गजब: उद्यान विभाग की मुसीबत में किसान और उद्यानपति

उद्यान विभाग की मुसीबत में किसान और उद्यानपति

रिपोर्ट- मनोज नौडियाल
कोटद्वार। लापरवाही उद्यान विभाग डीएचओ कार्यालय की भुगत रहे उद्यानपति और किसान। उद्यान विभाग जो कि, किसानो को और उद्यानपतियों के लिए एक सहयोगी और किसानों की आय समृद्ध करने के लिए बना विभाग है। लेकिन उद्यान विभाग की करतूतों से लगता नहीं की उद्यान विभाग कोटद्वार यानी कि डीएचओ कार्यालय की मनसा ऐसी हो। बता दें कि, कोटद्वार के डीएचओ कार्यालय में पिछले कुछ सालों से किसानों को चूना लगाने का बड़ा खेल जारी है। उद्यान विभाग में वर्षों से जमे विभागीय कर्मचारी इस खेल के खिलाड़ी लगते हैं। जिस प्रकार से डीएचओ कार्यालयमें कुछ कर्मचारियों ने अपना घर समझ कर अड्डा जमाया हुआ है। वही लोकल निवास के चलते विभाग मे स्थानीय राजनीतिक लोगों के सम्पर्क मे रहकर राजनीतिक लोगों के खासमखास लोगों को अपात्र होने के वावजूद लाभ पहुंचाने का काम भी बखूबी करते रहते हैं। अगर यही रवैया इन कर्मचारियों का रहा तो विभाग को भारी फजीहत झेलनी पड सकती है।

इसलिये उद्यान विभाग के मंत्रालय और सचिवालय में मौजूद उच्चाधिकारियों को इस संबंध मे गंभीरतापूर्वक संज्ञान लेते हुए 5 वर्षों से अधिक समय से टिके कर्मचारियों का दूसरे जिलों मे स्थानांतरित किया जाए तथा जो कर्मचारी घालमेल में लिप्त पाए जाए उनकी विभागीय जांच कर कठोर कार्यवाही की जाए। जिस प्रकार से कोटद्वार के डीएचओ कार्यालय में किसानों के लिए उद्यान विभाग द्वारा प्रस्तावित परियोजनाएं और कार्यक्रम संचालित होते हैं। उनमें किसानों को समृद्ध बनाने और उनकी आय दुगनी करने के लिए योजनाएं आवंटित की जाती हैं और की गई हैं। इसके लिए किसानों से उसके लिए विभाग द्वारा अंशदान भी लिया जाता है। अंशदान 60% से लेकर 80% तक होता है, यही नहीं किसानों से उनके भूमि के खतौनी, 100रु के स्टाम्प पेपर व अन्य दस्तावेज भी पूर्व मे जमा किए जाते हैं। योजना के लिए तभी किसानों का चयन किया जाता है। विभाग द्वारा अपने चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए अंशदान पूर्व में ही जमा करवा दिया जा रहा है, लेकिन अंशदान जमा करने के बावजूद भी किसानों को आवंटित परियोजना नहीं उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।

जिन किसानों को परियोजना आवंटित हुई है और उसने पूर्व मे अंशदान जमा नहीं किया है, विभाग उसे नोटिस भेज रहा है। ऐसे ही कुछ परियोजना जिनमें पॉली हाउस निर्माण कार्य, नर्सरी निर्माण कार्य, फूलों की खेती से संबंधित परियोजनाएं और कई अन्य योजनाएं भी सम्मिलित है। कोटद्वार में डीएचओ कार्यालय द्वारा पोली हाउस निर्माण कार्य में काफी खामी देखने को मिल रही है। इसमें जिन ठेकेदारों को पाली हाउस निर्माण कार्य करना है उन ठेकेदारों द्वारा अन्य ठेकेदार को कुछ कमीशन लेकर पॉलीहाउस दे दिया गया है, जो विभाग न तो रजिस्टर्ड है न ही उसके पास पॉलीहाउस निर्माण से संबंधित प्रशिक्षण व पाली हाउस निर्माण की जानकारियां है। ठेकेदार किसानों का अंशदान लेकर गायब हो चुके हैं और विभाग द्वारा ठेकेदार के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्यवाही न करना ठेकेदार की डीएचओ उद्यान विभाग मे सेटिंग गेटिंग की ओर ईशारा करने के लिए काफी है।

अधिकांश पॉलीहाउसों का काम सेटिंग ठेकेदारों, कर्मचारियों और अधिकारियों के कारण अटका पडा है और किसान साल भर से पालीहाउस निर्माण की बाट जोहने को मजबूर है। पालीहाउस निर्माण के चक्कर मे वह अन्य फसल सालभर से नहीं उगा पाया है और भूमि बंजर छोडी हुई है। कोटद्वार डीएचओ कार्यालय में कुछ ऐसे कर्मचारी भी हैं जो अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर बीज और दवाई की फर्म चला रहे हैं और विभाग को अपने मनमर्जी दामों पर खाद, बीच उपलब्ध कराने का काम कर रहे हैं। ऐसे ही कुछ कर्मचारी नर्सरी परियोजनाओं में भी ऐसे लोगों को नर्सरिया आवंटित कर रहे हैं। जिनके पास कोटद्वार में न तो भूमि है और न मातृ वृक्ष तक मौजूद नहीं है। अब ऐसे में वास्तविक किसान को किस प्रकार से विभागीय योजनाओं का लाभ मिलेगा या उसकी आय दोगुनी होगी।

यही नहीं कोटद्वार डीएचओ कार्यालय द्वारा अपने 8 ब्लॉकों में भारी घालमेल खेल कई परियोजनाओं में देखने को मिल रहा है।वास्तविक किसानों को परियोजना आबटित करने के बजाय गैर किसानों को आंबटित की गई हैं। सरकारी परियोजना जोकि विभाग द्वारा अपने ही विभाग में चलाई जा रही हैं उसमें सरकारी धन का दुरुपयोग के भारी घालमेल की संभावनाएं भी देखने को मिल रही है।कोटद्वार डीएचओ कार्यालय मे पिछले 3-4 वर्षों से एक बडा खेल भूमाफियाओं को लाभ पहुंचाने का भी चल रहा है।जिस प्रकार उद्यान विभाग हरे भरे फलदार पेडों को काटने की अंधाधुंध अनुमति दे रहा। वह विशेषकर कोटद्वार, दुगड्डा, जहरीखाल और यमकेश्वर में होटल व्यवसाईयों को लाभ पहुंचाने के लिए भूमाफियाओं से कुछ लालच के लिए फलदार पेडों को बिना सर्वेक्षण के अनुमति देना घोर अपराध ही नहीं अक्षम्य भी है।