20 लाख करोड़ के विशेष आर्थिक पैकेज के साथ पीएम ने किया लॉकडाउन 4 का एलान
– आर्थिक पैकेज आत्मनिर्भर भारत अभियान की अहम कड़ी के तौर पर करेगा काम
– नए नियमों की जानकारी दी जाएगी 18 मई से पहले
– 130 करोड़ देशवासियों पर आत्मनिर्भर भारत के संकल्प का फूंका मंत्र
देहरादून। प्रधानमंत्री ने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि, संकट का सामना सारी दुनिया कर रही हैं। जिंदगी बचाने के लिए लोग एक प्रकार से जंग में जुटे है। हमने ऐसा संकट न देखा है न ही सुना है। निश्चित तौर पर मानव जाति के लिए ये सब कुछ अकल्पनीय है। ये क्राइसिस अभूतपूर्व है, लेकिन थकना हारना टूटना बिखरना मानव को मंजूर नहीं है। सतर्क रहते हुए ऐसी जंग के सभी नियमों का पालन करते हुए अब हमें बचना भी है और आगे बढऩा भी। आज जब दुनिया संकट में है, तब हमें अपना संकल्प और मजबूत करना होगा। हमारा संकल्प इस संकट से भी विराट होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि २१वीं सदी हिंदुस्तान की है। हमें कोरोना से पहले दुनिया की व्यवस्थाओं को देखने को मौका मिला है। कोरोना संकट के बाद भी दुनिया में जो स्थितियां बन रही है, उसे भी हम निरंतर देख रहे हैं।
जब इन दोनों कालखंडों को भारत के नजरिए से देखते हैं कि २१वीं सदी भारत की हो, ये हमारा सपना ही नहीं, ये हम सभी की जिम्मेदारी भी है, लेकिन इसका मार्ग क्या होगा। विश्व की आज की स्थिति हमें सिखाती है कि इसका मार्ग एक ही है, आत्म निर्भर भारत। हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है कि यही रास्ता है। आत्म निर्भर भारत। एक देश के रूप में आज हमें बहुत अहम मोड़ पर खड़े हैं। इतनी बड़ी आपदा भारत के लिए एक संकेत लेकर आई है। एक संदेश लेकर आई है। एक अवसर लेकर आई है।
पीएम ने कहा मैं उदाहरण के साथ अपनी बात बताने का प्रयास करता हूं। जब कोरोना संकट शुरू हुआ, तब भारत में एक पीपीई किट नहीं बनती थी। एन 95 मास्क का नाम मात्र का उत्पादन था। आज भारत में रोजाना दो लाख पीपीई और दो लाख एन 95 मास्क बनाए जाते हैं। ये इसलिए हुआ कि भारत ने आपदा को अवसर में बदल दिया। आपदा को अवसर में बदलने की भारत की ये स्थिति आत्म निर्भर भारत के संकट के लिए उतनी ही प्रभावी होने वाली है। आज विश्व में आत्म निर्भर के मायने बदल गए हैं। अर्थ केंद्रित वैश्वीकरण बनाम मानव केंद्री वैश्वीकरण की चर्चा जोरों पर है। भारत की संस्कृति, संस्कार उस आत्मनिर्भरता की बात करते हैं, जिसकी आत्मा वसुधैव कुटुंबकम है। विश्व एक परिवार।
भारत की आत्म केंद्रित व्यवस्था की वकालत नहीं करता है। भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख, सहयोग और शांति की चिंता होती है। जो संस्कृति जय जगत में विश्वास रखती हो, जो जीव मात्र का कल्याण चाहती हो, जो पूरे विश्व को परिवार मानती हो, ऐसी सोच रखती हो। जो पृथ्वी को मां मानती हो, वो भारत भूमि जब आत्मनिर्भर बनती है, तो पूरी दुनिया की नजरें टिक जाती हैं। भारत की प्रगति में तो हमेशा विश्व की प्रगति समाहित रही है। भारत के लक्ष्यों व कार्यों का प्रभाव विश्व कल्याण पर पड़ता है। भारत खुले में शौच में मुक्त होता है तो दुनिया की तस्वीर भी बदलती है। टीबी, पोलियो आदि बीमारियों पर भारत का ज्ञान का असर दुनिया पर पड़ता है। इंटरनेशनल योगा मानव को तनाव से मुक्ति दिलाने के लिए अहम साबित हुआ।
पीएम ने कहा कि जिंदगी और मौत की लड़ाई में आज भारत की दवाएं एक नई आशा लेकर आती है। इन कदमों से भारत की दुनिया में प्रशंसा हो रही है। दुनिया को विश्वास होने लगा है कि भारत बहुत अच्छा कर सकता है। मानव कल्याण के लिए बहुत कुछ अच्छा दे सकता है। सवाल यह है कि आखिर कैसे। इसका भी उत्तर है, 130 करोड़ देशवासियों का, आत्मनिर्भर भारत का संकल्प। हमारा गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। भारत सोने की चिडिय़ा कहा जाता है। वक्त बदल गया। देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ गया। हम विकास के लिए तरसते रहे। आज फिर भारत विकास की ओर कदम बढ़ा रहा है। इस शताब्दी की शुरुआत के समय एक संकट आया था। भारत ने दुनिया को अपनी टेक्नोलॉजी से उस संकट से निकाला। आज हमारे साधन, संसाधन, दुनिया के बेहतरीन टेलेंट है, हम बेस्ट प्रोडक्ट बनाएंगे, सप्लाई चेन को बेहतर बनाएंगे, हम कर सकते हैं और जरूर करेंगे।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैंने अपनी आंखों से कच्छ भूकंप के दिन देखे हैं। सब कुछ ध्वस्त हो गया था। ऐसा लगता था मानो कच्छ मौत की चादर लेकर सो गया हो। उस दौरान नहीं लगता था कि हालत बदल पाएंगे, लेकिन देखते ही देखते कच्छ आगे बढ़ता चला गया। यही भारतीय की पहचान है। हम ठान लें तो कोई राह मुश्किल नहीं है। आज जहां भी है राह भी है। ये है भारत को आत्मनिर्भर बनाना और आज भारत की शक्ति ऐसी है कि भारत आत्मनिर्भर बन सकता है।
आत्मनिर्भर भारत की इमारत पांच पिलर पर होती है खड़ी
पहला इकोनोमी- एक ऐसा इकोनोमी जो कांटम जंप लाए।
दूसरा इंस्फ्रास्टचर- जो आधुनिक भारत की तस्वीर पेश करता हो।
तीसरा हमारा सिस्टम- ऐसा सिस्टम जो 21 सदीं के सपनों को साकार करने वाला हो।
चौथा हमारी डेमोग्राफी- दुनिया में हमारी डेमोग्राफी हमारी ताकत है।
पांचवां डिमांड- अर्थव्यवस्था में जो चक्र है उसे पूरी क्षमता से इस्तेमाल करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा हमारी सप्लाई की चेन को सशक्त होना बहुत आवश्यक है। आपूर्ति की इस व्यवस्था को हम मजबूत करेंगे, जिसमें मेरे देश की मिट्टी की महक हो। 20 लाख करोड़ रुपए का आर्थिक पैकेज का ऐलान कोरोना संकट में नया को देखते हुए प्रधानमंत्री ने विशेष आर्थिक पैकेज का ऐलान किया। यह पैकेज आत्मनिर्भर भारत अभियान की अहम कड़ी बनकर काम करेगा। हाल में सरकार ने कोरोना संकट के दौरान जिस पैकेज की घोषणा की और आज जिस आर्थिक पैकेज का ऐलान हो रहा है, उसे जोड़ दें तो करीब २० लाख करोड़ रुपए का है ये पैकेज।
यह भारत की जीडीपी का 10% है। इससे विभिन्न वर्गों को आर्थिक व्यवस्था की कडिय़ों को 20 लाख करोड़ रुपए का सपोर्ट मिलेगा। 20 लाख करोड़ का ये पैकेज 2020 में देश की विकास को 20 लाख 2020 में आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए सभी पर बल दिया गया है। ये आर्थिक पैकेज हमारे कुटीर उद्योग, गृह, लघु, मंझले, एमएसएमई के लिए है, जो करोड़ों लोगों के आजीविका का साधन है। ये पैकेज देश के उस श्रमिक, उस किसान के लिए है, जो हर स्थिति व मौसम में देशवासियों के लिए दिनरात मेहनत कर रहा है। यह पैकेज मध्यम वर्ग के लिए है जो ईमानदारी से टैक्स देता है। ये पैकेज भारतीय उद्योग के लिए है जो आने वाले भविष्य की राह बनाएंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले कुछ दिनों तक वित्त मंत्री द्वारा आत्मनिर्भर भारत से प्रेरित विस्तार से इस पैकेज की जानकारी दी जाएगी। आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए अब देश का आगे बढऩा अनिवार्य है। बीते छह वर्षों में जो रिफार्म हुए, इस कारण आज संकट के समय भारत अधिक सक्षम है। वरना पहले कौन सोच सकता था कि भारत सरकार जो पैसा भेजेगी, वो पूरा का पूरा गरीब की जेब में जा सकेगा। यह जनधन के रिफार्म का असर था। ये रिफार्म खेती से जुड़ी पूरी सप्लाई चेन में हो, ताकि ऐसे किसी संकट में कृषि पर कम से कम असर पड़े। ये रिफार्म बिजनेस को प्रोत्साहित, निवेश आकर्षित और मेक इन इंडिया के संकल्प को पूर्ण करेगा। यह आत्मनिर्भरता, आत्मबल और आत्मविश्वास से ही संभव है। आत्मनिर्भरता कड़ी स्पद्र्धा के लिए भी हम सभी को तैयार करती है।
पीएम ने कहा कि इसे समझते हुए आर्थिक पैकेज में अनेक प्रावधान किए गए हैं। इससे प्रत्येक सेक्टर को फायदा मिलेगा। ये संकट में हमने देश के हमारे गरीब भाईयों की संयम शक्ति का भी दर्शन किया है। खासकर हमारी रेहड़ी, ठेला, पटरी पर सामान बेचने वाले, श्रमिक, घरों में काम करने वाले भाई बहिनें तपस्या और त्याग किया। ऐसा कौन होगा, जिसने उनकी अनुपस्थिति को महसूस नहीं किया होगा। हमारा कर्तव्य है कि उनको आत्मनिर्भर बनाने की। हर तबके के लिए आर्थिक पैकेज में कुछ महत्वपूर्ण फैसलों का ऐलान किया जाएगा। इस दौरान इस संकट ने हमें लोकल, मार्केट, उत्पादन, सप्लाई चेन का भी महत्व समझा दिया। हमें लोकन चेन ने ही बचाया है। लोकल सिर्फ जरूरत नहीं, बल्कि हम सभी की जिम्मेदारी है। लोकल चेन को हमें अपना जीवन मंत्र बनाना ही होगा।
आज से हर भारतवासी को अपने लोकल के लिए वोकल बनना है। न सिर्फ लोकल प्रोडक्ट खरीदने हैं, बल्कि उनका गर्व से प्रचार भी करना है। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा देश ऐसा कर सकता है। आपके प्रयासों ने तो हर बार आपके प्रति मेरी श्रद्धा को बढ़ाया है। मैं एक बार महसूस करता हूं, जब मैंने देश से खादी खरीदने का आग्रह किया तो बहुत कम समय में खादी और हैंडलूम दोनों को मांग और बिक्री रिकार्ड बना गया। वह ब्रांड बन गया। सभी एक्सपर्ट बताते हैं कि कोरोना लंबे समय हमारे जीवन का हिस्सा बना रहेगा। साथ ही हम यह नहीं होने देंगे कि हमारी जिंदगी कोरोना के आसपास ही सिमट जाएगी। हम मास्क पहनकर दो गज दूरी का पालन करेंगे और काम भी करेंगे।
नए रंग रूप वाला होगा लॉकडाउन चार
लॉकडाउन चार पूरी तरह नए रंग रूप वाला होगा, नए नियमों वाला होगा। राज्यों से मिले सुझावों के आधार पर लॉकडाउन चार से जुड़ी जानकारी आपको 18 मई से पहले दी जाएगी। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि हम नियमों का पालन करते हुए लड़ेंगे और आगे बढेंग़े।
जो हमारे वश में है जो हमारे नियंत्रण में है, वही हम कर सकते है। आत्मनिर्भरता हमें सुख देने के साथ ही सशक्त भी बनाती है। आत्मनिर्भर भारत का ये युग भारतवासी के लिए नूतन क्षण भी होगा नूतन प्रण भी होगा। नई संकल्प शक्ति को लेकर हमें आगे बढऩा है। जब आचार विचार कर्तव्यभाव से सराबोर हो, कर्मणता की पराकाष्ठा हो, कौशल्य की पूंजी हो तो आत्मनिर्भर भारत होने को कौन रोक सकता है। हम भारत को आत्मनिर्भर बनाकर रहेंगे। उन्होंने देशवासियों को धन्यवाद देते हुए अपने परिवार व करीबियों का ध्यान रखने की अपील की।