भविष्य की दिवाली पुरानी पेंशन की बहाली। संयुक्त मोर्चा ने रंगोली के रंगों से बनाई OPS की रंगोली

भविष्य की दिवाली पुरानी पेंशन की बहाली। संयुक्त मोर्चा ने रंगोली के रंगों से बनाई OPS की रंगोली

– विश्व मानवाधिकार दिवस पर पुनः होगी ops की मांग

रिपोर्ट- मनोज नौडियाल
कोटद्वार। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के बैनर तले दीपावली के अवसर पर चलाये गए जागरूकता अभियान के तहत रंगोली कार्यक्रम जिसमें सम्पूर्ण देश से लोगो ने खुलकर विभिन्न रंगोलियों के माध्यम से पुरानी पेंशन की बहाली की मांग को जनता और सरकार के सामने रखा। पुरानी पेंशन की बहाली की मांग लगातार विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से विभिन्न अवसरों पर लगातार राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा द्वारा पुरानी पेंशन बहाली के माध्यम से सरकारों तक पहुंचाया जा रहा है। सभी के लिए भविष्य के रास्ते यही से खुलेंगे चाहे वह सत्ता हो या विपक्ष।

प्रदेश अध्यक्ष अनिल बडोनी ने समस्त कर्मचारियों को दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि, आज कर्मचारी दिवाली मना रहे हैं। लेकिन भविष्य की दिवाली तो पुरानी पेंशन की बहाली से ही सम्भव है। सरकार से इस दिवाली पर निवेदन है कि, पुरानी पेंशन को बहाल कर कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा का हक़ प्रदान करें।

प्रदेश महासचिव सीताराम पोखरियाल ने दिवाली पर पुरानी पेंशन रंगोली कार्यक्रम के लिए प्रदेश के समस्त कार्मिकों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि, पुरानी पेंशन के सँघर्ष को ईमानदारी से राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा द्वारा निरन्तर गति दी जा रही है। 10 दिसम्बर विश्व मानवाधिकार दिवस पर प्रदेश के समस्त जिलाधिकारियों व उप जिलाधिकारियों को राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के सदस्यों द्वारा ज्ञापन दिया जाना है। जिसके लिए प्रदेशस्तरीय रूपरेखा तैयार कर ली गयी है। प्रदेश उपाध्यक्ष योगिता तिवारी ने दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि, राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चे के द्वारा पुरानी पेंशन की सँघर्ष व जनजागरूकता लगातार जारी है। आने वाले 10 दिसम्बर को मानवाधिकार दिवस पर कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा पुरानी पेंशन को बहाल करने की मांग की जाएगी।

प्रदेश में 2005 से कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया गया है। जिसके बाद एक नई पेंशन योजना लागू की गई है जिसमे सेवानिवृत्त होने के बाद कर्मचारियो को एक हजार रुपये प्रतिमाह से भी कम पेंशन मिल रही है। जिससे गुज़ारे की बात सोचना भी हास्यास्पद है। ऐसी स्थिति में कर्मचारियों को छोड़ देने के बाद सरकार 15 सालों से कोई सुध नही ले रही है। कर्मचारियों का कहना है कि, पुरानी पेंशन का मुद्दा सत्ता और कर्मचारियों दोनो के लिए निर्णायक सिद्ध होगा।