फर्जी आंकडों के सहारे हो रही जैविक खेती

फर्जी आंकडों के सहारे हो रही जैविक खेती

 

– घर बैठे फर्जी आंकड़ों के आधार पर क्षेत्रफल एवं उत्पादन का खेला जा रहा खेल
– फर्जी आंकड़ों के आधार पर मिल रहे राष्ट्रीय पुरस्कार
– कृषि के फर्जी आंकड़ों के आधार पर बढ़ाई जा रही जीडीपी एवं प्रति व्यक्ति आय

देहरादून। विकासनगर स्तिथ जनसंघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने अपना एक बयान जारी कर कहा कि, राज्य गठन के समय कृषि भूमि का क्षेत्रफल जहां 7.76 लाख हेक्टेयर था, वहीं अब घटकर लगभग 6.50 लाख हेक्टेयर रह गया है। लेकिन अगर उत्पादन की बात करें तो उत्पादन फर्जी आंकड़ों के सहारे बढ़ाया जा रहा है।

विभागीय आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2015-16 में कृषि भूमि (खरीफ और रबी) 8.66 लाख हेक्टेयर तथा उत्पादन 17.56 लाख टन, 2016-17 में 8.67 लाख हेक्टेयर तथा उत्पादन 18.74 लाख टन ,2017-18 में 8.42 लाख हेक्टेयर तथा उत्पादन 19.20 लाख टन तथा वर्ष 2018-19 (अनंतिम आंकड़े) में 8.18 लाख हेक्टेयर तथा उत्पादन 18.20 लाख टन दर्शाया गया है।

वहीं दूसरी ओर जैविक खेती में परिषदीय खेती बढ़कर 25832 हेक्टेयर (वर्ष 2018-19) में हो गई ( उक्त आंकड़ों में गन्ना, तिलहन, आलू-प्याज, अदरक तथा अन्य उत्पादों को शामिल नहीं किया गया है) तथा निजी संस्थानों द्वारा जैविक खेती शून्य पर आ गई यानि सब आंकड़ों की बाजीगरी का खेल है, तथा सरकारी धन को जैविक के नाम पर ठिकाने लगाया जा रहा है।

मोर्चा अध्यक्ष ने कहा कि, कृषि एवं राजस्व विभाग मिलकर घर बैठे फर्जी आंकड़े तैयार कर पूर्व आंकड़ों में थोड़ा बहुत हेर-फेर कर आंकड़े प्रस्तुत कर रहा है तथा उन फर्जी आंकड़ों के सहारे जीडीपी एवं प्रति व्यक्ति आय को बढ़ाया जा रहा है। जबकि धरातल पर बिल्कुल इसके उलट है। इन फर्जी आंकड़ों के सहारे ही प्रदेश को कृषि के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो रहे हैं। जोकि प्रदेश की जनता को छलने जैसा है।

मोर्चा सरकार से मांग करता है कि, कृषि आंकड़ों के क्षेत्रफल एवं उत्पादन के मामले में श्वेत पत्र जारी करे, जिससे सच जनता के सामने आ सके।