सरकारी लापरवाही के चलते दुर्घटनाओं को न्योता दे रहा गिरासू भवन

सरकारी लापरवाही के चलते दुर्घटनाओं को न्योता दे रहा गिरासू भवन

रिपोर्ट- मनोज नौडियाल
कोटद्वार। राजा भरत की जन्मस्थली और देव भूमि के प्रवेश द्वार दो राष्ट्रीय पार्कों राजा जी और कॉर्बेट नेशनल पार्क के बीच स्थित कोटद्वार शहर अपने ऐतिहासिक सांस्कृतिक धार्मिक विरासत के साथ-साथ गढ़वाल मंडल की राजनीति का केंद्र भी रहता है। कोटद्वार शहर अब अपनी पहचान सरकारी लापरवाही और उपेक्षा के चलते खोता जा रहा है। कहने को तो कोटद्वार शहर गढ़वाल मंडल में अपनी विभिन्न विरासतों के लिए भी जाना जाता है। वर्तमान में कोटद्वार शहर अब शहर के साथ-साथ नगर निगम की संपत्ति भी बन चुका है।

शहरी विकास मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला यह शहर धीरे-धीरे ग्रामीण संस्कृति की पहचान भी होता जा रहा है। आधुनिकता के साथ साथ शहर में अपनी विभिन्न प्रकार की ऐतिहासिक भवनों के बिगड़ते स्वरूप के कारण वीभत्स बनता जा रहा है। क्योंकि कोटद्वार शहर अपनी मॉडर्न शैली के गुणों के कारण पुरानी जींर्ण-शीर्ण भवन जो शहर की सुंदरता पर धब्बे बन रहे हैं। वहीं राह चलते लोगों के लिए दुर्घटना का सबब भी बनते जा रहे हैं। काफी ऐसे भवन है जो कि, शहर के बीचो-बीच या राष्ट्रीय राजमार्ग पर बाजार से सटे हैं। कभी भी भीषण दुर्घटना का कारण बन सकते हैैंं।

कोटद्वार में पूर्व नगरपालिका के समय से लेकर अब तक इन भवनों को कई बार नगर पालिका द्वारा भवन माालिको व भवन मे रहनेवाले लोगों को भी नोटिस जारी किए गए थे। यही नहीं यह भवन चिन्हित भी किए गये थे। भवन में रहने वाले बहुत पुराने किरायेदारों के द्वारा कभी कोर्ट द्वारा रोकथाम तो कभी किराएदारों द्वारा अपनी राजनीतिक पहुंच से नगरपालिका पर दबाव बनाकर भवनों को गिरने से रुकवा दिया जाता है। कभी नगर पालिका के कर्मचारियों द्वारा किरायेदारों से मिलकर भवन गिरानेेेे के नोटिसों को दबा दिया जाता है। कुछ दिन पूर्व राह चलते एक महिला पर राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक गिरासू भवन से मलवा और ईंट गिरने से एक बड़ा हादसाा होते-होते बचा।

नगर निगम बनने के बाद प्रथम नगर आयुक्त पीएल शाह ने मिडिया को दिए अपने इंटरव्यू में नगर निगम के कार्योंं की प्राथमिकताओं में कहा था कि, उनका प्रयास गिरासू भवनों को ध्वस्त कर इस समस्या से निजात दिलाना होगा। परंतु 3 माह के कार्यकाल गुजर जाने के बाद भी नगर निगम आयुक्त द्वारा किरायेदारों को नोटिस जारी न करना इस बात से पता चलता है कि, नगर निगम भी किरायेदारों के दबाव में आ गया है। वही नगर निगम की प्रथम मेयर हेमलता नेेगी को भी गिरासूू भवनो की स्थिति के संबंध मे पूर्ण ज्ञान है।परन्तु अपने स्तर से भी कोई प्रयास नहीं किया गया है। लगता है नगर निगम की मेयर से लेकर नगर आयुक्त और कर्मचारियों को किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार है। चाहे इस दुर्घटना में किसी परिवार का चिराग बुझे या फिर विभाग या जनप्रतिनिधियों का ही क्यों ना हो।