फारेस्ट गार्ड भर्ती में हुई धांधली की डेड महीने में पूर्ण होगी जांच
देहरादून। फारेस्ट गार्ड विवादित भर्ती में आंदोलित उत्तराखंड के नवयुवकों ने यह मांग की है कि, SIT जाँच अविलंब करते हुए नवयुवकों के साथ न्याय हो। राज्य संस्थापक स्वामी दर्शन भारती की मध्यस्थता में बेरोजगार संगठनों के डेलीगेशन प्रतिनिधि जनों को उत्तराखंड शासन के मुख्य सचिव उत्पल कुमार द्वारा आंदोलित छात्रों को आश्वस्त किया गया है कि, परीक्षा में धांधली व्यापक पैमाने पर होने की दशा में सरकार को परीक्षा निरस्त करने में कोई संकोच नहीं होगा।
साथ ही मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन द्वारा डीजी अशोक कुमार को निश्चित समय में SIT जाँच पूरी करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने यह भी निर्देश दिया गया है कि, जल्द से जल्द रिपोर्ट सरकार को उपलब्ध कराई जाय। पुलिस मुख्यालय में डीजी लॉ एण्ड आर्डर अशोक कुमार ने हरिद्वार एसएसपी व जाँच अधिकारी को छात्रों द्वारा उठाए गए हर सवाल की शंका एव गड़बड़ी की हर शिकायत प्रत्येक पहलू पर स्पष्ट-निष्पक्ष रिपोर्ट तैयार कर डेड महीने में जाँच पूरी करने का निदेर्श दिया है। तथा आम जन से अपील की है कि, इस परीक्षा में गड़बड़ी के विषय में जो भी जानकारी किसी के संज्ञान में है तो जाँच अधिकारी एसएसपी हरिद्वार के संज्ञान में लाई जाये।
बता दें कि, कोराना वायरस एवं शासन को सहयोग करते हुए बेरोजगार संगठन ने वर्तमान धरना प्रदर्शन प्रत्येक जनपदों में स्थगित कर दिया है। लेकिन सांकेतिक रूप से देहरादून में रहेगा। वहीं डेलीगेशन में सगठन के अध्यक्ष बाबी पवांर, खजान राणा, सागर राणा, सुरेश सिंह, अरविंद कुमार, हरी किशन किमोठी एवं उत्तराखंड रक्षा अभियान के संयोजक ने कहा है कि, कुछ बाहरी माफिया गलत मंसूबों से उत्तराखंड के किसी भी आँदोलन के बीच घुस कर नवयुवकों को भड़काने का काम कर रहे हैं। जिससे कि राज्य में अराजकता का माहौल बनाया जाए।
जिसमें कुछ अर्बन नक्शलाइट को भी पुलिस द्वारा चिह्नित कर आवश्यक कार्यवाही की जानी चाहिए। क्योंकि धरनों में गलत प्रवृत्ति के लोग दंगा भड़काना चाहते हैं। जिसके पीछे उनकी साजिश होती है। ऐसे लोग जायज माँग आंदोलनों को भी बदनाम करने का प्रयास करते हैं। लोकतंत्र में अपनी बात धरना-प्रदर्शन शांति पूर्वक अपनी सरकार से करना आम जन जागरुक लोगों का कर्तव्य है। तथा किसी भी व्यक्ति को यह अधिकार नहीं है कि, लाइव करके डेली अपनी निजी द्वेष की वजह से किसी भी अधिकारी/निर्वाचित प्रतिनिधि जनों को अमर्यादित भाषा का प्रयोग करें।