योजनाएं चयन करने में अधिकारियों ने नहीं समझी विभागीय मंत्री की सहमति
– विभागों में मंत्री की पूछ नहीं तो जनता की कैसे होगी सुनवाई
विकासनगर। डबल इंजन की (इंजन रहित) सरकार में सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज की पीड़ा देखकर सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि, अधिकारी कितने निरंकुश हो गए हैं! ऐसे में जनता को न्याय की उम्मीद कितनी संभव है, अनुमान लगाया जा सकता है !
जनसंघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, विभागीय मंत्री ने शासन के अधिकारियों से पूछा है कि “योजनाएं चयन करने में विभागीय मंत्री की भूमिका क्या है और योजनाएं चयन के पश्चात मंत्री के अनुमोदनार्थ प्रस्तुत करने का औचित्य एवं आधार क्या है ? क्योंकि वर्ष 2017 में जल संचय एवं जल संवर्धन की दिशा में 4 योजनाएं, जिनकी डीपीआर सिंचाई विभाग में तैयार थी, को नाबार्ड से वित्त पोषित कराने के मामले में सिंचाई मंत्री को दरकिनार कर योजनाएं चयन के लिए पेयजल मंत्री के साथ तो बैठक कर ली थी, लेकिन विभागीय मंत्री को इसकी जानकारी न देकर सीधे फाइल अनुमोदन के लिए भेज दी गई।
उक्त कृत्य से खफा होकर विभागीय मंत्री सतपाल महाराज द्वारा टिप्पणी की गई तथा भविष्य में विभागीय मंत्री को भी विश्वास में लिए जाने हेतु कहा गया। मोर्चा अध्यक्ष जीरो टॉलरेंस की (इंजन रहित सरकार) में जनता
की परेशानियों में लगातार इजाफा हो रहा है।