। इसलिए हमने निर्णय लिया है कि, हरिद्वार का कुंभ भी 2010 की तर्ज पर ही होगा और भव्य कुंभ होगा। इसमें कोई किंतु परंतु नहीं है। हम मुख्यमंत्री से आग्रह करते हैं यहां के मेला प्रशासन को निर्देश दे कि मेला भव्य कराएं जब सारे सामाजिक कार्य हो रहे हैं। बिहार में चुनाव हो गए सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी पार्टियों का अभियान चला रहे हैं, तो हरिद्वार का कुंभ क्यों नहीं हो सकता।

हम प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से मांग करते हैं कि, कुंभ मेला कराने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को निर्देश दे और यह बहुत जरूरी हो गया है। कल 12 बजे अखाड़ा परिषद मेला अधिकारी के साथ सभी अखाड़ों में जाकर उनके पेशवाई मार्ग, उनके छावनी के स्थान और अखाड़े में क्या कार्य हो रहा है, इसको लेकर निरीक्षण करेंगे। साथ ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की एक बैठक 25 तारीख को नया उदासीन अखाड़े में की जाएगी। इनका कहना है कि, धर्म ध्वजा के लिए हमारे द्वारा मांग की है कि, धर्म ध्वजा 2 महीने पहले सभी अखाड़ों में पहुंच जाए। मगर अभी तक नहीं पहुंची है। इसके लिए मेला अधिकारी सेे मेरी वार्ता हुई है। उन्होंनेेे वन विभाग को लेटर लिखा है कि, वन विभाग के अधिकारी सभी अखाड़ों में जाए और जिन अखाड़ों को जितनी लकड़ी चाहिए उतनी व्यवस्था की जाए।

वहीं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरी गिरी का कहना है कि, कुंभ मेले को लेकर हमारी प्राचीन परंपराएं हैं और वह आज भी है। कोरोना महामारी की स्थितियों में काफी अंतर पढ़ चुका है। प्रयागराज में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद टेंट की व्यवस्था की जा रही है और भव्य तरीके से प्रयागराज मेला हो रहा है। इसीलिए प्रयागराज के मेले को देखते हुए वहां 5 से 10 लाख टेंट की व्यवस्था की जा रही है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष के सामने ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वहां के जिलाधिकारी को सभी व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं कि, प्रयागराज मेला को भव्य तरीके से कीजिए, तो उसी प्रकार से हरिद्वार में गौरी शंकर पर जितने हमारे महामंडलेश्वर है और जितने साधु संत हैं उनके लिए टेंट की व्यवस्था की जाए। जैसे 2010 1986, 1998 के कुंभ में की गई थी। क्योंकि अखाड़ों के पास शहर में रहने की जगह नहीं है। इसलिए हम मुख्यमंत्री से, मेला प्रशासन से और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक से आग्रह करते हैं। इस क्षेत्र में साधु-संतों के लिए टेंट की व्यवस्था की जाए।

कुंभ मेले को भव्य रूप देने के लिए अखाड़ा परिषद द्वारा लगातार शासन और मेला प्रशासन पर दबाव बनाया जा रहा है कि मेले को भव्य रूप से मनाया जाए क्योंकि सरकार द्वारा अभी हरिद्वार कुंभ में अखाड़ों को टेंट लगाने की परमिशन नहीं दी गई है और ना ही सरकार ने अभी तक मेला प्रशासन की तरफ से कोई टेंट लगाने की व्यवस्था कीइसी को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री ने प्रयागराज में हो रहे माघ मेले की तर्ज पर और हरिद्वार में हो चुके पूर्व की कुंभ की भांति इस बार के कुंभ को भी भव्य रूप देने की मांग की है और इसको लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की एक बैठक 25 तारीख को हरिद्वार में की जाएगी