कांग्रेस पार्षद की सदस्यता एक माह के लिए निलंबित
– पार्टी की अन्य पार्षद पर हाथ उठाने का आरोप
देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस से देहरादून नगर निगम वार्ड- यमुना कॉलोनी की पार्षद सुमित्रा ध्यानी की सदस्यता पार्टी ने एक माह के लिए निलंबित कर दी है। उन पर पार्टी की एक अन्य पार्षद कोमल वोहरा ने आरोप लगाया था कि, सुमित्रा के द्वारा नगर निगम की बोर्ड बैठक के दौरान उन पर हाथ उठाने जैसा कृत्य किया गया था। जिसे देखते हुए पार्टी की अनुशासन समिति के अध्यक्ष प्रमोद कुमार सिंह ने कोमल की शिकायत पर एक्शन लिया और पार्षद सुमित्रा की सदस्यता को एक माह के लिए निलंबित करने का निर्णय लिया।
कांग्रेस पार्टी द्वारा पार्षद सुमित्रा की सदस्यता निलंबित करते हुवे जारी पत्र में लिखा गया है कि, आपके द्वारा 9 जनवरी 2020 को नगर निगम की बोर्ड बैठक के दौरान पार्टी की ही एक अन्य पार्षद कोमल बोहरा पर हाथ उठाने जैसा कृत्य किया गया था। जिसे एलेक्ट्रिनिक व प्रिंट मीडिया ने प्रमुखता से प्रचारित भी किया था। आपके द्वारा किये गए इस कृत्य से पार्टी की छवि को भारी क्षति पहुंची है। कांग्रेस पार्षद के रूप में आपके द्वारा न केवल पार्टी की सम्मानित पार्षद से मारपीट की गई अपितु अपने पद की गरिमा के विपरीत सार्वजनिक बयानबाजी कर पार्टी की गोपनीयता भंग करने का भी कार्य किया गया है।
प्रत्यक्षदर्शियों एवं अन्य पार्षदगणों की शिकायत के आधार पर प्रदेश अनुशासन समिति द्वारा परीक्षणोपरांत आपके द्वारा दिये गए कारण बताओ नोटिस के प्रत्युत्तर में आपके द्वारा दिये गए स्पष्टीकरण को प्रदेश अनुशासन समिति के समक्ष रखा गया। जिससे समिति संतुष्ट नही है, तथा आपके विरुद्ध अनुशासनात्मक करवाई के लिए बाध्य है। अतः कांग्रेस सविंधान की धारा 19 (च) (4) के अंतर्गत आपके विरुद्ध अनुशासनात्मक करवाई करते हुए आपकी सदस्यता एक माह के लिए निलंबित की जाती है।
आपको बता दें कि, ऐसा कृत्य पार्टी के किसी सदस्य द्वारा पहली बार नही किया गया है। कांग्रेस ने अनुशासन समिति तो बना दी परंतु अपनी पार्टी के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को अनुशासन का पाठ पढ़ाना भूल गयी, यही कारण है कि पार्टी के लोगो द्वारा बार-बार कांग्रेस की छवि को धूमिल करने का काम किया जाता है। ऐसा ही एक कृत्य बीते वर्ष 2019 के नगर निकाय चुनाव में हुआ था जहां एक छोटी सी बात को लेकर पार्टी के ही दो गुटों में हाथापाई हो गयी थी। जिसमें महानगर के कार्यकर्ता द्वारा वरिष्ठ नेता पर हाथ उठाने का काम किया गया था।
इसे कांग्रेस पार्टी का दुर्भाग्य कहेंगे क्योंकि यहां चुनाव में अगर प्रबल दावेदार को टिकट न देकर किसी अन्य दावेदार को टिकट दे दिया जाता है तो टिकट न पाने वाला पार्टी से बागी होकर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर जाता है और पार्टी के प्रत्याशी को हराने में कोई कोर-कसर नही छोड़ता। क्योंकि कांग्रेस के सिपाहियों की साफतौर पर यही मंसा है कि, पार्टी आये न आये बस किसी तरह जीत दर्ज कर हम आजाये और हाईकमान को नीचा दिखाने का काम करें। इसीलिए कहीं न कहीं पार्टी के कार्यकर्ताओं की ऐसी सोच कांग्रेस के पतन का कारण भी बनी है। अगर अब भी कांग्रेस अध्यक्ष इस कृत्य से जागरूक नही होते है तो ऐसे लोगों द्वारा आगामी विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ सकता है।