राजधानी के सभी स्लटर हाउसों में पसरा सन्नाटा, विक्रेताओं में आक्रोश
देहरादून। राजधानी में पिछले कुछ समय से चिकन विक्रेताओं की मुसीबतें बढ़ने लगी है। ज्ञात होगा कि, चिकन विक्रताओं को शासनादेश के अनुसार फ्रोजन चिकन बेचना अनिवार्य हो गया है। जिसका विरोध शहर के छोटे-बड़े सभी चिकन विक्रेता काफी समय से कर रहे हैं। शासनादेश के बाद से ही राजधानी के सभी स्लटर हाउसों में सन्नाटा पसरा हुआ है। अगर कोई खोल भी रहा है, तो उनका मोटा चालान काटा जा रहा है। ऐसे में डीएम को ज्ञापन देने के बाद दुकाने बंद करके भी चिकन विक्रेताओं ने शासन के आगे अपनी मांगों को रखा है।
लेकिन अभी तक किसी प्रकार की कोई सुनवाई चिकन विक्रेताओं के पक्ष में नहीं हुई है। बताते चलें कि, सरकार के फ्रोजन चिकन के शासनादेश के बाद उत्तराखंड की राजधानी देहरादून समेत पूरे प्रदेश के चिकन विक्रेताओ में खासा आक्रोश है। चिकन विक्रेताओं ने इस मामले को शासन के समक्ष रख अपनी मांगे रखी और डीएम को संबंधित ज्ञापन भी सौंपा।
इस पूरे प्रकरण में विक्रेताओं का कहना है कि, फ्रोजन चिकन 500 ग्राम 250 ग्राम और सवा किलो में नहीं बेचा जा सकता है। चिकन के फ्रोजन होने के कारण इसे काटा भी नहीं जा सकता है। इतना ही नहीं फ्रोजन मांस पर दो एक्सपायरी डेट होती हैं। पहली 0 से 4 डिग्री नीचे जाते ही शुरु हो जाती है, और दूसरी जो कि, 18 डिग्री के उपर जाने पर शुरु हो जाती है। यदि शहर में बिजली कट जाने पर या फ्रिज खराब होने पर चिकन खराब हो जाऐगा और दुकानदारों को नुकसान उठाना पड़ेगा यो उसका जिम्मेदार कौन है? साथ ही फ्रोजन चिकन से कई प्रकार की बिमारीयां भी फैल रही है। जो कि शहर की जनता के स्वास्थ्य के साथ एक बड़ा खिलवाड़ है।