एक्सक्लूसिव: त्रिवेंद्र सरकार के लिए “हाल-ए-रोजगार” घोषणा बनी मुसीबत। उपनल में एक पद के हज़ारों दावेदार, रिक्त पद मात्र 20

त्रिवेंद्र सरकार के लिए “हाल-ए-रोजगार” घोषणा बनी मुसीबत। उपनल में एक पद के हज़ारों दावेदार, रिक्त पद मात्र 20

– प्रवासियों को रोजगार देने की घोषणा से 60 हज़ार करा चुके उपनल में पंजीकरण, रिक्त पद मात्र 20

रिपोर्ट- अनुज नेगी
देहरादून। प्रवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने लिए त्रिवेंद्र सरकार की “हाल-ए-रोजगार” घोषणा अब सरकार के लिए मुसीबत बनने जा रही है, अब तक 60 हज़ार प्रवासी बेरोजगार युवाओं ने उपनल में पंजीकरण करा कर रोजगार का इंतजार कर अपने को ठगा सा महसूस कर रहे है। मगर राज्य सरकार आने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां कर रही है और जनता को अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाने में ही व्यस्त है। लगता है त्रिवेंद्र सरकार प्रवासि बेरोजगार युवाओं के लिए की गई घोषणा “हाल-ए-रोजगार” भूल ही गई है। अब सरकार के लिए ये घोषणा आने वाले समय मे बड़ी परेशानी का सबक बन सकती है।

बता दें कि, अब तक 50 से 60 हजार प्रवासी बेरोजगार युवाओं ने रोजगार के लिए उपनल में पंजीकरण करा दिया है। मगर उपनल के पास कुल रिक्तियों की संख्या 20 से भी कम है। जिनमे से कुछ रिक्तियां तो ऐसी है जिससे ये लगता है प्रवसियो के साथ सरकार भद्दा मजाक कर रही है। वही आंकड़ों के अनुसार एक पद के लिए तकरीबन दो से तीन हजार बेरोजगार लाइन में हैं।

इसके बाद भी बड़ी संख्या में प्रवासियों ने रोजगार के लिए पंजीकरण करवाएं हैं। अकेले उपनल में अब तक 60 हजार से अधिक प्रवासी रोजगार के लिए आवेदन कर चुके हैं। इसके अलावा सेवायोजन कार्यालय में भी कई लोगों ने पंजीकरण कराए।जबकि इसके सापेक्ष उपनल के पास रिक्तियां बेहद कम है। उपनल में कुल पदों और पंजीकरण का आंकड़ा देखें तो स्थिति की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है। कुल 20 पदों के लिए 60 हजार से अधिक लोग हैं।

वही भूतपूर्व सैनिक भी प्रदेश सरकार की इस घोषणा से काफी नाज़ार है,भूतपूर्व सैनिकों का कहना है कि उपनल भूतपूर्व सैनिकों के बच्चों को रोजगार उपलब्ध कराने में काफी मददगार साबित था मगर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के युवाओं के इस तरह का मज़ाक कर के सही नही कर रही है,इसका खामियाजा सरकार को आने वाले विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ेगा।

बढ़ सकती त्रिवेंद्र सरकार की मुश्किलें

राज्य सरकार ने प्रवासियों को रोजगार देने की घोषणा तो कर दी लेकिन अब बेरोजगारी की बढ़ती संख्या को देख कर लगता है त्रिवेंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ाने वाली है। बता दें उपनल के पास जितनी भी भर्तियों के प्रस्ताव हैं, उनको देखते हुए सभी प्रवासियों को समायोजित करने की बात बेईमानी सी लगती है। राज्य सरकार के लिए सिर्फ उपनल के माध्यम से रोजगार उपलब्ध करा पाना बेहद मुश्किल हो सकता है।

“कोविड-19 के चलते स्वास्थ्य विभाग में अस्पतालों में कर्मियों को रखा जा रहा है,जिनमें से ज्यादातर अस्थाई नौकरियां हैं। वहीं अन्य विभागों में रिक्तियों की संख्या महज पांच से 10 के बीच है। इस तरह उपनल के पास अभी 20 से 25 पद ही भर्ती के लिए उपलब्ध हैं।” – ब्रिगेडियर पीपीएस पाहवा (सेनि), एमडी,उपनल