जलागम विभाग में पदोन्नति की मांग को लेकर लटके चतुर्थ श्रेणी कर्मी। आंखे मूंदे बैठे विभाग और सरकार

जलागम विभाग में पदोन्नति की मांग को लेकर लटके चतुर्थ श्रेणी कर्मी। आंखे मूंदे बैठे विभाग और सरकार

चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की पुकार हमें भी पदोन्नति दे दो सरकार
– जलागम निदेशालय से लेकर शासन तक कर चुके सैकड़ो बार पत्राचार

रिपोर्ट- कैलाश जोशी
देहरादून। विगत लंबे से जलागम विभाग के चतुर्थ श्रेणी के कर्मि अपनी पदोन्नति की मांग को लेकर कई बार आवाज उठा चुके है। लेकिन दुर्भाग्य ही कहेंगे कि, इनकी आवाज न सरकार को सुनाई दे रही है और न ही जलागम विभाग को। गौरतलब है कि, राज्य में जलागम विभाग में विभिन्न पदों पर समय-समय पर संशोधन होते रहे। लेकिन चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को हमेशा से मांग के विपरीत इन संशोधनों से वंचित किया जाता रहा।

जिसका कि, उतराखण्ड जलागम चतुर्थ वर्गीय राज्य महासंघ ने कई बार लिखित शिकायत के साथ विरोध भी किया। महासंघ के प्रांतीय महामंत्री गिरीश चंद कांडपाल ने बताया कि, हमारी मांग थी कि, जलागम विभाग में दीर्घ काल से कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के पदोन्नति हेतु, विभागीय ढांचे में संसोधन कर, वन रक्षक के मृत संवर्ग पदों को एक बार के लिए पदोन्नति के लिए पुनर्जीवित किया जाय। लेकिन लंबे पत्राचार के बाद सिर्फ कोरे आश्वासन के सिवाय कुछ नही मिला।

पदोन्नति से नही पड़ेगा वित्तीय भार

जलागम के चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की माने तो उनकी पदोन्नति से वित्तीय भार भी नही आएगा, सैलरी पर कोई असर नही पड़ेगा। क्योंकि विभाग में कोई कर्मी 25 साल तो कोई 30 साल से कार्यरत है। इसलिए सिर्फ पदनाम बदलेगा।

2002 में किया गया था संशोधन

1983 से लेकर राज्य निर्माण तक जलागम में प्रतिनियुक्ति के पदों को छोड़कर विभिन्न संवर्ग, चतुर्थ श्रेणी, लिपिक, वन रक्षक, मानचित्रकार, सर्वेयर, ट्रेसर आदि पदों पर भर्तियां हुई है। राज्य निर्माण के बाद से विभागीय ढांचे के पुनर्गठन 2002 में किया गया। जिसमें कार्यालय पदों लिपिक सवर्ग के कार्यरत लिपिकिय पदों से काफी कम संख्या में लिपिकीय पद स्वीकृत किए गए। संघ के पदाधिकारियों की माने तो 2002 में ही फील्ड कार्य के लिए वन रक्षक 24 पद, वन दरोगा 8 पद, उप वनराजिक, 4 पद स्वीकृत किये गए।

वन रक्षक व वन दरोगा के पद को स्वीकृति के साथ ही मृत संवर्ग घोषित किया गया। लेकिन 2013 में वन दरोगा के मृत संवर्ग 8 पदों को पुनर्जीवित करते हुए पदोन्नति सेवा नियमावली न होने कारण कार्यकारी आदेश द्वारा इन पदों को पुनर्जीवित किया गया। लेकिन वन रक्षक पदों पर चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की पदोन्नति पर कोई विचार नही किया गया। पात्र चतुर्थ श्रेणी कर्मी बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत होते जा रहे है। जो कि नैसर्गिक न्याय के खिलाफ है।